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1 शमूएल 30:6 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

6 और दाऊद बड़े संकट में पड़ा; क्योंकि लोग अपने बेटे–बेटियों के कारण बहुत शोकित होकर उस पर पथराव करने की चर्चा कर रहे थे। परन्तु दाऊद ने अपने परमेश्‍वर यहोवा को स्मरण करके हियाव बाँधा।

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पवित्र बाइबल

6 सेना के सभी लोग दु:खी और क्रोधित थे क्योंकी उनकि पुत्र—पुत्रियाँ बन्दी बना ली गई थीं। वे पुरुष दाऊद को पत्थरों से मार डालने की बात कर रहे थे। इससे दाऊद बहुत घबरा गया। किन्तु दाऊद ने अपने यहोवा परमश्वर में शक्ति पाई।

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Hindi Holy Bible

6 और दाऊद बड़े संकट में पड़ा; क्योंकि लोग अपने बेटे-बेटियों के कारण बहुत शोकित हो कर उस पर पत्थरवाह करने की चर्चा कर रहे थे। परन्तु दाऊद ने अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करके हियाव बान्धा॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

6 दाऊद अत्‍यन्‍त संकट में था। उसके लोग उसे पत्‍थरों से मार डालने का विचार कर रहे थे। उनके हृदय में कटुता उत्‍पन्न हो गई थी; क्‍योंकि प्रत्‍येक सैनिक का पुत्र अथवा पुत्री बन्‍दी बना ली गई थी। दाऊद ने प्रभु परमेश्‍वर से साहस प्राप्‍त किया।

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सरल हिन्दी बाइबल

6 इस समय दावीद बहुत ही परेशान थे, क्योंकि उनके साथी उनका पत्थराव करने की योजना कर रहे थे. हर एक व्यक्ति का हृदय अपने पुत्र-पुत्रियों के अपहरण के कारण बहुत ही कटु हो चुका था. मगर दावीद ने इस स्थिति में याहवेह अपने परमेश्वर में बल प्राप्‍त किया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

6 और दाऊद बड़े संकट में पड़ा; क्योंकि लोग अपने बेटे-बेटियों के कारण बहुत शोकित होकर उस पर पथरवाह करने की चर्चा कर रहे थे। परन्तु दाऊद ने अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करके हियाव बाँधा।

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1 शमूएल 30:6
51 क्रॉस रेफरेंस  

तब याक़ूब बहुत डर गया, और संकट में पड़ा; और यह सोचकर अपने साथियों के, और भेड़–बकरियों के, और गाय–बैलों, और ऊँटों के भी अलग–अलग दो दल कर लिये,


फिर हूशै ने कहा, “तू तो अपने पिता और उसके जनों को जानता है कि वे शूरवीर हैं, और बच्‍चा छीनी हुई रीछनी के समान क्रोधित होंगे। तेरा पिता योद्धा है; और अन्य लोगों के साथ रात नहीं बिताता।


वह पहाड़ पर परमेश्‍वर के भक्‍त के पास पहुँची, और उसके पाँव पकड़ने लगी, तब गेहजी उसके पास गया कि उसे धक्‍का देकर हटाए, परन्तु परमेश्‍वर के भक्‍त ने कहा, “उसे छोड़ दे, उसका मन व्याकुल है; परन्तु यहोवा ने मुझ को नहीं बताया, छिपा ही रखा है।”


वह मुझे घात करेगा, मुझे कुछ आशा नहीं; तौभी मैं अपनी चाल चलन का पक्ष लूँगा।


मैं ने जो ऐसा कहा है, इसे विश्‍वास की कसौटी पर कस कर कहा है, “मैं तो बहुत ही दु:खित हूँ;”


जिस दिन मैं ने पुकारा, उसी दिन तू ने मेरी सुन ली, और मुझ में बल देकर हियाव बन्धाया।


यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है; मेरा ईश्‍वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूँ, वह मेरी ढाल और मेरी मुक्‍ति का सींग, और मेरा ऊँचा गढ़ है।


अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्‍वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्‍वर की दोहाई दी; और उसने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी; और मेरी दोहाई उसके पास पहुँचकर उसके कानों में पड़ी।


मेरे हृदय का क्लेश बढ़ गया है, तू मुझ को मेरे दु:खों से छुड़ा ले।


यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बाँध और तेरा हृदय दृढ़ रहे; हाँ, यहोवा ही की बाट जोहता रह!


