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अय्यूब 22:3 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

3 क्या तेरे धर्मी होने से सर्वशक्‍तिमान सुख पा सकता है? तेरी चाल की खराई से क्या उसे कुछ लाभ हो सकता है?

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पवित्र बाइबल

3 यदि तूने वही किया जो उचित था तो इससे सर्वशक्तिमान परमेश्वर को आनन्द नहीं मिलेगा, और यदि तू सदा खरा रहा तो इससे उसको कुछ नहीं मिलेगा।

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Hindi Holy Bible

3 क्या तेरे धमीं होने से सर्वशक्तिमान सुख पा सकता है? तेरी चाल की खराई से क्या उसे कुछ लाभ हो सकता है?

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

3 यदि तुम धार्मिक हो तो क्‍या इससे सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर को सुख मिलता है? क्‍या तुम्‍हारे निर्दोष आचरण से उसे लाभ होता है?

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सरल हिन्दी बाइबल

3 क्या तुम्हारी खराई सर्वशक्तिमान के लिए आनंद है? अथवा क्या तुम्हारा त्रुटिहीन चालचलन लाभकारी होता है?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

3 क्या तेरे धर्मी होने से सर्वशक्तिमान सुख पा सकता है? तेरी चाल की खराई से क्या उसे कुछ लाभ हो सकता है?

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अय्यूब 22:3
20 क्रॉस रेफरेंस  

अत: हे प्रियो, जब कि ये प्रतिज्ञाएँ हमें मिली हैं, तो आओ, हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें, और परमेश्‍वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिद्ध करें।


इससे मैं आप भी यत्न करता हूँ कि परमेश्‍वर की, और मनुष्यों की ओर मेरा विवेक सदा निर्दोष रहे।


तुम लोगों ने अपनी बातों से यहोवा को उकता दिया है। तौभी पूछते हो, “हम ने किस बात में उसे उकता दिया?” इसमें कि तुम कहते हो, “जो कोई बुरा करता है, वह यहोवा की दृष्‍टि में अच्छा लगता है, और वह ऐसे लोगों से प्रसन्न रहता है;” और यह कि, “न्यायी परमेश्‍वर कहाँ है?”


दुष्‍ट लोगों के बलिदान से यहोवा घृणा करता है, परन्तु वह सीधे लोगों की प्रार्थना से प्रसन्न होता है।


झूठों से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु जो विश्‍वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है।


जो मन के टेढ़े हैं, उन से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु वह खरी चालवालों से प्रसन्न रहता है।


छल के तराजू से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु वह पूरे बटखरे से प्रसन्न होता है।


मैं ने अपनी चालचलन को सोचा, और तेरी चितौनियों का मार्ग लिया।


मैं ने कहा, “मैं अपनी चालचलन में चौकसी करूँगा, ताकि मेरी जीभ से पाप न हो; जब तक दुष्‍ट मेरे सामने है, तब तक मैं लगाम लगाए अपना मुँह बन्द किए रहूँगा।”


हे मेरे परमेश्‍वर! मैं जानता हूँ कि तू मन को जाँचता है और सिधाई से प्रसन्न रहता है, मैं ने तो यह सब कुछ मन की सिधाई और अपनी इच्छा से दिया है; और अब मैं ने आनन्द से देखा है कि तेरी प्रजा के लोग जो यहाँ उपस्थित हैं, वे अपनी इच्छा से तेरे लिये भेंट देते हैं।


मेरे पास सब कुछ है, वरन् बहुतायत से भी है; जो वस्तुएँ तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूँ, वह तो सुखदायक सुगन्ध, ग्रहण करने योग्य बलिदान है, जो परमेश्‍वर को भाता है।


“क्या मनुष्य से परमेश्‍वर को लाभ पहुँच सकता है? जो बुद्धिमान है, वह अपने ही लाभ का कारण होता है।


वह तो तुझे डाँटता है, और तुझ से मुक़द्दमा लड़ता है, तो क्या यह तेरी भक्‍ति के कारण है?


यदि तू धर्मी है तो उसको क्या दे देता है; या उसे तेरे हाथ से क्या मिल जाता है?


सर्वशक्‍तिमान क्या है कि हम उसकी सेवा करें? यदि हम उससे विनती भी करें तो हमें क्या लाभ होगा?’


क्योंकि उसने कहा है, ‘मनुष्य को इससे कुछ लाभ नहीं कि वह आनन्द से परमेश्‍वर की संगति रखे।’


यदि तू बुद्धिमान हो, तो बुद्धि का फल तू ही भोगेगा, और यदि तू ठट्ठा करे, तो दण्ड केवल तू ही भोगेगा।


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