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सभोपदेशक 7:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

16 अत: अत्‍यधिक धार्मिक मत बनो, और न अत्‍यधिक बुद्धिमान! अन्‍यथा तुम अपने पैरों पर स्‍वयं कुल्‍हाड़ी मारोगे।

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पवित्र बाइबल

16-17 सो अपने को हलकान क्यों करते हो? न तो बहुत अधिक धर्मी बनो और न ही बुद्धिमान अन्यथा तुम्हें एसी बातें देखने को मिलेगी जो तुम्हें आघात पहुँचाएगी न तो बहुत अधिक दुष्ट बनो और न ही मूर्ख अन्यथा समय से पहले ही तुम मर जाओगे।

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Hindi Holy Bible

16 अपने को बहुत धर्मी न बना, और न अपने को अधिक बुद्धिमान बना; तू क्यों अपने ही नाश का कारण हो?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

16 अपने को बहुत धर्मी न बना, और न अपने को अधिक बुद्धिमान बना; तू क्यों अपने ही नाश का कारण हो?

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नवीन हिंदी बाइबल

16 तू न तो अधिक धर्मी बन, और न अधिक बुद्धिमान। तू क्यों अपने ही नाश का कारण बने?

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सरल हिन्दी बाइबल

16 बहुत धर्मी न होना, और न ही बहुत बुद्धिमान बनना. इस प्रकार तुम अपना ही विनाश क्यों करो?

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सभोपदेशक 7:16
25 क्रॉस रेफरेंस  

उस कृपा के अधिकार से, जो मुझे प्राप्‍त हुई है, मैं आप लोगों में हर एक से यह कहता हूँ: अपने को औचित्‍य से अधिक महत्व मत दीजिए। परमेश्‍वर द्वारा प्रदत्त विश्‍वास की मात्रा के अनुरूप हर एक को अपने विषय में सन्‍तुलित विचार रखना चाहिए।


यदि तुझे शहद खाना पड़े तो उतना ही खाना, जितना आवश्‍यक हो। क्‍योंकि अधिक खाने पर तू उल्‍टी कर देगा।


आप अपने को ऐसे लोगों द्वारा अपने पुरस्‍कार से वंचित न होने दें, जो तपस्‍या, स्‍वर्गदूतों की पूजा और अपने तथा-कथित दिव्‍य दृश्‍यों को अनुचित महत्व देते हैं। वे लोग अपनी सांसारिक बुद्धि के कारण घमण्‍ड से फूल जाते हैं


मनमानी व्यक्‍तिगत साधना, तपस्‍या और कठोर आत्‍म-संयम द्वारा ज्ञान का दिखावा तो होता है, किन्‍तु ये शरीर की वासनाओं का दमन करने में असमर्थ हैं।


कोई भी अपने को धोखा न दे। यदि आप में से कोई स्‍वयं को संसार की दृष्‍टि से ज्ञानी समझता हो, तो वह सचमुच ज्ञानी बनने के लिए अपने को मूर्ख बना ले;


प्रिय शिष्‍य, इनके अतिरिक्‍त अन्‍य शिक्षाओं से सावधान रहना। अनेक पुस्‍तकों के रचना-कार्य का अन्‍त नहीं होता। अत्‍यधिक अध्‍ययन से शरीर थक जाता है।


स्‍त्री ने देखा कि आहार के लिए वृक्ष उत्तम है। वह आंखों को लुभाता है, और बुद्धिमान बनने के लिए वांछनीय है। अत: उसने उसका फल तोड़ा, और उस को खाया। उसने अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था, और उसने भी खाया।


मैं सप्‍ताह में दो बार उपवास करता हूँ और अपनी सारी आय का दशमांश दान करता हूँ।’


पूंजीपति बनने के लिए अपना पसीना मत बहाना; इस लोभ से बचने में ही बुद्धिमानी है।


जो विवाह का निषेध करते हैं और कुछ भोज्‍य वस्‍तुओं से परहेज करने का आदेश देते हैं−यद्यपि परमेश्‍वर ने उन व‍स्‍तुओं की सृष्‍टि इसलिए की है कि सत्‍य जानने वाले विश्‍वासी धन्‍यवाद देते हुए उन्‍हें ग्रहण करें।


मेरा धर्मोत्‍साह ऐसा था कि मैंने कलीसिया पर अत्‍याचार किया। व्‍यवस्‍था पर आधारित धार्मिकता की दृष्‍टि से मैं निर्दोष था।


और यह भी लिखा है, “प्रभु जानता है कि ज्ञानियों के तर्क-वितर्क निस्‍सार हैं।”


भाइयो और बहिनो! कहीं ऐसा न हो कि आप अपने को बहुत बुद्धिमान समझ बैठें। इसलिए मैं आप लोगों पर यह रहस्‍य प्रकट करना चाहता हूँ—इस्राएल का एक भाग तब तक अन्‍धा बना रहेगा, जब तक गैर-यहूदियों की पूरी जनसंख्‍या का प्रवेश न हो जाये।


तब योहन के शिष्‍य आए और यह बोले, “क्‍या कारण है कि हम और फरीसी बहुत उपवास करते हैं, किन्‍तु आपके शिष्‍य उपवास नहीं करते?”


परमेश्‍वर ने मनुष्‍य से कहा, “देखो, मुझ-प्रभु की भक्‍ति करना ही बुद्धिमानी है; और बुराई से दूर रहना ही समझदारी है!” ’


यदि जंगली गदही से मनुष्‍य का बच्‍चा पैदा हो सकता है, तो मूर्ख मनुष्‍य को भी सद्बुद्धि प्राप्‍त हो सकती है!


वे अपने सिर पर धूल डाल कर, रोते और विलाप करते हुए ऊंचे स्‍वर से कहते थे, “शोक! शोक इस महा नगरी पर! इस के वैभव से जहाज के सब मालिक धनी बन गये। यह घड़ी-भर में ही उजाड़ हो गयी।”


मैं उनके विषय में यह साक्षी दे सकता हूँ कि उन में परमेश्‍वर के प्रति उत्‍साह है, किन्‍तु यह उत्‍साह विवेकपूर्ण नहीं है।


देखो, अब तुम्‍हारा घर तुम्‍हारे लिए उजाड़ छोड़ दिया जाएगा।


“ढोंगी शास्‍त्रियो और फरीसियो! धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम नबियों के मकबरे बनाते और धर्मात्‍माओं के स्‍मारक सँवारते हो


वे अपना हर काम लोगों का ध्‍यान आकर्षित करने के लिए ही करते हैं। वे अपने तावीजों को चौड़ा और अपने वस्‍त्रों की झालरों को लम्‍बा बनाते हैं।


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