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1 तीमुथियुस 5:5 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 जो सचमुच विधवा है, और उसका कोई नहीं, वह परमेश्‍वर पर आशा रखती है, और रात दिन विनती और प्रार्थना में लौलीन रहती है;

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पवित्र बाइबल

5 वह स्त्री जो वास्तव में विधवा है और जिसका ध्यान रखने वाला कोई नहीं है, तथा परमेश्वर ही जिसकी आशाओं का सहारा है वह दिन रात विनती तथा प्रार्थना में लगी रहती है।

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Hindi Holy Bible

5 जो सचमुच विधवा है, और उसका कोई नहीं; वह परमेश्वर पर आशा रखती है, और रात दिन बिनती और प्रार्थना में लौलीन रहती है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 जो सचमुच विधवा है, जिसका कोई भी नहीं है, वह परमेश्‍वर पर भरोसा रख कर रात-दिन प्रार्थना तथा उपासना में लगी रहती है।

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नवीन हिंदी बाइबल

5 जो वास्तव में विधवा है और अकेली है, वह परमेश्‍वर पर ही आशा रखती है, तथा रात और दिन प्रार्थना और विनती में लगी रहती है;

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सरल हिन्दी बाइबल

5 वह, जो वास्तव में विधवा है तथा जो अकेली रह गई है, परमेश्वर पर ही आश्रित रहती है और दिन-रात परमेश्वर से विनती तथा प्रार्थना करने में लवलीन रहती है.

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1 तीमुथियुस 5:5
27 क्रॉस रेफरेंस  

वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके परों के नीचे शरण पाएगा, उसकी सच्‍चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी।


“परमेश्‍वर मेरा उद्धार है, मैं भरोसा रखूँगा और न थरथराऊँगा; क्योंकि प्रभु यहोवा मेरा बल और मेरे भजन का विषय है, और वह मेरा उद्धारकर्ता हो गया है।”


और उसके फाटकों में साँस भरना और विलाप करना होगा; और वह भूमि पर अकेली बैठी रहेगी।


तब तू मन में कहेगी, ‘किसने इनको मेरे लिये जन्माया? मैं तो पुत्रहीन और बाँझ हो गई थी, दासत्व में और यहाँ वहाँ मैं घूमती रही, इनको किसने पाला? देख, मैं अकेली रह गई थी; फिर ये कहाँ थे?’ ”


तुम में से कौन है जो यहोवा का भय मानता और उसके दास की बातें सुनता है, जो अन्धियारे में चलता हो और उसके पास ज्योति न हो? वह यहोवा के नाम का भरोसा रखे, और अपने परमेश्‍वर पर आशा लगाए रहे।


“हे बाँझ, तू जो पुत्रहीन है जयजयकार कर; तू जिसे प्रसव–पीड़ा नहीं हुई, गला खोलकर जयजयकार कर और पुकार! क्योंकि त्यागी हुई के लड़के सुहागिन के लड़कों से अधिक होंगे, यहोवा का यही वचन है।


उसने ऊपर से मेरी हड्डियों में आग लगाई है, और वे उस से भस्म हो गईं; उस ने मेरे पैरों के लिये जाल लगाया, और मुझ को उलटा लौटा दिया है; उस ने ऐसा किया कि मैं त्यागी हुई–सी और रोग से लगातार निर्बल रहती हूँ।


फिर उसने इसके विषय में कि नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना चाहिए, उनसे यह दृष्‍टान्त कहा :


इसलिये क्या परमेश्‍वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा, जो रात–दिन उसकी दुहाई देते रहते हैं? क्या वह उनके विषय में देर करेगा?


वह चौरासी वर्ष से विधवा थी : और मन्दिर को नहीं छोड़ती थी, पर उपवास और प्रार्थना कर करके रात–दिन उपासना किया करती थी।


उसी प्रतिज्ञा के पूरे होने की आशा लगाए हुए, हमारे बारहों गोत्र अपने सारे मन से रात–दिन परमेश्‍वर की सेवा करते आए हैं। हे राजा, इसी आशा के विषय में यहूदी मुझ पर दोष लगाते हैं।


उन दिनों में जब चेलों की संख्या बहुत बढ़ने लगी, तब यूनानी भाषा बोलनेवाले इब्रानी भाषा बोलनेवालों पर कुड़कुड़ाने लगे, कि प्रतिदिन की सेवकाई में हमारी विधवाओं की सुधि नहीं ली जाती।


तब पतरस उठकर उनके साथ हो लिया, और जब वह पहुँचा तो वे उसे उस अटारी पर ले गए। सब विधवाएँ रोती हुई उसके पास आ खड़ी हुईं, और जो कुरते और कपड़े दोरकास ने उनके साथ रहते हुए बनाए थे, दिखाने लगीं।


उसने हाथ देकर उसे उठाया, और पवित्र लोगों और विधवाओं को बुलाकर उसे जीवित दिखा दिया।


अर्थात् यह कि जब मैं तुम्हारे बीच में होऊँ, तो हम उस विश्‍वास के द्वारा जो मुझ में और तुम में है, एक दूसरे से प्रोत्साहन पाएँ।


उसके द्वारा हमें अनुग्रह और प्रेरिताई मिली कि उसके नाम के कारण सब जातियों के लोग विश्‍वास करके उसकी मानें,


अत: मैं यह चाहता हूँ कि तुम्हें चिन्ता न हो। अविवाहित पुरुष प्रभु की बातों की चिन्ता में रहता है कि प्रभु को कैसे प्रसन्न रखे।


विवाहिता और अविवाहिता में भी भेद है : अविवाहिता प्रभु की चिन्ता में रहती है कि वह देह और आत्मा दोनों में पवित्र हो, परन्तु विवाहिता संसार की चिन्ता में रहती है कि अपने पति को प्रसन्न रखे।


हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती किया करो,


किसी भी बात की चिन्ता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ।


अब मैं सबसे पहले यह आग्रह करता हूँ कि विनती, और प्रार्थना, और निवेदन, और धन्यवाद सब मनुष्यों के लिये किए जाएँ।


यदि किसी विश्‍वासिनी के यहाँ विधवाएँ हों, तो वही उनकी सहायता करे कि कलीसिया पर भार न हो, ताकि वह उनकी सहायता कर सके जो सचमुच विधवाएँ हैं।


उन विधवाओं का, जो सचमुच विधवा हैं, आदर कर।


जिस परमेश्‍वर की सेवा मैं अपने बापदादों की रीति पर शुद्ध विवेक से करता हूँ, उसका धन्यवाद हो कि मैं अपनी प्रार्थनाओं में तुझे लगातार स्मरण करता हूँ,


पूर्वकाल में पवित्र स्त्रियाँ भी, जो परमेश्‍वर पर आशा रखती थीं, अपने आप को इसी रीति से संवारती और अपने–अपने पति के अधीन रहती थीं।


यहोवा तेरे कार्य का फल दे, और इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा जिसके पंखों तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे।”


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