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1 कुरिन्थियों 14:26 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

26 इसलिये हे भाइयो, क्या करना चाहिए? जब तुम इकट्ठे होते हो, तो हर एक के हृदय में भजन या उपदेश या अन्य भाषा या प्रकाश या अन्य भाषा का अर्थ बताना रहता है। सब कुछ आत्मिक उन्नति के लिये होना चाहिए।

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पवित्र बाइबल

26 हे भाईयों, तो फिर क्या करना चाहिये? तुम जब इकट्ठे होते हो तो तुममें से कोई भजन, कोई उपदेश और कोई आध्यात्मिक रहस्य का उद्घाटन करता है। कोई किसी अन्य भाषा में बोलता है तो कोई उसकी व्याख्या करता है। ये सब बाते कलीसिया की आत्मिक सुदृढ़ता के लिये की जानी चाहिये।

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Hindi Holy Bible

26 इसलिये हे भाइयो क्या करना चाहिए? जब तुम इकट्ठे होते हो, तो हर एक के हृदय में भजन, या उपदेश, या अन्यभाषा, या प्रकाश, या अन्यभाषा का अर्थ बताना रहता है: सब कुछ आत्मिक उन्नति के लिये होना चाहिए।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

26 इसका निष्‍कर्ष क्‍या है? हे भाइयो और बहिनो! जब-जब आप आराधना हेतु एकत्र होते हैं, तो कोई भजन सुनाता है, कोई शिक्षा देता है, कोई अपने पर प्रकट किया हुआ सत्‍य बताता है, कोई अध्‍यात्‍म भाषा में बोलता है और कोई उसकी व्‍याख्‍या करता है; किन्‍तु यह सब आध्‍यात्‍मिक निर्माण के लिए होना चाहिए।

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नवीन हिंदी बाइबल

26 हे भाइयो, फिर क्या होना चाहिए? जब तुम एकत्रित होते हो तो हर एक के पास भजन, उपदेश, प्रकाशन, अन्य भाषा या उसका अनुवाद होता है; यह सब तुम्हारी उन्‍नति के लिए हो।

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सरल हिन्दी बाइबल

26 तब, प्रिय भाई बहनो, निष्कर्ष क्या निकला? जब तुम आराधना के लिए इकट्ठा होते हो, तो तुममें से कोई तो गीत प्रस्तुत करता है, कोई उपदेश देता है, कोई प्रभु के द्वारा दिया गया प्रकाशन प्रस्तुत करता है, कोई अन्य भाषा में बातें करता तथा कोई उसका अनुवाद करता है. प्रिय भाई बहनो, तुम जो कुछ करो वह कलीसिया की उन्‍नति के लिए हो.

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1 कुरिन्थियों 14:26
18 क्रॉस रेफरेंस  

हे भाइयो, मैं नहीं चाहता कि तुम इससे अनजान रहो कि मैं ने बार–बार तुम्हारे पास आना चाहा, कि जैसा मुझे दूसरी अन्यजातियों में फल मिला, वैसा ही तुम में भी मिले, परन्तु अब तक रोका गया।


यदि सेवा करने का दान मिला हो, तो सेवा में लगा रहे; यदि कोई सिखानेवाला हो, तो सिखाने में लगा रहे;


इसलिये हम उन बातों में लगे रहें जिनसे मेलमिलाप और एक दूसरे का सुधार हो।


हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उसकी भलाई के लिये प्रसन्न करे कि उसकी उन्नति हो।


अत: क्या करना चाहिए? मैं आत्मा से भी प्रार्थना करूँगा, और बुद्धि से भी प्रार्थना करूँगा; मैं आत्मा से गाऊँगा, और बुद्धि से भी गाऊँगा।


क्योंकि जो अन्य भाषा में बातें करता है वह मनुष्यों से नहीं परन्तु परमेश्‍वर से बातें करता है; इसलिये कि उसकी बातें कोई नहीं समझता, क्योंकि वह भेद की बातें आत्मा में होकर बोलता है।


यदि अन्य भाषा में बातें करनी हों तो दो या बहुत हो तो तीन जन बारी–बारी से बोलें, और एक व्यक्‍ति अनुवाद करे।


पर सारी बातें शालीनता और व्यवस्थित रूप से की जाएँ।


तुम अभी तक समझ रहे होगे कि हम तुम्हारे सामने प्रत्युत्तर दे रहे हैं। हम तो परमेश्‍वर को उपस्थित जानकर मसीह में बोलते हैं, और हे प्रियो, सब बातें तुम्हारी उन्नति ही के लिये कहते हैं।


इस कारण मैं तुम्हारे पीठ पीछे ये बातें लिखता हूँ, कि उपस्थित होकर मुझे उस अधिकार के अनुसार जिसे प्रभु ने बिगाड़ने के लिये नहीं पर बनाने के लिये मुझे दिया है, कड़ाई से कुछ करना न पड़े।


जिस से पवित्र लोग सिद्ध हो जाएँ और सेवा का काम किया जाए और मसीह की देह उन्नति पाए,


जिससे सारी देह, हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर और एक साथ गठकर, उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक अंग के ठीक–ठीक कार्य करने के द्वारा उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए।


कोई गन्दी बात तुम्हारे मुँह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही निकले जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उससे सुननेवालों पर अनुग्रह हो।


और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने–अपने मन में प्रभु के सामने गाते और कीर्तन करते रहो।


इस कारण एक दूसरे को शान्ति दो और एक दूसरे की उन्नति का कारण बनो, जैसा कि तुम करते भी हो।


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