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व्यवस्थाविवरण 6:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 तू प्रभु, अपने परमेश्‍वर को अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण प्राण और अपनी सम्‍पूर्ण शक्‍ति से प्रेम करना।

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पवित्र बाइबल

5 और तुम्हें यहोवा, अपने परमेश्वर से अपने सम्पूर्ण हृदय, आत्मा और शक्ति से प्रेम करना चाहिए।

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Hindi Holy Bible

5 तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्‍ति के साथ प्रेम रखना।

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सरल हिन्दी बाइबल

5 तुम याहवेह तुम्हारे परमेश्वर से अपने सारे हृदय, सारे प्राण, सारे मस्तिष्क तथा सारी शक्ति से प्रेम करो.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

5 तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे प्राण, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना।; (मत्ती 22:37, लूका 10:27)

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व्यवस्थाविवरण 6:5
26 क्रॉस रेफरेंस  

सुलेमान को प्रभु से प्रेम था। वह अपने पिता दाऊद की संविधियों पर चलता था। परन्‍तु वह भी पहाड़ी शिखर की वेदी पर पशु-बलि चढ़ाता था और सुगन्‍धित धूप-द्रव्‍य जलाता था।


योशियाह के पूर्व ऐसा कोई राजा नहीं हुआ था, जो योशियाह के समान सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण प्राण, और सम्‍पूर्ण शक्‍ति से मूसा की संपूर्ण व्‍यवस्‍था के अनुसार प्रभु की ओर लौटा। योशियाह के पश्‍चात् भी ऐसा राजा नहीं हुआ।


उसी दिन वे प्रभु के साथ स्‍थापित विधान की धर्मविधि में सम्‍मिलित हुए कि वे सम्‍पूर्ण हृदय और सम्‍पूर्ण प्राण से अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्‍वर के खोजी बनेंगे।


तब योशियाह मंच पर खड़ा हुआ। उसने प्रभु के साथ विधान की धर्मविधि सम्‍पन्न की कि वह प्रभु का अनुसरण करेगा, अपने सम्‍पूर्ण हृदय और सम्‍पूर्ण प्राण से उसकी आज्ञाओं, सािक्षयों, तथा संविधियों का पालन करेगा। वह इस विधान की पुस्‍तक में लिखे गए वचनों पर दृढ़ रहेगा।


धन्‍य हैं वे जो प्रभु की सािक्षयां मानते हैं, जो अपने सम्‍पूर्ण हृदय से प्रभु की खोज करते हैं,


तुम सब, जो प्रभु की प्रतीक्षा करते हो, शक्‍तिशाली बनो, और तुम्‍हारा हृदय साहस से भरा रहे।


“जो पुत्र अपने पिता या अपनी माता को मुझ से अधिक प्रेम करता है, वह मेरे योग्‍य नहीं। जो पिता अपने पुत्र या अपनी पुत्री को मुझ से अधिक प्रेम करता है, वह मेरे योग्‍य नहीं।


येशु ने उस से कहा, “ ‘अपने प्रभु परमेश्‍वर को अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण प्राण और सम्‍पूर्ण बुद्धि से प्रेम करो।’


अपने प्रभु परमेश्‍वर को अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण प्राण, सम्‍पूर्ण बुद्धि और सम्‍पूर्ण शक्‍ति से प्रेम करो।’


उसे अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण ज्ञान और सम्‍पूर्ण शक्‍ति से प्रेम करना और अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करना, यह हर प्रकार की अग्‍नि-बलि और पशु-बलि चढ़ाने से अधिक महत्‍वपूर्ण है।”


उसने उत्तर दिया, “अपने प्रभु परमेश्‍वर को अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण प्राण, सम्‍पूर्ण शक्‍ति और सम्‍पूर्ण बुद्धि से प्रेम करो और अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करो।”


‘अब, ओ इस्राएल, तेरा प्रभु परमेश्‍वर तुझ से क्‍या चाहता है? केवल यह कि तू अपने प्रभु परमेश्‍वर की भक्‍ति करे उसके सब मार्गों पर चले और उससे प्रेम करे; तू अपने सम्‍पूर्ण हृदय और सम्‍पूर्ण प्राण से अपने प्रभु परमेश्‍वर की सेवा करे,


‘तुम आज इस बात को समझ लो कि तुम्‍हारे बच्‍चों ने नहीं, वरन् तुमने शिक्षा प्राप्‍त की है।


