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सभोपदेशक 9:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 मनुष्‍य अपना समय नहीं जानता। जैसे मछली कुटिल जाल में फंस जाती है, जैसे पक्षी फंदे में फंस जाते हैं, वैसे ही मनुष्‍य समय-जाल में फंस जाते हैं। यह जाल अचानक उन पर पड़ता है।

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पवित्र बाइबल

12 कोई भी व्यक्ति यह नहीं जानता है कि इसके बाद उसके साथ क्या होने वाला है। वह जाल में फँसी उस मछली के समान होता है जो यह नहीं जानती कि आगे क्या होगा। वह उस जाल मैं फँसी चिड़िया के समान होता है जो यह नहीं जानती कि क्या होने वाला है? इसी प्रकार एक व्यक्ति उन बुरी बातों में फाँस लिया जाता है जो उसके साथ घटती हैं।

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Hindi Holy Bible

12 क्योंकि मनुष्य अपना समय नहीं जानता। जैसे मछलियां दुखदाई जाल में बझतीं और चिडिय़े फन्दे में फंसती हैं, वैसे ही मनुष्य दुखदाई समय में जो उन पर अचानक आ पड़ता है, फंस जाते हैं॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 क्योंकि मनुष्य अपना समय नहीं जानता। जैसे मछलियाँ दु:खदाई जाल में और चिड़ियें फन्दे में फँसती हैं, वैसे ही मनुष्य दु:खदाई समय में जो उन पर अचानक आ पड़ता है, फँस जाते हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

12 इसके अतिरिक्‍त, मनुष्य नहीं जानता कि उसका समय कब आएगा। जैसे मछलियाँ जाल में, और पक्षी फंदे में फँस जाते हैं, वैसे ही मनुष्य ऐसे बुरे समय में फँस जाते हैं जो उन पर अचानक आ पड़ता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

12 मनुष्य अपने समय के बारे में नहीं जानता: जैसे बुरे जाल में फंसी एक मछली के, और फंदे में फंसे पक्षियों के समान, वैसे ही मनुष्य बुरे समय में जा फंसेगा जब यह अचानक ही उस पर आ पड़ेगा.

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सभोपदेशक 9:12
28 क्रॉस रेफरेंस  

वह दुर्जनों पर अंगार और गंधक की वर्षा करेगा; झुलसाने वाली प्रचण्‍ड लू उन्‍हें झेलनी पड़ेगी।


वे अचानक विपत्ति ढाहते हैं। कौन जानता है कि वे किस प्रकार की विपत्ति ढाहेंगे?


दुर्जन अपने अपराध के फन्‍दे में फंसता है; किन्‍तु धार्मिक मनुष्‍य अपने धर्म के कारण सदा गीत गाता और आनन्‍द मनाता है।


अत: उस पर अचानक ही विपत्ति का आक्रमण होगा; वह पल-भर में नष्‍ट हो जाएगा, और उसके बचने की कोई आशा नहीं रहेगी।


मनुष्‍य और पशु एक ही गति को प्राप्‍त होते हैं। जैसे पशु मरता है वैसे ही मनुष्‍य भी। उन सब में एक ही से प्राण हैं। मनुष्‍य पशु से श्रेष्‍ठ नहीं है। अत: सब व्‍यर्थ है।


दुष्‍कर्म के लिए व्यक्‍ति को जल्‍दी दण्‍ड नहीं मिलता, इसलिए मनुष्‍यों का हृदय दुष्‍कर्म करने में लगा रहता है।


ऐसा कौन मनुष्‍य है जिसका वश प्राण पर चले, और वह प्राण के निकलते समय उसको रोक ले? मृत्‍यु के दिन पर मरनेवाले का अधिकार नहीं होता। युद्ध से छुटकारा नहीं मिलता, और न दुर्जन व्यक्‍ति अपनी दुर्जनता के कारण मृत्‍यु से बच सकता है।


मैंने सूर्य के नीचे धरती पर बुद्धि का एक उदाहरण देखा। यह मुझे बड़ा महत्‍वपूर्ण लगा।


जो व्यक्‍ति आतंक का स्‍वर सुनकर भागेगा, वह गड्ढे में गिरेगा; और जो व्यक्‍ति गड्ढे से बचकर बाहर निकल आएगा, वह फंदे में फंसेगा, क्‍योंकि आकाश के झरोखे खुल गए हैं, और पृथ्‍वी की नींव कांप रही है।


इस कारण तुम्‍हारा यह अनिष्‍ट होगा: जैसे एक ऊंची दीवार का कुछ भाग टूट कर आगे निकल आता है, और गिरनेवाला होता है; अचानक, क्षण-भर में टूटकर गिर पड़ता है, ऐसी ही दशा तुम्‍हारी होगी।


स्‍वामी-प्रभु यों कहता है: मैं अनेक जातियों की सेना के द्वारा तुझको पकड़ने के लिए तुझ पर जाल फेंकूंगा, और वे तुझको मेरे महाजाल में फंसा कर पानी से बाहर खींच लेंगे।


जब वे आएंगे तब मैं उन पर अपना जाल फेंकूंगा। आकाश के पक्षियों के समान मैं उनको फंसाकर नीचे लाऊंगा। मैं उनके कुकर्मों के लिए उन्‍हें दण्‍ड दूंगा।


मेरे परमेश्‍वर के निज लोगों का, एफ्रइम का प्रहरी है − नबी! पर उसके मार्ग पर बहेलिए का जाल बिछाया गया। उसके परमेश्‍वर के भवन में घृणा फैलाई गई।


परन्‍तु परमेश्‍वर ने उस से कहा, ‘मूर्ख! इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा और तूने जो इकट्ठा किया है, वह अब किसका होगा?’


यह अच्‍छी तरह समझ लो−यदि घर के स्‍वामी को मालूम होता कि चोर किस घड़ी आएगा, तो वह अपने घर में सेंध लगने नहीं देता।


क्‍योंकि वह कहता है, “उपयुक्‍त समय में मैंने तुम्‍हारी प्रार्थना सुनी; उद्धार के दिन मैंने तुम्‍हारी सहायता की।” और देखिए, अभी उपयुक्‍त समय है, अभी उद्धार का दिन है।


जब लोग यह कहेंगे, “अब तो शान्‍ति और सुरक्षा है”, तभी विनाश, गर्भवती की प्रसव-पीड़ा की तरह, उन पर अचानक आ पड़ेगा और वे उससे नहीं बच सकेंगे।


इस प्रकार होश में आ कर वे शैतान के फन्‍दे से निकल जायें, जिस में फंस कर वे उसकी इच्‍छापूर्ति के दास बन गये हैं।


अन्‍यधर्मियों के बीच आप लोगों का आचरण निर्दोष हो। इस प्रकार जो अब आप को कुकर्मी कहकर आपकी निन्‍दा करते हैं, वे आपके सत्‍कर्मों को देख कर कृपा-दिवस पर परमेश्‍वर की स्‍तुति करेंगे।


किन्‍तु वे विवेकहीन पशुओं के समान हैं, जो स्‍वभावत: शिकार बनने और मारे जाने के लिए पैदा होते हैं। वे ऐसी बातों की निन्‍दा करते हैं, जिन्‍हें नहीं समझते। वे पशुओं की तरह नष्‍ट हो जायेंगे


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