उसी दिन भण्डार-गृहों के संरक्षकों की नियुिक्त की गई। इन भण्डार-गृहों में मन्दिर में चढ़ाई गई भेंट, उपज का प्रथम फल और दशमांश रहता था। इनके अतिरिक्त पुरोहितों और उपपुरोहितों के नियत भाग भी रहते थे, जो नगर के खेतों से एकत्र किए जाते थे। यह धर्म-व्यवस्था के अनुसार निर्धारित कर दिया गया था। यहूदा प्रदेश की जनता परमेश्वर की सेवा करनेवाले पुरोहितों और उपपुरोहितों से प्रसन्न थी।
जरूब्बाबेल और नहेम्याह के दिनों में सब इस्राएली-आराधक गायकों और द्वारपालों को प्रतिदिन निश्चित अंश देते थे और भेंट में से उपपुरोहितों के लिए उनका अंश अलग कर देते थे, और फिर उपपुरोहित अपने इस अंश में से पुरोहितों के निर्धारित अंश को निकालकर अलग रख देते थे।
उसने यरूशलेम के निवासियों को आदेश दिया कि वे पुरोहितों और उप-पुरोहितों को उनका निर्धारित अंश दिया करें, ताकि उनका पूर्ण ध्यान प्रभु की व्यवस्था पर लगा रहे।
वह ऐसे सब चढ़ावों में अर्पित वस्तुओं में से एक-एक रोटी चढ़ाएगा। यह प्रभु की भेंट होगी। यह सहभागिता-बलि पशु का रक्त छिड़कने वाले पुरोहित को प्राप्त होगी।
‘देखो, जो सेवा-कार्य लेवी के वंशज मिलन-शिविर में करते हैं, उनकी सेवा के बदले में मैंने उन्हें इस्राएल में समस्त भेंटों का दशमांश पैतृक-सम्पत्ति के लिए प्रदान किया है।