हम यह भी प्रतिज्ञा करते हैं कि अपने गूंधे हुए आटे का प्रथम अंश, अपनी भेंटें, प्रत्येक वृक्ष का प्रथम फल, अंगूर-रस और तेल का प्रथम भाग, अपने परमेश्वर के भवन के कक्षों में पुरोहितों को देंगे। हम अपने खेतों की फसल का दशमांश उपपुरोहित को देंगे; क्योंकि उपपुरोहित ही हमारे सब नगरों में यह दशमांश एकत्र करते हैं।
तू अपने नगर के भीतर अपने अन्न, अंगूर के रस, अथवा तेल के दशमांश को, या गाय-बैल, भेड़-बकरी के पहलौठे पशु को, अथवा मन्नत-बलि को जिसकी मन्नत तू मानता है, या स्वेच्छा-बलि को, अथवा भेंट को जिसको तू चढ़ाता है, नहीं खाएगा।
वहीं तुम जाना और अपनी अग्नि-बलि और पशु-बलि, अपना दशमांश तथा भेंट जिसको तुम चढ़ाते हो, मन्नत-बलि, स्वेच्छा-बलि और गाय-बैल तथा भेड़-बकरी का पहलौठा बच्चा ले जाया करना।
‘देखो, जो सेवा-कार्य लेवी के वंशज मिलन-शिविर में करते हैं, उनकी सेवा के बदले में मैंने उन्हें इस्राएल में समस्त भेंटों का दशमांश पैतृक-सम्पत्ति के लिए प्रदान किया है।
‘मेरे भण्डार-गृह में पूर्ण दशमांश लाओ, जिससे मेरे भवन में भोजन-वस्तु रहे। तब मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे खोलकर तुम्हारे लिए वर्षा करता हूँ कि नहीं, मैं तुम पर आशिष की वर्षा करता हूँ कि नहीं।’
तुम फसल की कटाई के समय उपज का पाँचवाँ अंश फरओ को दोगे। शेष चार अंश तुम्हारे होंगे। अर्थात् प्रत्येक अंश खेत के बीज के लिए, तुम्हारे एवं परिवार के सदस्यों के लिए तथा छोटे बच्चों के आहार के लिए होगा।’
यूसुफ ने मिस्र देश की भूमि से सम्बन्धित नियम बनाया कि फरओ उपज का पांचवां अंश लेगा। यह नियम आज तक प्रचलित है। केवल पुरोहितों के खेतों पर फरओ का अधिकार नहीं हुआ।
जब उपपुरोहित दशमांश एकत्र करेंगे, उस समय हारून वंश का एक पुरोहित वहाँ उपस्थित रहेगा। उपपुरोहित इस दशमांश का दसवां अंश अपने परमेश्वर के भवन के कक्षों में, भण्डारगृह में जमा करेंगे।