12 आकीश ने दाऊद पर विश्वास करना आरम्भ कर दिया। आकीश ने अपने आप सोचा, “अब दाऊद के अपने लोग ही उससे घृणा करते हैं। इस्राएली दाऊद से बहुत अधिक घृणा करते हैं। अब दाऊद मेरी सेवा करता रहेगा।”
12 आकीश ने दाऊद पर भरोसा किया। उसका यह विचार था, ‘दाऊद ने अपने जाति-भाइयों, इस्राएलियों में स्वयं को अत्यन्त अप्रिय बना लिया है। इसलिए अब वह मेरा सेवक सदा बना रहेगा।’
तब याक़ूब ने शिमोन और लेवी से कहा, “तुम ने जो इस देश के निवासी कनानियों और परिज्जियों के मन में मेरे प्रति घृणा उत्पन्न कराई है, इस से तुम ने मुझे संकट में डाला है, क्योंकि मेरे साथ तो थोड़े ही लोग हैं; इसलिये अब वे इकट्ठे होकर मुझ पर चढ़ेंगे, और मुझे मार डालेंगे, तो मैं अपने घराने समेत नष्ट हो जाऊँगा।”
जब अम्मोनियों ने देखा कि हम से दाऊद अप्रसन्न है, तब अम्मोनियों ने बेत्रहोब और सोबा के बीस हज़ार अरामी प्यादों को, और हज़ार पुरुषों समेत माका के राजा को, और बारह हज़ार तोबी पुरुषों को, वेतन पर बुलवाया।
और उन्होंने मूसा और हारून से कहा, “यहोवा तुम पर दृष्टि करके न्याय करे, क्योंकि तुम ने हम को फ़िरौन और उसके कर्मचारियों की दृष्टि में घृणित ठहराकर हमें घात करने के लिये उनके हाथ में तलवार दे दी है।”
और सब इस्राएलियों ने यह समाचार सुना कि शाऊल ने पलिश्तियों की चौकी को मारा है, और यह भी कि पलिश्ती इस्राएल से घृणा करने लगे हैं। तब लोग शाऊल के पीछे चलकर गिलगाल में इकट्ठे हो गए।
दाऊद ने स्त्री पुरुष किसी को जीवित न छोड़ा कि उन्हें गत में पहुँचाए; उसने सोचा था, “ऐसा न हो कि वे हमारा काम बताकर यह कहें कि दाऊद ने ऐसा ऐसा किया है। वरन् जब से वह पलिश्तयों के देश में रहता है, तब से उसका काम ऐसा ही है।”
उन दिनों में पलिश्तयों ने इस्राएल से लड़ने के लिये अपनी सेना इकट्ठी की। तब आकीश ने दाऊद से कहा, “निश्चय जान कि तुझे अपने जनों समेत मेरे साथ सेना में जाना होगा।”