उस समय उस कौम के लोग जिनसे दूर और पास के सब देश डरते हैं, जो ऊंचे-ऊंचे और चिकनी चमड़ीवाले हैं, जो शक्तिशाली और विजयी राष्ट्र हैं, जिनका देश नदियों के द्वारा कटा हुआ है, स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु को भेंट चढ़ाएंगे। उनकी भेंट सियोन पर्वत पर, जहाँ स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु का नाम प्रतिष्ठित है लाई जाएगी।
इसलिए आप ही समीप जाइए। जो बातें हमारा प्रभु परमेश्वर आपसे कहेगा, उनको आप ही सुनिए। आप ही हमें वे सब बातें बताना, जो हमारा प्रभु परमेश्वर आपको बताएगा। हम उन्हें सुनेंगे, और उनके अनुसार कार्य करेंगे।”
तू नरकट की नावों पर नील नदी के जलमार्ग से राजदूतों को भेजता है : “द्रुतगामी दूतो, उस राष्ट्र के पास जाओ, जिसके निवासी ऊंचे-ऊंचे, और चिकनी चमड़ी वाले हैं; उस कौम के पास जाओ, जिससे दूर और पास के सब देश डरते हैं, जो शक्तिशाली और विजयी राष्ट्र है, जिसका देश नदियों द्वारा कटा हुआ है।
इसने ही दुनिया को रेगिस्तान बना दिया था; जिन नगरों ने इसके बन्दियों को उनके घर लौटने नहीं दिया था, उनको इसने उलट-पुलट दिया था। क्या यह वही सम्राट है?”
ओ राग-रंग में डूबी हुई, निश्चिंत जीवन बितानेवाली, मेरी बात सुन! तू अपने हृदय में यह कहती है, ‘केवल मैं ही हूं, मुझे छोड़ दूसरी स्वामिनी है ही नहीं। मैं विधवा की तरह नहीं रहूंगी, और न मैं निस्संतान हूंगी।’
यह वैभवपूर्ण नगरी है। इसे अपनी सुरक्षा पर विश्वास था। यह अपने हृदय में सोचती थी: ‘बस मैं ही हूं, मेरे समान कोई अन्य नगरी नहीं है।’ इसका कैसा विनाश हुआ! यह जंगली पशुओं की मांद बन गई। यहां से गुजरनेवाले थू-थू करते हैं, वे हाथों से उपेक्षा जताते हैं।