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सभोपदेशक 5:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 जब सम्‍पत्ति बढ़ती है तब उसको खानेवाले भी बढ़ते हैं। अत: उसके स्‍वामी को उससे क्‍या लाभ? सिर्फ यह कि वह उसे केवल आंखों से देखे!

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पवित्र बाइबल

11 किसी व्यक्ति के पास जितना अधिक धन होगा उसे खर्च करने के लिये उसके पास उतने ही अधिक मित्र होंगे। सो उस धनी मनुष्य को वास्तव में प्राप्त कुछ नहीं होता है। वह अपने धन को बस देखता भर रह सकता है।

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Hindi Holy Bible

11 जब सम्पत्ति बढ़ती है, तो उसके खाने वाले भी बढ़ते हैं, तब उसके स्वामी को इसे छोड़ और क्या लाभ होता है कि उस सम्पत्ति को अपनी आंखों से देखे?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 जब सम्पत्ति बढ़ती है, तो उसके खानेवाले भी बढ़ते हैं, तब उसके स्वामी को इसे छोड़ और क्या लाभ होता है कि उस सम्पत्ति को अपनी आँखों से देखे?

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नवीन हिंदी बाइबल

11 जब संपत्ति बढ़ती है तो उसके खानेवाले भी बढ़ते हैं। अतः उसके स्वामी को इसके अतिरिक्‍त क्या लाभ होगा कि वह संपत्ति को अपनी आँखों से देखकर तृप्‍त हो?

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सरल हिन्दी बाइबल

11 जब अच्छी वस्तुएं बढ़ती हैं, तो वे भी बढ़ते हैं, जो उनको इस्तेमाल करते हैं. उनके स्वामी को उनसे क्या लाभ? सिवाय इसके कि वह इन्हें देखकर संतुष्ट हो सके.

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सभोपदेशक 5:11
16 क्रॉस रेफरेंस  

फरओ ने उसके कारण अब्राम से सद्व्‍यवहार किया। अब्राम को भेड़-बकरी, गाय-बैल, सेवक-सेविकाएँ, गधे-गदहियाँ और ऊंट प्राप्‍त हुए।


अब्राम अपने पशुओं और सोना-चांदी के कारण बहुत धनी हो गए थे।


धन-सम्‍पत्ति चंचल होती है, पलक झपकते वह हाथ से निकल जाती है; मानो उसको पंख उग आते हैं, और वह गरुड़ के समान तीव्र गति से आकाश की ओर उड़ जाती है।


ओ जवान, अपनी जवानी भर आनन्‍द मना, अपनी जवानी के दिनों में अपना हृदय आनन्‍द से भर ले। जिस मार्ग पर तेरा दिल तुझे ले जाए, जो मार्ग तेरी आंखों में उचित लगे, उस पर चल। किन्‍तु यह बात जान ले, तेरे सब कामों के विषय में स्‍पष्‍टीकरण के लिए परमेश्‍वर तुझे कटघरे में खड़ा करेगा।


इस प्रकार मैं यरूशलेम के भूतपूर्व राजाओं से अधिक महान और सम्‍पत्तिशाली हो गया। तो भी मेरी बुद्धि ने मेरा साथ नहीं छोड़ा।


मजदूर के लिए वरदान है− मीठी नींद, चाहे वह आधा पेट खाए चाहे पेट भर। किन्‍तु धनवान का धन बढ़ने से उसकी आंखों से नींद उड़ जाती है।


आंखों से देख लेना मन की चंचल कामनाओं से उत्तम है। अत: पेट के लिए परिश्रम करना भी निस्‍सार है, यह मानो हवा को पकड़ना है।


‘जो मनुष्‍य अन्‍यायपूर्ण साधनों से धन-सम्‍पत्ति संचित करता है, वह उस तीतरनी की तरह है, जो दूसरे पक्षियों के अण्‍डे सेती है। ऐसे मनुष्‍य के जीवन-काल में ही धन-सम्‍पत्ति उसका साथ छोड़ देती है; और अन्‍त में वह मूर्ख सिद्ध होता है।’


स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु की ओर से यह निर्धारित है : ये कौमें अग्‍नि में स्‍वाहा होने के लिए परिश्रम करती हैं, राष्‍ट्र व्‍यर्थ कष्‍ट झेलते हैं; क्‍योंकि उनका परिश्रम निष्‍फल होगा।


संसार में जो शरीर की वासना, आँखों का लोभ और धन-सम्‍पत्ति का घमण्‍ड है, वह सब पिता से नहीं, बल्‍कि संसार से आता है।


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