7 वह अपने प्रेमियों का पीछा करेगी, पर वह उन्हें पकड़ न पाएगी, वह उन्हें खोजेगी, पर वह उन्हें पा न सकेगी। तब वह यह कहेगी : ‘मैं अपने पुराने पति के पास लौट जाऊंगी; क्योंकि मेरी उस समय की स्थिति आज की स्थिति से अच्छी थी।’
7 वह अपने प्रेमियों के पीछे भागेगी किन्तु वह उन्हें प्राप्त नही कर सकेगी। वह अपने प्रेमियों को ढूँढ़ती फिरेगी किन्तु उन्हे ढूँढ़ नहीं पायेगी। फिर वह कहेगी, ‘मैं अपने पहले पति (परमेश्वर) के पास लौट जाऊँगी। जब मैं उसके साथ थी, मेरी जीवन बहुत अच्छा था। आज की अपेक्षा, उन दिनों मेरा जीवन अधिक सुखी था।’
7 वह अपने यारों के पीछे चलने से भी न पाएगी; और उन्हें ढूंढ़ने से भी न पाएगी। तब वह कहेगी, मैं अपने पहिले पति के पास फिर जाऊंगी, क्योंकि मेरी पहिली दशा इस समय की दशा से अच्छी थी।
7 वह अपने यारों के पीछे चलने से भी उन्हें न पाएगी; और उन्हें ढूँढ़ने से भी न पाएगी। तब वह कहेगी, ‘मैं अपने पहले पति के पास लौट जाऊँगी, क्योंकि मेरी पहली दशा इस समय की दशा से अच्छी थी।’
7 वह अपने प्रेमियों का पीछा करेगी पर उन्हें पकड़ नहीं सकेगी; वह उन्हें खोजेगी पर वे उसे नहीं मिलेंगे. तब वह कहेगी, ‘मैं पहले के समान अपने पति के पास लौट जाऊंगी, क्योंकि तब मेरी स्थिति अब की अपेक्षा बेहतर थी.’
7 वह अपने यारों के पीछे चलने से भी उन्हें न पाएगी; और उन्हें ढूँढ़ने से भी न पाएगी। तब वह कहेगी, ‘मैं अपने पहले पति के पास फिर लौट जाऊँगी, क्योंकि मेरी पहली दशा इस समय की दशा से अच्छी थी।’
सीरिया के राष्ट्रीय देवताओं ने उसको पराजित किया था, अत: वह दमिश्क की वेदियों पर उनको बलि चढ़ाने लगा। वह यह सोचता था, ‘सीरिया के राजाओं के देवताओं ने युद्ध में उनकी सहायता की थी; अब यदि मैं उनको बलि चढ़ाऊंगा तो वे मेरी भी सहायता करेंगे।’ किन्तु सीरिया के ये देवता आहाज और समस्त इस्राएलियों के विनाश का कारण बन गए।
अन्य जातियां निस्सार मूर्तियों की आशा करती हैं। क्या उन में सामर्थ्य है कि वे आकाश से वर्षा कर दें? क्या स्वयं आकाश वर्षा कर सकता है? हे हमारे प्रभु परमेश्वर, क्या तू पहले-जैसा ‘वह’ नहीं रहा? प्रभु, हम तेरी ही आस लगाए बैठे हैं; क्योंकि तू ही इन सब कामों को करता है।
‘जा, यरूशलेम नगरी से यह कह: प्रभु यों कहता है: ओ यरूशलेम, मुझे तेरी भक्ति स्मरण है, जब तू जवान थी, तूने मुझे दुल्हन-सा प्रेम दिया था! तू पतिव्रता स्त्री के समान निर्जन प्रदेश में मेरे पीछे-पीछे चली थी। उस निर्जन भूमि में हल भी नहीं चला था।
ओ इस्राएल, तेरे देवता कहां गए, जिनकी मूर्तियां तूने अपने हाथ से गढ़ी थीं? वे तेरे इस संकट-काल में उठें, और तुझ को बचाएं! ओ यहूदा प्रदेश, जितने तेरे नगर हैं, उतने ही तेरे देवता हैं!
