6 ऐसा न हो कि रक्त-प्रतिशोधी क्रोधाग्नि में जलता हुआ हत्यारे का पीछा करे, और सड़क की लम्बाई के कारण उसको पकड़ ले, और उस पर प्राणघातक प्रहार करे, यद्यपि वह न्याय की दृष्टि से मृत्यु-दण्ड के योग्य नहीं है, क्योंकि उसके पड़ोसी के प्रति पहले उसकी शत्रुता नहीं थी।
6 किन्तु यदि नगर बहुत दूर होगा तो वह काफी तेज भाग नहीं सकेगा। मारे गए व्यक्ति का कोई सम्बन्धी उसका पीछा कर सकता है और नगर में उसके पहुँचने से पहले ही उसे पकड़ सकता है। सम्बन्धी बहुत क्रोधित हो सकता है और उस व्यक्ति की हत्या कर सकता है। किन्तु उस व्यक्ति को प्राण—दण्ड उचित नहीं है। वह उस व्यक्ति से घृणा नहीं करता था जो उसके हाथों मारा गया।
6 ऐसा न हो कि मार्ग की लम्बाई के कारण खून का पलटा लेने वाला अपने क्रोध के ज्वलन में उसका पीछा कर के उसको जा पकड़े, और मार डाले, यद्यपि वह प्राणदण्ड के योग्य नहीं, क्योंकि उस से बैर नहीं रखता था।
6 ऐसा न हो कि मार्ग की लम्बाई के कारण खून का पलटा लेनेवाला अपने क्रोध के ज्वलन में उसका पीछा करके उसको जा पकड़े, और मार डाले, यद्यपि वह प्राणदण्ड के योग्य नहीं, क्योंकि उस से बैर नहीं रखता था।
6 नहीं तो, हत्या का बदला लेनेवाला क्रोध में उसका पीछा करे और मार्ग लंबा होने के कारण उसे पकड़कर उसकी हत्या ही कर डाले-जबकि वह मृत्यु दंड के योग्य नहीं था, क्योंकि उसके मन में मृतक के प्रति कोई बैर था ही नहीं.
6 ऐसा न हो कि मार्ग की लम्बाई के कारण खून का पलटा लेनेवाला अपने क्रोध के ज्वलन में उसका पीछा करके उसको जा पकड़े, और मार डाले, यद्यपि वह प्राणदण्ड के योग्य नहीं, क्योंकि वह उससे बैर नहीं रखता था।
अब सारा गोत्र आपकी सेविका के विरुद्ध खड़ा हो गया है। मेरे गोत्र के लोग मुझसे यह कह रहे हैं, “अपने भाई पर वार करने वाले को हमारे सुपुर्द करो। जिस भाई की उसने हत्या की है, उसके प्राण के बदले में हम उसकी हत्या करेंगे।” महाराज, यों वे उत्तराधिकारी को भी समाप्त कर देंगे। महाराज, मेरे बचे हुए एकमात्र दीपक को भी वे बुझाना चाहते हैं, जिससे मेरे पति का नाम और उसका वंश धरती पर से मिट जाए।’
ये नगर प्रतिशोधी से बचने के लिए तुम्हारे शरण-स्थल होंगे कि जब तक हत्यारा न्याय के लिए इस्राएली मंडली के सम्मुख खड़ा नहीं होता तब तक उसका वध नहीं होगा।
(उदाहरण के लिए, वह अपने भाई-बन्धु के साथ लकड़ी काटने के लिए जंगल जाता है। वह पेड़ काटने के लिए अपने हाथ से कुल्हाड़ी चलाता है। तब कुल्हाड़ी बेंट से निकलकर उसके पड़ोसी को लग जाती है और वह मर जाता है।) तो वह इन नगरों में से किसी एक नगर में भाग कर शरण ले सकता है, और अपने प्राण बचा सकता है।
‘यदि किसी मनुष्य ने ऐसा पाप किया है, जो न्याय की दृष्टि से मृत्यु-दण्ड के योग्य है, और उस मनुष्य को मृत्यु-दण्ड दिया गया है, उसको वृक्ष से लटका दिया गया है,
यदि रक्त-प्रतिशोधी उसका पीछा करता हुआ वहां आएगा तो धर्मवृद्ध हत्यारे को उसके हाथ में नहीं सौंपेंगे; क्योंकि उसने अनजाने में अपने पड़ोसी की हत्या की है, पड़ोसी के प्रति पहले से उसकी घृणा नहीं थी।