7 ऐसा कौन महान् राष्ट्र है, जिसका ईश्वर उसके समीप रहता है, जैसा हमारा प्रभु परमेश्वर हमारे समीप रहता है? जब-जब हम उसे पुकारते हैं, वह हमारी प्रार्थना सुनता है।
तेरे निज लोग, इस्राएली राष्ट्र के समान पृथ्वी पर और कौन राष्ट्र है? हे परमेश्वर, तू स्वयं उनको मुक्त करने के लिए गया था। तूने स्वयं एक नाम धारण किया था। तूने उनके हितार्थ महान् और आतंकपूर्ण कार्य किए थे। तूने अपने निज लोगों के सम्मुख से, जिन्हें तूने अपने लिए मिस्र देश से मुक्त किया था, अनेक राष्ट्रों और उनके देवताओं को भगाया था।
प्रभु ने अपने निज लोगों को शक्तिमान बनाया है; समस्त सन्तों के लिए इस्राएल की सन्तान के लिए, उस प्रजा के लिए जो प्रभु के निकट है, यह स्तुति का विषय है। प्रभु की स्तुति करो!
मैं तुझ से प्रेम करता हूं। तू मेरी दृष्टि में अनमोल और सम्मानित है, अत: मैं तुझे छुड़ाने के लिए तेरे बदले में अन्य जातियों को देता हूं। तेरे प्राण को बचाने के लिए दूसरी कौमों को देता हूं।
चट्टानों के शिखर पर से, मैंने उसे देखा है, पहाड़ियों से मैंने उसका अवलोकन किया है : देखो, लोग अलग बसे हैं, अन्य राष्ट्रों के साथ उनकी गणना नहीं की गई!
जिन राष्ट्रों को उसने रचा है, उनके मध्य वह तुझे सर्वोच्च आसन पर प्रतिष्ठित करेगा जिससे उसकी स्तुति, प्रसिद्धि और सम्मान हो। जैसा प्रभु परमेश्वर ने कहा है उसके अनुसार तू उसकी पवित्र प्रजा बनेगा।’
ओ इस्राएल, तू धन्य है! तेरे सदृश और कौन जाति है, जिसका प्रभु ने उद्धार किया है? वह तेरी सहायता के लिए ढाल, और विजय-प्राप्ति के हेतु तलवार है! तेरे शत्रु तेरी ठकुर-सुहाती करेंगे, पर तू उनके पहाड़ी शिखर के पूजा-स्थलों को रौंद देगा।’
‘अत: बीते हुए युगों के विषय में, जो तुम्हारे सम्मुख उस दिन से व्यतीत हुए हैं जब परमेश्वर ने मनुष्य को पृथ्वी पर रचा था, यह प्रश्न पूछो : क्या आकाश के एक सीमान्त से दूसरे सीमान्त तक कभी ऐसी महान् घटना घटी है? क्या कभी ऐसी कोई बात सुनी गई है?
समस्त प्राणियों में वह कौन प्राणी है, जिसने अग्नि के मध्य से जीवन्त परमेश्वर का स्वर सुना, उसको वार्तालाप करते हुए सुना, जैसे हमने सुना, और वह फिर भी जीवित रहा?