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व्यवस्थाविवरण 12:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

7 तुम वहीं अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख भोजन करना। तुम अपने समस्‍त परिवार के साथ अपने उद्यम के लिए आनन्‍द मनाना, जिस पर तुम्‍हारे प्रभु परमेश्‍वर ने आशिष दी है।

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पवित्र बाइबल

7 तुम और तुम्हारे परिवार वहाँ भोजन करेंगे और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर वहाँ तुम्हारे साथ होगा। जिन अच्छी चीजों के लिये तुमने काम किया है उसका भोग तुम करोगे, क्योंकि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुमको आशीर्वाद दिया है।

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Hindi Holy Bible

7 और वहीं तुम अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने भोजन करना, और अपने अपने घराने समेत उन सब कामों पर, जिन में तुम ने हाथ लगाया हो, और जिन पर तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की आशीष मिली हो, आनन्द करना।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

7 और वहीं तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने भोजन करना, और अपने अपने घराने समेत उन सब कामों पर, जिनमें तुम ने हाथ लगाया हो, और जिन पर तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की आशीष मिली हो, आनन्द करना।

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सरल हिन्दी बाइबल

7 वही होगा वह स्थान, जहां तुम और तुम्हारा परिवार याहवेह तुम्हारे परमेश्वर की उपस्थिति में भोजन करोगे. वहीं तुम अपनी सारी उपलब्धियों के लिए, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर द्वारा पूरी हुईं हैं, उल्लास करोगे.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

7 और वहीं तुम अपने परमेश्वर यहोवा के सामने भोजन करना, और अपने-अपने घराने समेत उन सब कामों पर, जिनमें तुम ने हाथ लगाया हो, और जिन पर तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की आशीष मिली हो, आनन्द करना।

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व्यवस्थाविवरण 12:7
25 क्रॉस रेफरेंस  

उन्‍होंने दाऊद के पुत्र सुलेमान को दूसरी बार राजा घोषित किया। उन्‍होंने सुलेमान को प्रभु के अगुए के रूप में अभिषिक्‍त किया और पुरोहित के रूप में सादोक का अभिषेक किया।


जब लोगों ने व्‍यवस्‍था के शब्‍द सुने तब वे रोने लगे। राज्‍यपाल नहेम्‍याह, पुरोहित एवं शास्‍त्री एज्रा तथा समाज के धर्म-शिक्षक उपपुरोहितों ने समस्‍त इस्राएली जन-समूह से कहा, ‘आज का दिन हमारे प्रभु परमेश्‍वर के लिए पवित्र है; इसलिए शोक मत मनाओ, और न रोओ।’


अत: मुझे यह अनुभव हुआ कि मनुष्‍य के लिए इससे अच्‍छी और कोई बात नहीं है कि वह जीवन-भर सुख से रहे और आनन्‍द मनाता रहे।


वस्‍तुत: यह परमेश्‍वर का वरदान है कि प्रत्‍येक मनुष्‍य भरपेट खाए-पीए और आनन्‍दपूर्वक परिश्रम करे।


देखो, जो भली बात मैंने अनुभव की, और जो उचित भी है, वह यह है : “मनुष्‍य परमेश्‍वर द्वारा दिए गए अपने अल्‍पकाल के जीवन में सूर्य के नीचे धरती पर आनन्‍दपूर्वक परिश्रम करे, खाए और पीए, क्‍योंकि यही उसकी नियति है।”


उसके व्‍यापार का लाभ, उसकी आय प्रभु को अर्पित की जायेगी। अर्पण का यह धन न भण्‍डारगृह में संचय किया जाएगा, और न व्‍यर्थ उसको जमा किया जाएगा, वरन् वह प्रभु के सम्‍मुख रहनेवालों के प्रचुर भोजन और भव्‍य वस्‍त्रों पर व्‍यय होगा।


पर जो अन्न को खत्ते में एकत्र करते हैं, वे ही उसको खाएंगे, और मुझ-प्रभु की स्‍तुति करेंगे। अंगूर को जमा करनेवाले ही मेरे पवित्र स्‍थान के आंगनों में उसका रस पीएंगे।’


केवल शासक, शासक होने के कारण, प्रभु के सामने चढ़ावे की रोटी खाने के लिए वहां बैठेगा। वह फाटक के ओसारे से हो कर वहां प्रवेश करेगा, और इसी से बाहर निकलेगा।’


क्‍या हमारी आंखों के सामने से भोजन की थाली नहीं हटाई गई? क्‍या हमारे परमेश्‍वर के भवन से हर्षोल्‍लास और आनन्‍द विदा नहीं हो गया?


