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सभोपदेशक 9:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 मैंने पुन: अनुभव किया कि सूर्य के नीचे इस धरती पर तेज दौड़ने वाला धावक नहीं जीतता, और न बलवान योद्धा लड़ाई जीतता है। बुद्धिमान मनुष्‍य को भोजन नहीं मिलता, और न समझदारों को धन-सम्‍पत्ति। विद्वानों पर कोई कृपा नहीं करता। ये सब समय और संयोग के वश में हैं।

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पवित्र बाइबल

11 मैंने इस जीवन में कुछ और बातें भी देखी हैं जो न्याय संगत नहीं हैं। सबसे अधिक तेज दौड़ने वाला सदा ही दौड़ में नहीं जीतता, शक्तिशाली सेना ही युद्ध में सदा नहीं जीतती। सबसे अधिक बुद्धिमान व्यक्ति ही सदा अर्जित किये को नहीं खाता। सबसे अधिक चुस्त व्यक्ति ही सदा धन दौलत हासिल नहीं करता है और एक पढ़ा लिखा व्यक्ति ही सदा वैसी प्रशंसा प्राप्त नहीं करता जैसी प्रशंसा के वह योग्य है। जब समय आता है तो हर किसी के साथ बुरी बातें घट जाती हैं!

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Hindi Holy Bible

11 फिर मैं ने धरती पर देखा कि न तो दौड़ में वेग दौड़ने वाले और न युद्ध में शूरवीर जीतते; न बुद्धिमान लोग रोटी पाते न समझ वाले धन, और न प्रवीणों पर अनुग्रह होता है, वे सब समय और संयोग के वश में है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 फिर मैं ने धरती पर देखा कि न तो दौड़ में वेग दौड़नेवाले और न युद्ध में शूरवीर जीतते; न बुद्धिमान लोग रोटी पाते न समझवाले धन, और न प्रवीणों पर अनुग्रह होता है; वे सब समय और संयोग के वश में हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

11 मैंने संसार में यह भी देखा है कि न दौड़ में तेज़ दौड़नेवाले, और न युद्ध में शूरवीर जीतते हैं; न रोटी बुद्धिमानों को, न धन-संपत्ति समझदारों को, और न ही कृपा योग्य लोगों को प्राप्‍त होती है। सब कुछ समय और संयोग पर निर्भर करता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

11 मैंने दोबारा सूरज के नीचे देखा, कि न तो दौड़ में तेज दौड़ने वाले और न युद्ध में बलवान ही जीतते हैं, न बुद्धिमान को भोजन मिलता है और न ही ज्ञानवान को धन-दौलत और न ही योग्य को अनुग्रह; क्योंकि ये समय और संयोग के वश में हैं.

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सभोपदेशक 9:11
35 क्रॉस रेफरेंस  

प्रभु यों कहता है, ‘बुद्धिमान मनुष्‍य अपनी बुद्धि पर गर्व न करे, और न बलवान अपने बल पर। धनवान मनुष्‍य अपने धन का घमण्‍ड न करे।


मैंने अपने हृदय में कहा, “परमेश्‍वर ने प्रत्‍येक बात और हर एक कार्य का समय निश्‍चित कर रखा है; अत: वह धार्मिक मनुष्‍य और दुर्जन दोनों का न्‍याय करेगा।”


मैं यह जानता हूं कि जो कुछ परमेश्‍वर करता है, वह सदा बना रहेगा; उसमें न कुछ जोड़ा जा सकता है, और न उससे कुछ घटाया जा सकता है। परमेश्‍वर ने यह इसलिए किया है ताकि मनुष्‍य उससे डरे।


परमेश्‍वर सब बातों में अपने मन की योजना पूरी करता है। अपने उद्देश्‍य के अनुसार उसने निर्धारित किया कि हम मसीह में विरासत प्राप्‍त करें और हम लोगों के कारण उसकी महिमा की स्‍तुति हो। हम लोगों ने तो सब से पहले मसीह पर भरोसा रखा था।


उसने कहा, ‘ओ यहूदा प्रदेश के निवासियो तथा यरूशलेम के रहने वालो, और महाराज यहोशाफट, आप-सब प्रभु का सन्‍देश सुनिए : प्रभु आप से यों कहता है, “इस विशाल सेना से मत डरो, और न ही तुम्‍हारा हृदय कांपे; क्‍योंकि यह युद्ध तुम्‍हारे और उनके बीच में नहीं बल्‍कि उनके और मुझ-परमेश्‍वर के बीच है।


तू अपने प्रभु परमेश्‍वर का स्‍मरण रखना; क्‍योंकि प्रभु परमेश्‍वर ही सम्‍पत्ति अर्जित करने के लिए तुझे शक्‍ति देता है, जिससे वह अपने विधान को, जिसकी शपथ उसने तेरे पूर्वजों से खाई थी, पूरा करे, जैसा आज भी है।


फिर मैंने देखा कि सब परिश्रम और सारा कार्यकौशल अपने पड़ोसी के प्रति शत्रु-भावना से किया जाता है। अत: यह भी व्‍यर्थ है, यह मानो हवा को पकड़ना है।


वेग से दौड़नेवाला भाग भी नहीं सकता, और न ही योद्धा बच सकता है; उत्तर में फरात नदी है; देखो, वे उसके तट पर लड़खड़ा कर गिर रहे हैं।


परमेश्‍वर के कार्यों पर विचार करो: जिसको परमेश्‍वर ने टेढ़ा बनाया है, उसे कौन सीधा कर सकता है?


