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व्यवस्थाविवरण 24:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 तू सूर्यास्‍त के पूर्व उसकी मजदूरी प्रतिदिन चुका दिया करना (क्‍योंकि वह निर्धन व्यक्‍ति है और अपनी मजदूरी के लिए विकल रहता है)। ऐसा न हो कि वह तेरे विरुद्ध प्रभु की दुहाई दे और यह तेरे लिए एक पाप सिद्ध हो।

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पवित्र बाइबल

15 सूरज डूबने से पहले प्रतिदिन उसकी मजदूरी दे दो। क्यों क्योंकि वह गरीब है और उसी धन पर आश्रित है। यदि तुम उसका भुगतान नहीं करते तो वह यहोवा से तुम्हारे विरुद्ध शिकायत करेगा और तुम पाप करने के अपराधी होगे।

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Hindi Holy Bible

15 यह जानकर, कि वह दीन है और उसका मन मजदूरी में लगा रहता है, मजदूरी करने ही के दिन सूर्यास्त से पहिले तू उसकी मजदूरी देना; ऐसा न हो कि वह तेरे कारण यहोवा की दोहाई दे, और तू पापी ठहरे॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 यह जानकर, कि वह दीन है और उसका मन मज़दूरी में लगा रहता है, मज़दूरी करने ही के दिन सूर्यास्त से पहले तू उसकी मज़दूरी देना; ऐसा न हो कि वह तेरे कारण यहोवा की दोहाई दे, और तू पापी ठहरे।

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सरल हिन्दी बाइबल

15 तुम उसे उसी दिन सूर्यास्त के पहले उसकी मजदूरी दे दोगे, क्योंकि वह गरीब व्यक्ति है और उसे इसकी ज़रूरत होगी, कि वह तुम्हारे विरुद्ध याहवेह की दोहाई न दे और यह तुम्हारे विरुद्ध पाप हो जाए.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

15 यह जानकर कि वह दीन है और उसका मन मजदूरी में लगा रहता है, मजदूरी करने ही के दिन सूर्यास्त से पहले तू उसकी मजदूरी देना; ऐसा न हो कि वह तेरे कारण यहोवा की दुहाई दे, और तू पापी ठहरे। (मत्ती 20:8)

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व्यवस्थाविवरण 24:15
22 क्रॉस रेफरेंस  

‘जब मेरे नौकर अथवा नौकरानी ने मेरे विरुद्ध मुझसे शिकायत की और यदि मैंने उसकी शिकायत नहीं सुनी,


‘यदि मेरी भूमि मेरे विरुद्ध दुहाई देती, उसकी हल-रेखाएँ मिलकर रोतीं;


उनके द्वारा सताए गए गरीबों की दुहाई परमेश्‍वर तक पहुँची, और उसने पीड़ितों की चीख-पुकार सुनी।


‘अत्‍याचार बढ़ जाने पर मनुष्‍य दुहाई देते हैं, वे बलवान के बाहुबल के कारण सहायता के लिए पुकारते हैं।


उसका जीवन गुलाम की तरह है, जो दिन-भर के कठोर परिश्रम के बाद संध्‍या समय बेचैनी से छाया की प्रतीक्षा करता है। मनुष्‍य का जीवन उस मजदूर के समान है, जो दिन-भर परिश्रम करता है, और संध्‍या समय अपनी मजदूरी की आशा करता है।


वह जिसके हाथ निर्दोष और हृदय निर्मल है, वह जो व्‍यर्थ बातों पर मन नहीं लगाता। वह जो धोखा देने के लिए शपथ नहीं खाता।


हे प्रभु, मैं तेरा ही ध्‍यान करता हूँ।


हे स्‍वामी, अपने सेवक के प्राण को आनन्‍दित कर; क्‍योंकि मैं तेरा ही ध्‍यान करता हूं।


स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु का यह अंगूर-उद्यान इस्राएल वंश है। यहूदा प्रदेश के निवासी प्रभु के सुन्‍दर पौधे हैं। प्रभु ने उनसे न्‍याय की आशा की, पर उसे देखने को मिला: रक्‍त पात। प्रभु ने उनसे धार्मिकता की आशा की, पर उसे सुनने को मिला: गरीबों का करुण- क्रंदन!


‘धिक्‍कार है उसे, जो अधर्म के धन से अपना घर बनाता है, जो अन्‍याय के धन से ऊंचे-ऊंचे महल बनाता है। धिक्‍कार है उसे, जो अपने भाई-बन्‍धु से मुफ्‍त में अपनी सेवा करवाता है, और उसको मजदूरी नहीं देता।


तुम अपने पड़ोसी पर अत्‍याचार मत करना, और न उसको लूटना। किसी मजदूर की मजदूरी रात से सबेरे तक तुम्‍हारे पास नहीं रहनी चाहिए।


‘यदि तुम्‍हारा जाति-भाई अथवा बहिन दरिद्र हो जाए, और वह अपना हाथ तुम्‍हारे सम्‍मुख फैलाए तो तुम उसको संभालना। वह प्रवासी अथवा अस्‍थायी प्रवासी के समान तुम्‍हारे साथ निवास करेगा।


स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘तब मैं अदालत में तुम्‍हारे सम्‍मुख उपस्‍थित होऊंगा। मैं इन सब लोगों के विरुद्ध तुरन्‍त साक्षी दूंगा: झाड़-फूंक करनेवाले ओझा, व्‍यभिचारी, झूठी शपथ खानेवाले, मजदूर की मजदूरी दबानेवाले, विधवाओं और अनाथों पर अत्‍याचार करनेवाले, प्रवासी के अधिकारों को छीननेवाले और मुझसे न डरनेवाले।


“सन्‍ध्‍या होने पर अंगूर-उद्यान के मालिक ने अपने प्रबन्‍धक से कहा, ‘मजदूरों को बुलाओ। अंत में आने वालों से लेकर पहले आने वालों तक, सब को मजदूरी दे दो।’


तुम आज्ञाओं को जानते हो : हत्‍या मत करो, व्‍यभिचार मत करो, चोरी मत करो, झूठी गवाही मत दो, किसी को मत ठगो, अपने माता पिता का आदर करो।”


तू सावधान रहना। ऐसा न हो कि यह अधम विचार तेरे हृदय में आए, “सातवां वर्ष, ऋण-मुक्‍ति का वर्ष निकट है” , और तू अपने गरीब भाई-बहिन को अनुदार दृष्‍टि से देखने लगे, और उसे कुछ न दे। वह तेरे विरुद्ध प्रभु की दुहाई दे सकता है, और यह तेरे लिए एक पाप-कर्म होगा।


क्‍योंकि धर्मग्रन्‍थ कहता है, “तुम दँवरी करते बैल के मुँह पर मोहरा मत लगाओ” और फिर, “मजदूर को अपनी उचित मजदूरी का अधिकार है।”


मजदूरों ने तुम्‍हारे खेतों की फसल लुनी और तुमने उन्‍हें मजदूरी नहीं दी। वह मजदूरी पुकार रही है और लुनने वालों की दुहाई स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु के कानों तक पहुँच गयी है।


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