हे यहोवा पर आशा रखनेवालो, हियाव बाँधो और तुम्हारे हृदय दृढ़ रहें।


हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्‍वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्‍वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा।


हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्‍वर पर आशा लगाए रह; क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूँगा।


तेरी जलधाराओं का शब्द सुनकर जल, जल को पुकारता है; तेरी सारी तरंगों और लहरों में मैं डूब गया हूँ।


मैं ने परमेश्‍वर पर भरोसा रखा है, मैं न डरूँगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?


सचमुच मैं चुपचाप होकर परमेश्‍वर की ओर मन लगाए हूँ, मेरा उद्धार उसी से होता है।


हे मेरे मन, परमेश्‍वर के सामने चुपचाप रह, क्योंकि मेरी आशा उसी से है।


हे मेरे परमेश्‍वर, दुष्‍ट के और कुटिल और क्रूर मनुष्य के हाथ से मेरी रक्षा कर।


क्योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूँ, बचपन से मेरा आधार तू है।


तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और कहा, “इन लोगों के साथ मैं क्या करूँ? ये सब मुझ पर पथराव करने को तैयार हैं।”


यहोवा का नाम दृढ़ गढ़ है, धर्मी उसमें भागकर सब दुर्घटनाओं से बचता है।


क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका दीवार पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रों के लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ।


हे यहोवा, हे मेरे बल और दृढ़ गढ़, संकट के समय मेरे शरणस्थान, जाति–जाति के लोग पृथ्वी के चारों ओर से तेरे पास आकर कहेंगे, “निश्‍चय हमारे पुरखा झूठी, व्यर्थ और निष्फल वस्तुओं को अपनाते आए हैं।


“मैं ने संकट में पड़े हुए यहोवा की दोहाई दी, और उस ने मेरी सुन ली है; अधोलोक के उदर में से मैं चिल्‍ला उठा, और तू ने मेरी सुन ली।


तब सारी मण्डली चिल्‍ला उठी कि इन पर पथराव करो। तब यहोवा का तेज मिलापवाले तम्बू में सब इस्राएलियों पर प्रकाशमान हुआ।


जो भीड़ आगे–आगे जाती और पीछे–पीछे चली आती थी, पुकार–पुकार कर कहती थी, “दाऊद के सन्तान को होशाना, धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना।”


पिलातुस ने उनसे पूछा, “फिर यीशु को, जो मसीह कहलाता है, क्या करूँ?” सब ने उससे कहा, “वह क्रूस पर चढ़ाया जाए!”


तब उन्होंने उसे मारने के लिये पत्थर उठाए,परन्तु यीशु छिपकर मन्दिर से निकल गया।


उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्‍वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि “तेरा वंश ऐसा होगा,” वह बहुत सी जातियों का पिता हो।


और न अविश्‍वासी होकर परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्‍वास में दृढ़ होकर परमेश्‍वर की महिमा की;


अत: हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्‍वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?


यदि हम क्लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति और उद्धार के लिये है; और यदि शान्ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति के लिये है; जिसके प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं।


हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरुपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते;


क्योंकि जब हम मकिदुनिया में आए, तब भी हमारे शरीर को चैन नहीं मिला, परन्तु हम चारों ओर से क्लेश पाते थे; बाहर लड़ाइयाँ थीं, भीतर भयंकर बातें थीं।


इसलिये हम निडर होकर कहते हैं, “प्रभु मेरा सहायक है, मैं न डरूँगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है।”


दानियों ने उससे कहा, “तेरा बोल हम लोगों में सुनाई न दे, कहीं ऐसा न हो कि क्रोधी जन तुम लोगों पर प्रहार करें, और तू अपना और अपने घर के लोगों के भी प्राण को खो दे।”


तौभी इस्राएली पुरुषों ने साहस कर के उसी स्थान में जहाँ उन्होंने पहले दिन पाँति बाँधी थी, फिर पाँति बाँधी।


वह मन में व्याकुल होकर यहोवा से प्रार्थना करने और बिलख बिलखकर रोने लगी।


कि शाऊल का पुत्र योनातान उठकर उसके पास होरेश में गया, और परमेश्‍वर की चर्चा करके उसको ढाँढ़स दिलाया।


शमूएल ने शाऊल से पूछा, “तू ने मुझे ऊपर बुलवाकर क्यों सताया है?” शाऊल ने कहा, “मैं बड़े संकट में पड़ा हूँ; क्योंकि पलिश्ती मेरे साथ लड़ रहे हैं और परमेश्‍वर ने मुझे छोड़ दिया, और अब मुझे न तो भविष्यद्वक्‍ताओं के द्वारा उत्तर देता है, और न स्वप्नों के; इसलिये मैं ने तुझे बुलाया कि तू मुझे जता दे कि मैं क्या करूँ।”


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