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अय्यूब 12:10 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

10 उसके हाथ में एक एक जीवधारी का प्राण, और एक एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है।

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पवित्र बाइबल

10 हर जीवित पशु और हर एक प्राणी जो साँस लेता है, परमेश्वर की शक्ति के अधीन है।

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Hindi Holy Bible

10 उसके हाथ में एक एक जीवधारी का प्राण, और एक एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

10 प्रभु के हाथ में सब प्राणियों के प्राण हैं, समस्‍त मनुष्‍यजाति का जीवन है।

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सरल हिन्दी बाइबल

10 किसका अधिकार है हर एक जीवधारी जीवन पर तथा समस्त मानव जाति के श्वास पर?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

10 उसके हाथ में एक-एक जीवधारी का प्राण, और एक-एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है।

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अय्यूब 12:10
17 क्रॉस रेफरेंस  

तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम* को भूमि की मिट्टी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्‍वास फूँक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया।


और सुन, मैं आप पृथ्वी पर जल–प्रलय करके सब प्राणियों को, जिनमें जीवन का प्राण है, आकाश के नीचे से नष्‍ट करने पर हूँ; और सब जो पृथ्वी पर हैं मर जाएँगे।


क्योंकि अब तक मेरी साँस बराबर आती है, और परमेश्‍वर का आत्मा मेरे नथुनों में बना है।


जब परमेश्‍वर भक्‍तिहीन मनुष्य का प्राण ले ले, तब यद्यपि उसने धन भी प्राप्‍त किया हो, तौभी उसकी क्या आशा रहेगी?


मुझे परमेश्‍वर के आत्मा ने बनाया है, और सर्वशक्‍तिमान की साँस से मुझे जीवन मिलता है।


तू मुख फेर लेता है, और वे घबरा जाते हैं; तू उनकी साँस ले लेता है, और उनके प्राण छूट जाते हैं, और मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।


फिर तू अपनी ओर से साँस भेजता है, और वे सिरजे जाते हैं; और तू धरती को नया कर देता है।


यह सब कुछ मैं ने मन लगाकर विचारा कि इन सब बातों का भेद पाऊँ, कि किस प्रकार धर्मी और बुद्धिमान लोग और उनके काम परमेश्‍वर के हाथ में हैं; मनुष्य के आगे सब प्रकार की बातें हैं परन्तु वह नहीं जानता कि वह प्रेम है या बैर।


परमेश्‍वर जो आकाश का सृजने और ताननेवाला है, जो उपज सहित पृथ्वी का फैलानेवाला और उस पर के लोगों को साँस और उस पर के चलनेवालों को आत्मा देनेवाला यहोवा है, वह यों कहता है :


मैं सदा मुक़द्दमा न लड़ता रहूँगा, न सर्वदा क्रोधित रहूँगा, क्योंकि आत्मा मेरे बनाए हुए हैं और जीव मेरे सामने मूर्च्छित हो जाते हैं।


वरन् तू ने स्वर्ग के प्रभु के विरुद्ध सिर उठाकर उसके भवन के पात्र मँगवाकर अपने सामने रखवा लिए, और अपने प्रधानों और रानियों और रखेलियों समेत तू ने उनमें दाखमधु पिया; और चाँदी–सोने, पीतल, लोहे, काठ और पत्थर के देवता, जो न देखते न सुनते, न कुछ जानते हैं, उनकी तो स्तुति की परन्तु परमेश्‍वर, जिसके हाथ में तेरा प्राण है, और जिसके वश में तेरा सब चलना फिरना है, उसका सम्मान तू ने नहीं किया।


तब वे मुँह के बल गिरके कहने लगे, “हे ईश्‍वर, हे सब प्राणियों के आत्माओं के परमेश्‍वर, क्या एक पुरुष के पाप के कारण तेरा क्रोध सारी मण्डली पर होगा?”


क्योंकि जो शरीर से जन्मा है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है।


न किसी वस्तु की आवश्यकता के कारण मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह स्वयं ही सब को जीवन और श्‍वास और सब कुछ देता है।


क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते–फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसा तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, ‘हम तो उसी के वंशज हैं।’


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