‘कहो, यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी को त्याग दे, और उसकी पत्नी दूसरे पुरुष की स्त्री हो जाए तो क्या वह उसके पास लौटेगा? क्या उसके ऐसे आचरण से सारा देश भ्रष्ट नहीं हो जाएगा? ओ इस्राएली जनता, तू अनेक प्रेमियों के साथ व्यभिचार कर चुकी है। क्या अब तू मेरे पास लौटेगी?’ प्रभु की यह वाणी है।
‘मैंने एफ्रइम को विलाप करते हुए सुना है। वह मुझ से कह रहा था, “तूने मुझे सजा दी, और मैं ताड़ित हुआ, मानो मैं नवसीखिए बछड़े के समान हूं जो जूए में जोतने के योग्य नहीं होता और बहुत ताड़ना पाता है। मुझे स्वदेश वापस ले जा, तब मैं पुन: प्रतिष्ठित होऊंगा, क्योंकि तू ही मेरा प्रभु परमेश्वर है।
यह विधान उस विधान के समान नहीं होगा, जो मैंने उनके पूर्वजों से स्थापित किया था। जब मैं उनका हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया था, तब मैंने उनसे विधान स्थापित किया था। किन्तु उन्होंने मेरे विधान को तोड़ डाला था, यद्यपि मैं उन का स्वामी था। मुझ-प्रभु की यह वाणी है।’
जो हम करते थे, करते हैं, और जो हमारे पूर्वजों ने, राजाओं ने, और हमारे उच्चाधिकारियों ने यहूदा प्रदेश के नगरों में, यरूशलेम की गलियों में किया था, वह करते रहेंगे। हम आकाश की रानी की मन्नतें मानेंगे, उसको धूप जलाएंगे, और उसको पेयबलि चढ़ाएंगे। उन दिनों में हम सुख-समृद्धि से रहते थे, पेट भर रोटी खाते थे, और हम पर कोई विपत्ति नहीं आई थी।
‘मैं फिर तेरे पास से गुजरा, और तुझ पर दृष्टि की, तो देखा कि तेरी उम्र प्रेम करने के लायक हो गई है। मैंने तेरे शरीर पर अपनी चादर डाल दी, और यों तेरी नग्नता ढांप दी। मैंने सौगन्ध खाकर तुझे वचन दिया, और तेरे साथ विधान स्थापित किया, और इस प्रकार तू मेरी पत्नी बन गई।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
‘तुम्हारे हृदय में यह इच्छा उठती है, “आओ, हम भी अन्य राष्ट्रों के समान, भिन्न-भिन्न देशों की जातियों के समान पत्थर और लकड़ी की प्रतिमाएं पूजें।” ओ इस्राएल के वंशजो, तुम्हारी यह इच्छा कभी पूरी नहीं होगी।
‘ओ ओहोलीबा, स्वामी-प्रभु यों कहता है, तेरे प्रेमी तुझ से ऊब गए हैं। मैं इन्हीं प्रेमियों को तेरे विरुद्ध उभाड़ूंगा और उनसे तुझ पर चारों ओर से आक्रमण कराऊंगा। वे तुझ पर चढ़ाई करेंगे :
‘बड़ी बहिन का नाम ओहोलाऔर छोटी बहिन का नाम ओहोलीबा था। मैंने उन दोनों बहिनों को अपना लिया। उनके पुत्र-पुत्रियाँ उत्पन्न हुए। ‘ओहोला मानो सामरी नगर है, और यरूशलेम ओहोलीबा है।
‘यह दण्ड प्रहरियों के आदेश के अनुसार दिया गया। यह निर्णय पवित्र दूतों के वचन के अनुरूप है। यह इसलिए दिया गया कि जीव-लोक के प्राणी जान लें कि सर्वोच्च परमेश्वर मनुष्यों के राज्य पर शासन करता है, और वह जिस को चाहता है, उसको यह राज्य देता है, और उस पर शासन करने के लिए छोटे-से-छोटे मनुष्य को भी नियुक्त करता है।’
आप मनुष्य-समाज के बीच से निकाल दिए जाएंगे, और आपको वन-पशुओं के साथ रहना पड़ेगा। आप बैल के समान घास चरेंगे, और आकाश की ओस में भीगा करेंगे। सात वर्ष तक आपकी यही दशा रहेगी। उसके बाद आपको अनुभव होगा कि सर्वोच्च परमेश्वर ही मनुष्यों के राज्य पर शासन करता है, और वह जिसको चाहता है, उसको यह राज्य दे देता है।
तू मनुष्य-समाज के बीच से निकाल दिया जाएगा, और तुझको वन-पशुओं के साथ रहना पड़ेगा। तू बैल के समान घास चरेगा। सात वर्ष तक तेरी यही दशा रहेगी। उसके बाद ही तुझको अनुभव होगा कि सर्वोच्च परमेश्वर ही मनुष्यों के राज्य पर शासन करता है, और वह जिसको चाहता है, उसको यह राज्य दे देता है।”
वह मनुष्य-समाज से बहिष्कृत कर दिए गए और उनका हृदय पशु के हृदय के सदृश बन गया। वह जंगली गधों के साथ जंगल में रहते थे। वह बैल के समान घास खाया करते थे। उनका शरीर आकाश की ओस से भीगा करता था। तब उन्हें अनुभव हुआ कि केवल सर्वोच्च परमेश्वर ही मनुष्यों के राज्य पर शासन करता है और वह जिसको चाहता है, उसको राजा के रूप में प्रतिष्ठित करता है।
प्रभु का सन्देश होशे के माध्यम से यों आरम्भ हुआ : प्रभु ने होशे को आदेश दिया, ‘जा, किसी वेश्या स्त्री से विवाह कर और उससे सन्तान उत्पन्न कर। यह सन्तान भी अपनी मां के समान निष्ठावान नहीं होगी। इस देश ने मुझ-प्रभु का अनुसरण करना छोड़ दिया है, और यह अन्य देवताओं की पूजा करने लगा है। यह देश वेश्या के समान मेरे प्रति निष्ठावान नहीं रहा।’
जब एफ्रइम ने अपना घाव देखा, और यहूदा ने अपना रोग, तब एफ्रइम असीरिया देश को गया। उसने अविलम्ब सम्राट से सहायता मांगी। पर वह उसे स्वस्थ नहीं कर सकता है, वह उसके घाव नहीं भर सकता है।
मैं जा रहा हूं, मैं अपने स्थान को लौट रहा हूं, जब तक वे अपना अपराध स्वीकार न करेंगे और मेरा दर्शन पाने का प्रयत्न न करेंगे; जब तक अपने संकट में मुझे नहीं ढूंढ़ेंगे, मैं उनसे विमुख रहूंगा।