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सभोपदेशक 1:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

3 जो मेहनत मनुष्‍य इस धरती पर करता है, उसे उससे क्‍या प्राप्‍त होता है?

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पवित्र बाइबल

3 इस जीवन में लोग जो कड़ी मेहनत करते हैं, उससे उन्हें सचमुच क्या कोई लाभ होता है? नहीं!

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Hindi Holy Bible

3 उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य धरती पर करता है, उसको क्या लाभ प्राप्त होता है?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

3 उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य धरती पर करता है, उसको क्या लाभ प्राप्‍त होता है?

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नवीन हिंदी बाइबल

3 मनुष्य को अपने सारे परिश्रम से जो वह सूर्य के नीचे करता है, क्या लाभ होता है?

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सरल हिन्दी बाइबल

3 सूरज के नीचे मनुष्य द्वारा किए गए कामों से उसे क्या मिलता है?

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सभोपदेशक 1:3
23 क्रॉस रेफरेंस  

तब मैंने अपने कामों पर विचार किया, मैंने उस परिश्रम पर भी सोचा जो मैंने उन कामों पर किया था। मुझे अनुभव हुआ कि यह सब निस्‍सार है− यह मानो हवा को पकड़ना है। इस सूर्य के नीचे धरती पर मनुष्‍य के काम और परिश्रम से कुछ लाभ नहीं।


मैंने देखा कि मुझे अपने परिश्रम का फल उस उत्तराधिकारी के लिए छोड़ जाना होगा जो मेरे पीछे आनेवाला है। अत: मुझे अपने सम्‍पूर्ण परिश्रम से घृणा हो गई जो मैंने सूर्य के नीचे इस धरती पर किया था।


कौन जानता है कि मेरा उत्तराधिकारी बुद्धिमान होगा अथवा मूर्ख? तो भी धरती पर वह मेरे समस्‍त परिश्रम के फल को भोगेगा और जो कुछ मैंने बुद्धि से संग्रह किया है वह उसका स्‍वामी होगा।


सूर्य के नीचे पृथ्‍वी पर मन लगा कर किए गए परिश्रम से मनुष्‍य को क्‍या लाभ?


काम करने वाले को अपने परिश्रम से क्‍या लाभ होता है?


परन्‍तु मृत और जीवित व्यक्‍तियों से श्रेष्‍ठ है वह व्यक्‍ति जिसका जन्‍म नहीं हुआ है, जिसने सुर्य के नीचे धरती पर किए जाने वाले दुष्‍कर्मों को नहीं देखा है।


मैंने सूर्य के नीचे धरती पर पुन: निस्‍सारता को देखा:


यह दु:खद बुराई है, जैसा वह आया था ठीक वैसा ही यहाँ से लौट जायेगा। उसे अपने परिश्रम से क्‍या लाभ हुआ?


देखो, जो भली बात मैंने अनुभव की, और जो उचित भी है, वह यह है : “मनुष्‍य परमेश्‍वर द्वारा दिए गए अपने अल्‍पकाल के जीवन में सूर्य के नीचे धरती पर आनन्‍दपूर्वक परिश्रम करे, खाए और पीए, क्‍योंकि यही उसकी नियति है।”


मनुष्‍य अपना क्षणिक जीवन परछाँई के समान व्‍यतीत करता है; अत: कौन जानता है कि उसके लिए ऐसे जीवन में उत्तम क्‍या है? मनुष्‍य को कौन बता सकता है कि उसकी मृत्‍यु के पश्‍चात् सूर्य के नीचे धरती पर क्‍या होगा?


बुद्धि धन-सम्‍पत्ति के सदृश उत्तम है, जीवित व्यक्‍तियों के लिए बुद्धि लाभदायक है।


मैंने सूर्य के नीचे धरती पर बुद्धि का एक उदाहरण देखा। यह मुझे बड़ा महत्‍वपूर्ण लगा।


जो बुराइयाँ सूर्य के नीचे इस धरती पर विद्यमान हैं उनमें से एक यह नियति है : सब मनुष्‍य एक ही गति को प्राप्‍त होते हैं। मनुष्‍यों के हृदय बुराई से भरे हैं। जब तक वे जीवित रहते हैं, उनमें पागलपन समाया रहता है। उसके बाद वे मृतकों में मिल जाते हैं।


उनका प्रेम, उनकी घृणा, उनकी शत्रुता सब नष्‍ट हो गए। इस धरती के कार्य-व्‍यापार में अब उनका कोई भाग नहीं रहा।


जो भोजन नहीं है, उस पर पैसा क्‍यों खर्च करते हो? जिससे सन्‍तोष नहीं मिलता, उसके लिए परिश्रम क्‍यों करते हो? ध्‍यान से मेरी बात सुनो! तब तुम्‍हें खाने को उत्तम वस्‍तु प्राप्‍त होगी, और तुम स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजन खाकर तृप्‍त होगे।


स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु की ओर से यह निर्धारित है : ये कौमें अग्‍नि में स्‍वाहा होने के लिए परिश्रम करती हैं, राष्‍ट्र व्‍यर्थ कष्‍ट झेलते हैं; क्‍योंकि उनका परिश्रम निष्‍फल होगा।


‘जब मूर्तिकार मूर्ति को ढालता है, अथवा पत्‍थर पर खोदकर मूर्ति बनाता है, तब मूर्तिकार को क्‍या मिलता है? मूर्ति केवल मूर्ति है, असत्‍य का स्रोत है। जब मूर्तिकार अपनी बनाई हुई गूंगी मूर्ति पर विश्‍वास करता है, तब उसे क्‍या मिलता है?


मनुष्‍य को इससे क्‍या लाभ यदि वह सारा संसार तो प्राप्‍त कर ले, लेकिन अपना प्राण ही गँवा दे? अपने प्राण के बदले में मनुष्‍य क्‍या देगा?


नश्‍वर भोजन के लिए नहीं, बल्‍कि उस भोजन के लिए परिश्रम करो, जो शाश्‍वत जीवन तक बना रहता है और जिसे मानव-पुत्र तुम्‍हें देगा; क्‍योंकि पिता परमेश्‍वर ने मानव-पुत्र पर अपनी स्‍वीकृति की मोहर लगाई है।”


आप ऐसे लोगों का नेतृत्‍व स्‍वीकार करें और उन सब का भी, जो उनके साथ परिश्रम करते हैं।


हमारे पर का पालन करें:

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