तब मैंने पुनर्विचार किया कि सूर्य के नीचे धरती पर कितना अत्‍याचार होता है। जिन पर अत्‍याचार होता है, वे आंसू बहाते हैं, पर उनके आंसू पोंछनेवाला कोई नहीं है। अत्‍याचार करनेवालों के पास शक्‍ति थी, किन्‍तु आंसू बहानेवालों के पास उन्‍हें सान्‍त्‍वना देनेवाला भी नहीं था।


अब मैं बुद्धि, पागलपन और मूर्खता पर विचार करने लगा, क्‍योंकि उत्तराधिकारी जो राजा के पीछे आएगा, वह क्‍या कर सकता है? वही न, जो राजा कर चुका है?


यदि परमेश्‍वर चुप रहता है तो उसको कौन दोषी ठहरा सकता है? जब वह अपना मुख छिपा लेता है तब कौन उसका दर्शन पा सकता है, वह चाहे कोई राष्‍ट्र हो अथवा मनुष्‍य?


अबशालोम तथा सब इस्राएली सैनिकों ने कहा, ‘अर्की हूशय की सलाह अहीतोफल की सलाह से उत्तम है।’ प्रभु ने यह निश्‍चय किया था कि वह अहीतोफल की अच्‍छी सलाह को निष्‍फल कर देगा जिससे अबशालोम पर ही विपत्ति आए।


तुम धार्मिक और अधार्मिक में पुन: भेद पहचानोगे; तुम जानोगे कि कौन व्यक्‍ति मुझ-परमेश्‍वर की सेवा करता है, और कौन व्यक्‍ति मेरी सेवा नहीं करता।’


यों दाऊद ने गोफन और पत्‍थर से पलिश्‍ती योद्धा पर विजय प्राप्‍त की। उसने उस पर प्रहार किया और उसे मार डाला। दाऊद के हाथ में तलवार नहीं थी।


पृथ्‍वी के समस्‍त निवासी उसके सम्‍मुख नगण्‍य हैं; वह स्‍वर्ग की सेना में, पृथ्‍वी के प्राणियों के मध्‍य, अपनी इच्‍छा के अनुसार कार्य करता है। कोई उसका हाथ रोक नहीं सकता, और न प्रश्‍न पूछने का साहस कर सकता है, कि “तूने यह क्‍या किया?’ ”


जब अहीतोफल ने यह देखा कि उसकी सलाह के अनुसार कार्य नहीं किया गया, तब उसने अपने गधे पर काठी कसी और अपने घर, अपने नगर को चला गया। वहाँ उसने अपने घर की व्‍यवस्‍था की। उसके बाद उसने फांसी लगा कर आत्‍महत्‍या कर ली। उसको उसके पिता की कबर में गाड़ा गया।


सावधान! ऐसा न हो कि तू अपने हृदय में कहे, “मैंने अपनी शक्‍ति से, अपने भुजबल से यह सम्‍पत्ति अर्जित की है।”


किन्‍तु उस पर दृष्‍टि रखो! यदि वह अपने देश की सीमा बेतशेमश के मार्ग की ओर जाएगी, तो हम जान लेंगे कि इस्राएल के परमेश्‍वर ने ही यह बड़ा अनिष्‍ट किया है। पर यदि गाड़ी उस ओर नहीं जाएगी तो हम समझ लेंगे कि उसके हाथ ने हम पर प्‍लेग का प्रहार नहीं किया था; वरन् संयोगवश प्‍लेग फैला था।’


वीर हृदय स्‍वयं लुट गए; वे चिर निद्रा में डूब गए; सैनिक अपने हाथ चलाने में असमर्थ थे।


बुद्धिमान भी इन वचनों को सुने, और वह अपनी विद्या को बढ़ाए; समझदार व्यक्‍ति जीवन-रूपी नौका को खेने की कुशलता प्राप्‍त करे।


सब की नियति एक ही है: धार्मिक और अधार्मिक, भला और बुरा, शुद्ध और अशुद्ध, बलि चढ़ानेवाला− बलि न चढ़ानेवाला। जो नियति अच्‍छे मनुष्‍य की है वही पापी मनुष्‍य की है। जो अपनी शपथ को पूरा करता है, उसकी नियति वही है, जो अपनी शपथ का उल्‍लंघन करता है।


तब दूत ने मुझे बताया, ‘जरूब्‍बाबेल के लिए प्रभु का यह सन्‍देश है: स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: बल से नहीं, शक्‍ति से नहीं, वरन् मेरे आत्‍मा के द्वारा।


जो बुराइयाँ सूर्य के नीचे इस धरती पर विद्यमान हैं उनमें से एक यह नियति है : सब मनुष्‍य एक ही गति को प्राप्‍त होते हैं। मनुष्‍यों के हृदय बुराई से भरे हैं। जब तक वे जीवित रहते हैं, उनमें पागलपन समाया रहता है। उसके बाद वे मृतकों में मिल जाते हैं।


‘ओ मोआब के सैनिको, तुम यह कैसे कह सकते हो कि तुम वीर सैनिक हो, महायोद्धा हो?


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