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लैव्यव्यवस्था 6:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 वेदी पर अग्‍नि निरन्‍तर जलती रहेगी; वह कभी न बुझने पाए। पुरोहित प्रतिदिन सबेरे उसपर लकड़ी जलाएगा, और अग्‍नि-बलि के टुकड़े उस पर सजाकर रखेगा। वह सहभागिता-बलि की चर्बी उस पर जलाएगा।

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पवित्र बाइबल

12 किन्तु वेदी की आग वेदी में जलती रहनी चाहिए। इसे बुझने नहीं देना चाहिए। याजक को हर सुबह वेदी पर लकड़ी जलानी चाहिए। उसे वेदी पर लकड़ी रखनी चाहिए। उसे मेलबलि की चर्बी जलानी चाहिए।

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Hindi Holy Bible

12 और वेदी पर अग्नि जलती रहे, और कभी बुझने न पाए; और याजक भोर भोर उस पर लकडिय़ां जलाकर होमबलि के टुकड़ों को उसके ऊपर सजाकर धर दे, और उसके ऊपर मेलबलियों की चरबी को जलाया करे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 वेदी पर अग्नि जलती रहे, और कभी बुझने न पाए; और याजक प्रतिदिन भोर को उस पर लकड़ियाँ जलाकर होमबलि के टुकड़ों को उसके ऊपर सजाकर धर दे, और उसके ऊपर मेलबलियों की चरबी को जलाया करे।

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नवीन हिंदी बाइबल

12 वेदी पर आग जलती रहे; यह कभी न बुझे। याजक प्रतिदिन भोर को उस पर लकड़ियाँ जलाए और होमबलि को उस पर सजाकर रखे, तथा उसके ऊपर मेलबलियों की चरबी को जलाए।

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सरल हिन्दी बाइबल

12 वेदी पर अग्नि जलती रहे. यह बुझने न पाए, किंतु पुरोहित हर सुबह इस पर लकड़ियां रख दे; इन पर होमबलि को रखे, और इस पर मेल बलि के चर्बी वाले भाग को अग्नि में जलाया करे.

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लैव्यव्यवस्था 6:12
14 क्रॉस रेफरेंस  

मैंने लकड़ी की भेंट तथा फसल के प्रथम फल की भेंट चढ़ाने का समय भी नियत कर दिया। हे मेरे परमेश्‍वर, मेरी भलाई के लिए मुझे मत भूलना!


दूसरा कमरा, जिसका द्वार उत्तर दिशा में खुलता है, उन पुरोहितों के लिए है, जो वेदी का दायित्‍व सम्‍भालते हैं। ये सादोक-वंशी पुरोहित हैं। ये लेवी कुल में से चुने गए पुरोहित हैं, और केवल ये पुरोहित ही प्रभु की सेवा करने के लिए उसके निकट आ सकते हैं।’


तदुपरान्‍त वह अपने ये वस्‍त्र उतार कर दूसरे वस्‍त्र पहनेगा और राख को पड़ाव के बाहर किसी शुद्ध स्‍थान पर ले जाएगा।


वेदी पर अग्‍नि निरन्‍तर जलती रहेगी; वह कभी न बुझने पाए।


‘हारून और उसके पुत्रों को यह आदेश दे : यह अग्‍नि-बलि की व्‍यवस्‍था है। अग्‍नि-बलि भट्टी के ऊपर रातभर तथा सबेरे तक वेदी पर रहेगी। वेदी की अग्‍नि उसमें जलती रहेगी।


प्रभु के सम्‍मुख से आग निकली और उसने अग्‍निबलि एवं वेदी की चर्बी को भस्‍म कर दिया। यह देखकर लोगों ने जय-जयकार किया। उन्‍होंने मुँह के बल गिरकर वन्‍दना की।


एक भयानक आशंका ही शेष रह जाती है−न्‍याय की, और एक भीषण अग्‍नि की, जो विद्रोहियों को निगल जाना चाहती है।


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