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व्यवस्थाविवरण 30:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

10 यदि तू अपने प्रभु परमेश्‍वर की वाणी सुनेगा, जो आज्ञाएँ और संविधियाँ इस व्‍यवस्‍था की पुस्‍तक में लिखी हुई हैं, उनका पालन करेगा, यदि तू सम्‍पूर्ण हृदय और प्राण से अपने प्रभु परमेश्‍वर की ओर लौट आएगा, तो जैसे तेरे पूर्वजों को समृद्ध करने में प्रभु हर्षित होता था, वैसे ही वह तुझे समृद्ध करने में हर्षित होगा।

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पवित्र बाइबल

10 किन्तु तुम्हें वह सब कुछ करना चाहिए जो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमसे करने को कहता है। तुम्हें उसके आदेशों को मानना और व्यवस्था की पुस्तक में लिखे गए नियमों का पालन करना चाहिए। तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर की ओर अपने पूरे हृदय और आत्मा से हो जाना चाहिए। तब ये सभी अच्छी बातें तुम्हारे लिये होंगी।

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Hindi Holy Bible

10 क्योंकि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सुनकर उसकी आज्ञाओं और विधियों को जो इस व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हैं माना करेगा, और अपने परमेश्वर यहोवा की ओर अपने सारे मन और सारे प्राण से मन फिराएगा॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

10 क्योंकि तू अपने परमेश्‍वर यहोवा की सुनकर उसकी आज्ञाओं और विधियों को जो इस व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हैं माना करेगा, और अपने परमेश्‍वर यहोवा की ओर अपने सारे मन और सारे प्राण से मन फिराएगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

10 यदि तुम याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के आदेशों और अध्यादेशों के पालन के विषय में आज्ञाकारी बनोगे, जो इस व्यवस्था के अभिलेख में लिखे हैं, यदि तुम याहवेह अपने परमेश्वर की ओर अपने पूरे हृदय और प्राणों से लग जाओगे.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

10 क्योंकि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सुनकर उसकी आज्ञाओं और विधियों को जो इस व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हैं माना करेगा, और अपने परमेश्वर यहोवा की ओर अपने सारे मन और सारे प्राण से मन फिराएगा।

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व्यवस्थाविवरण 30:10
17 क्रॉस रेफरेंस  

पर यदि तुम मेरी ओर लौटोगे, मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे, उनके अनुरूप आचरण करोगे तो मैं आकाश के कोने-कोने से तुम्‍हारे बिखरे हुए लोगों को उस स्‍थान पर एकत्र करूंगा, जिसे मैं अपने नाम को प्रतिष्‍ठित करने के लिए चुनूंगा।”


‘किन्‍तु यदि पाप करनेवाला दुर्जन अपने कुकर्म के मार्ग को छोड़ दे, और मेरी संविधियों का पालन करने लगे; यदि वह न्‍याय और धर्म के अनुरूप आचरण करने लगे तो वह मरेगा नहीं, वरन् जीवित रहेगा।


ओ मानव, तू उनसे यह कह : “मैं स्‍वयं स्‍वामी-प्रभु बोल रहा हूँ : मुझे अपने जीवन की सौगन्‍ध है! मैं किसी भी दुर्जन की मृत्‍यु से प्रसन्न नहीं होता हूँ। किन्‍तु मुझे तब प्रसन्नता होती है, जब दुर्जन अपना बुरा आचरण छोड़ देता है और मरने से बच जाता है। इसी प्रकार ओ इस्राएल के वंशजो, अपने बुरे आचरण को छोड़ दो, अपने बुरे मार्ग से पीठ फेर लो। तुम क्‍यों मरना चाहते हो?”


‘मैं दुर्जन से यह कहूँ, “तू निस्‍सन्‍देह मरेगा,” और वह अपना पापमय आचरण छोड़ दे, न्‍याय और धर्म का यह आचरण अपना ले:


किन्‍तु यदि दुर्जन अपने बुरे आचरण को छोड़कर न्‍याय-धर्म के कार्य करेगा, तो वह अपने इस आचरण के कारण जीवित रहेगा।


‘जो मेरे निज लोग दूर-दूर के देशों में तितर-बितर हैं, वे भी आएंगे और प्रभु के मन्‍दिर का निर्माण करने में सहायता करेंगे।’ तब तुम्‍हें ज्ञात होगा कि स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने मुझे तुम्‍हारे पास भेजा है। यदि तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर की आज्ञाओं का तत्‍परतापूर्वक पालन करोगे, तो यह कार्य निश्‍चय ही पूरा होगा।


मैंने पहले दमिश्‍क तथा यरूशलेम के लोगों में, और उसके बाद समस्‍त यहूदा प्रदेश तथा ग़ैर-यहूदियों में भी यह प्रचार किया कि वे पश्‍चात्ताप करें, परमेश्‍वर की ओर अभिमुख हो जायें और पश्‍चात्ताप के अनुरूप आचरण करें।


अत: आप लोग पश्‍चात्ताप करें और परमेश्‍वर के पास लौट आयें, जिससे आपके पाप मिट जायें


न तो ख़तने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्व परमेश्‍वर की आज्ञाओं के पालन का है।


व्‍यवस्‍था की प्रस्‍तुत पुस्‍तक में लिखित विधान के समस्‍त अभिशापों के अनुसार प्रभु इस्राएल के सब कुलों में से उस व्यक्‍ति को उसके विनाश के लिए अलग करेगा।


‘जिस आज्ञा-पालन का आदेश आज मैं तुझे दे रहा हूँ, वह न तेरी शक्‍ति से बाहर है, और न तेरी पहुँच से परे है।


जब तू और तेरी सन्‍तान अपने प्रभु परमेश्‍वर की ओर लौटेंगे, उसकी वाणी को सुनेंगे, उसकी आज्ञाओं का, जिनका आदेश आज मैं तुझे दे रहा हूँ, अपने सम्‍पूर्ण हृदय से, अपने सम्‍पूर्ण प्राण से पालन करेंगे,


तू पुन: अपने प्रभु परमेश्‍वर की वाणी सुनेगा और उसकी आज्ञाओं के अनुसार, जिनका आदेश आज मैं तुझे दे रहा हूँ, कार्य करने लगेगा।


किन्‍तु वहां से ही तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर की खोज करोगे। यदि तुम अपने सम्‍पूर्ण हृदय से, अपने सम्‍पूर्ण प्राण से उसकी खोज करोगे, तो तुम उसे प्राप्‍त भी कर सकोगे।


तू प्रभु, अपने परमेश्‍वर को अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण प्राण और अपनी सम्‍पूर्ण शक्‍ति से प्रेम करना।


हमारे पर का पालन करें:

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