‘यदि तुम मेरी आज्ञाओं को निश्‍चय ही मानोगे, जिनका आदेश आज मैं तुम्‍हें दे रहा हूँ, और अपने प्रभु परमेश्‍वर से प्रेम करोगे, अपने सम्‍पूर्ण हृदय और सम्‍पूर्ण प्राण से उसकी सेवा करोगे,


तो तू उस नबी अथवा स्‍वप्‍न-द्रष्‍टा की बातों को मत सुनना; क्‍योंकि तेरा प्रभु परमेश्‍वर यह जानने के लिए तेरी परीक्षा ले रहा है, कि क्‍या तू अपने सम्‍पूर्ण हृदय से, सम्‍पूर्ण प्राण से अपने प्रभु परमेश्‍वर को प्रेम करता है।


तू केवल अपने प्रभु परमेश्‍वर का अनुसरण करना, उसकी भक्‍ति करना, उसकी आज्ञाओं का पालन करना, और उसकी वाणी को सुनना। तू उसकी आराधना करना, और उससे सम्‍बद्ध रहना।


(यदि तू इन सब आज्ञाओं का पालन करेगा जिनका आदेश आज मैं तुझे दे रहा हूँ, और उनके अनुसार कार्य करेगा, अपने प्रभु परमेश्‍वर से प्रेम करेगा, और उसके मार्ग पर चलेगा) तो तू इन तीन नगरों के अतिरिक्‍त और तीन नगर पृथक करना।


यदि तू अपने प्रभु परमेश्‍वर की वाणी सुनेगा, जो आज्ञाएँ और संविधियाँ इस व्‍यवस्‍था की पुस्‍तक में लिखी हुई हैं, उनका पालन करेगा, यदि तू सम्‍पूर्ण हृदय और प्राण से अपने प्रभु परमेश्‍वर की ओर लौट आएगा, तो जैसे तेरे पूर्वजों को समृद्ध करने में प्रभु हर्षित होता था, वैसे ही वह तुझे समृद्ध करने में हर्षित होगा।


यदि तू अपने प्रभु परमेश्‍वर की आज्ञाओं का पालन करेगा, जिनका आदेश आज मैं तुझे दे रहा हूँ, यदि तू अपने प्रभु परमेश्‍वर से प्रेम करेगा और उसके मार्ग पर चलेगा, यदि तू उसकी आज्ञाओं, संविधियों और न्‍याय-सिद्धान्‍तों का पालन करेगा, तो तू जीवित रहेगा, और असंख्‍य होगा। प्रभु परमेश्‍वर तुझ को उस देश में, जिस पर अधिकार करने के लिए तू वहाँ जा रहा है, आशिष देगा।


अपने प्रभु परमेश्‍वर से प्रेम करें, उसकी वाणी सुनें और उससे चिपके रहें। यही तेरे जीवन का अभिप्राय है। इस पर ही तेरी दीर्घायु निर्भर है। तब तू उस भूमि पर निवास कर सकेगा, जिसकी शपथ प्रभु ने तेरे पूर्वजों से, अब्राहम, इसहाक और याकूब से खाई थी कि वह उनको प्रदान करेगा।’


प्रभु परमेश्‍वर तेरे लोगों का और उनके वंशजों का हृदय विनम्र बनाएगा कि वे अपने प्रभु परमेश्‍वर को सम्‍पूर्ण हृदय से, सम्‍पूर्ण प्राण से प्रेम कर सकें और जीवित रहें।


किन्‍तु वहां से ही तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर की खोज करोगे। यदि तुम अपने सम्‍पूर्ण हृदय से, अपने सम्‍पूर्ण प्राण से उसकी खोज करोगे, तो तुम उसे प्राप्‍त भी कर सकोगे।


प्रभु के सेवक मूसा ने तुम्‍हें आज्ञाएं और व्‍यवस्‍था दी हैं। तुम उनका पालन करना, और उनके अनुसार कार्य करना। अपने प्रभु परमेश्‍वर से प्रेम करना। उसके मार्ग पर चलना। उसकी आज्ञाओं का पालन करना। उससे सदा सम्‍बद्ध रहना। अपने सम्‍पूर्ण हृदय से और अपने सम्‍पूर्ण प्राण से उसकी सेवा करना।’


क्‍योंकि परमेश्‍वर का प्रेम यह है कि हम उसकी आज्ञाओं का पालन करें। उसकी आज्ञाएँ भारी नहीं हैं,


हमारे पर का पालन करें:

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