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अय्यूब 31:32 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

32 (परदेशी को सड़क पर टिकना न पड़ता था; मैं बटोही के लिये अपना द्वार खुला रखता था);

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पवित्र बाइबल

32 मैंने सदा अनजानों को अपने घर में बुलाया, ताकि उनको रात में गलियों में सोना न पड़े।

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Hindi Holy Bible

32 (परदेशी को सड़क पर टिकना न पड़ता था; मैं बटोही के लिये अपना द्वार खुला रखता था);

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

32 मेरे कारण विदेशी को सड़क पर रात गुजारनी नहीं पड़ती थी, मैं राहगीर के लिए अपना द्वार सदा खुला रखता था।

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सरल हिन्दी बाइबल

32 मैंने किसी भी विदेशी प्रवासी को अपने घर के अतिरिक्त अन्यत्र ठहरने नहीं दिया, क्योंकि मेरे घर के द्वार प्रवासियों के लिए सदैव खुले रहते हैं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

32 (परदेशी को सड़क पर टिकना न पड़ता था; मैं बटोही के लिये अपना द्वार खुला रखता था);

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अय्यूब 31:32
16 क्रॉस रेफरेंस  

दरिद्र लोगों का मैं पिता ठहरता था, और जो मेरी पहिचान का न था उसके मुक़द्दमे का हाल मैं पूछताछ करके जान लेता था।


यदि मेरे डेरे के रहनेवालों ने यह न कहा होता, ‘ऐसा कोई कहाँ मिलेगा, जो इसके यहाँ का मांस खाकर तृप्‍त न हुआ हो?’


यदि मैं ने आदम के समान अपना अपराध छिपाकर अपने अधर्म को ढाँप लिया हो,


क्या वह यह नहीं है कि अपनी रोटी भूखों को बाँट देना, अनाथ और मारे–मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना, किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहिनाना, और अपने जातिभाइयों से अपने को न छिपाना?


क्योंकि मैं भूखा था, और तुमने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुमने मुझे पानी पिलाया; मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया;


तब राजा उन्हें उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।’


पवित्र लोगों को जो कुछ आवश्यक हो, उसमें उनकी सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो।


और भले काम में सुनाम रही हो, जिस ने बच्‍चों का पालन–पोषण किया हो; अतिथियों की सेवा की हो, पवित्र लोगों के पाँव धोए हों, दुखियों की सहायता की हो, और हर एक भले काम में मन लगाया हो।


अतिथि–सत्कार करना न भूलना, क्योंकि इसके द्वारा कुछ लोगों ने अनजाने में स्वर्गदूतों का आदर–सत्कार किया है।


बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे का अतिथि–सत्कार करो।


इसलिये वे गिबा में टिकने के लिये उसकी ओर मुड़ गए। और वह भीतर जाकर उस नगर के चौक में बैठ गया; क्योंकि किसी ने उनको अपने घर में न टिकाया।


उसने आँखें उठाकर उस यात्री को नगर के चौक में बैठे देखा; और उस बूढ़े ने पूछा, “तू किधर जाता, और कहाँ से आता है?”


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