तुम पेट-भर खाओगे, और सन्‍तुष्‍ट होगे। तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर के नाम की स्‍तुति करोगे, जिसने तुम्‍हारे साथ अद्भुत व्‍यवहार किया है। मेरे निज लोग फिर कभी लज्‍जित न होंगे।


प्रथम दिन तुम सर्वोत्तम वृक्ष के फल, खजूर वृक्ष की शाखाएं, पत्तेदार पेड़ों की डालें और झरनों के भिंसा वृक्ष की शाखाएं लेकर अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख सात दिन तक आनन्‍द मनाना।


ओ पुरोहितो, तुम यह कार्य भी करते हो: तुम रोते हो, कराहते हो और अपने आंसुओं से प्रभु की वेदी को भिगोते हो; क्‍योंकि प्रभु तुम्‍हारे आंसुओं पर ध्‍यान नहीं देता, तुम्‍हारे हाथ से भेंट को स्‍वीकार नहीं करता और तुम पर कृपा नहीं करता।


वे प्रतिदिन मन्‍दिर में एक भाव से उपस्‍थित होते, घर-घर में रोटी तोड़ते और निष्‍कपट हृदय से आनन्‍दपूर्वक एक साथ भोजन करते थे।


तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख अपने पुत्र-पुत्रियों, सेवक-सेविकाओं तथा तुम्‍हारे नगर के भीतर रहनेवाले लेवी जन के साथ आनन्‍द मनाना, क्‍योंकि तुम्‍हारे साथ लेवी का कोई अंश अथवा पैतृक सम्‍पत्ति नहीं।


परन्‍तु तू, तेरे पुत्र-पुत्री, सेवक-सेविका और तेरे नगर के भीतर रहनेवाला लेवी जन उनको तेरे प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख उस स्‍थान में खाएगा, जिसको तेरा प्रभु परमेश्‍वर स्‍वयं चुनेगा। तू अपने समस्‍त उद्यम के लिए प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख आनन्‍द मनाना।


‘जैसा आज हम कार्य कर रहे हैं, वैसा तुम मत करना : प्रत्‍येक व्यक्‍ति वही कार्य कर रहा है, जो उसकी दृष्‍टि में उचित है।


तब अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख उस स्‍थान में, जिसको वह अपना नाम प्रतिष्‍ठित करने के लिए चुनेगा, तू अपने अन्न, अंगूर के रस और तेल का दशमांश तथा गाय-बैल और भेड़-बकरी के पहिलौठे का मांस खाना, जिससे तू अपने प्रभु परमेश्‍वर की सदा भक्‍ति करना सीखेगा।


वहाँ तू अपनी इच्‍छा के अनुसार किसी भी वस्‍तु पर रुपया व्‍यय कर सकता है: गाय-बैल, भेड़-बकरी, अंगूर का रस और मदिरा, जिस किसी में तेरी रुचि हो। तू वहाँ अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख उसको खाना, और अपने परिवार के साथ आनन्‍द मनाना।


तू प्रति वर्ष अपने परिवार के साथ अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख उस स्‍थान में अर्पित पशु का मांस खाना, जिसको प्रभु चुनेगा।


उसके बाद अपनी समस्‍त अच्‍छी वस्‍तुओं के लिए जो तेरे प्रभु परमेश्‍वर ने तुझे दी हैं, अपने परिवार, लेवीय जन और तेरे मध्‍य रहने वाले प्रवासी के साथ तू आनन्‍द मनाना।


तुम सहभागिता-बलि-पशु की बलि वहीं करना, और वहीं उसको खाना। इस प्रकार अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख आनन्‍द मनाना।


‘आशिषों की प्रचुरता होने पर भी तूने आनन्‍दपूर्वक और भले हृदय से अपने प्रभु परमेश्‍वर की सेवा नहीं की।


आप लोग प्रभु में हर समय आनन्‍दित रहें। मैं फिर कहता हूँ, आनन्‍दित रहें।


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