देखिए, मैं अपने प्रभु परमेश्वर के नाम पर एक मन्दिर बनाना चाहता हूँ। मैं उसको इस कार्य के लिए अर्पित करूंगा कि उसमें इस्राएली जाति की स्थायी धर्म-प्रथा के अनुसार हमारे प्रभु परमेश्वर के सम्मुख सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाए जाएं, निरन्तर भेंट की रोटियां अर्पित की जाएं, और प्रतिदिन सबेरे और शाम तथा पवित्र विश्राम-दिवसों, नवचन्द्र-दिवसों और निर्धारित पर्वों पर अग्नि-बलि चढ़ाई जाए।
वे भेंट की रोटी की मेज पर पूरा नीला वस्त्र बिछाएँगे, और उस पर परात तथा धूपदान एवं पेयार्पण की सुराहियाँ और चषक रखेंगे। निरन्तर अर्पित की जाने वाली रोटी भी मेज पर रखी जाएगी।
यह धनराशि “अर्पण की रोटी” , नित्य अन्न-बलि, नित्य अग्नि-बलि, विश्राम-दिवस, नवचन्द्र पर्व, निर्धारित त्योहार, पवित्र अर्पण, इस्राएली कौम के प्रायश्चित के लिए की जानेवाली पाप-बलि, तथा हमारे परमेश्वर के भवन के सब कार्यों में व्यय की जाएगी।
ये इन कार्यों में भी सहायता करेंगे: भेंट की रोटी तैयार करना; अन्न-बलि का आटा पीसना; बेखमीर रोटी की पपड़ियां, भुंजे हुए अन्न की भेंट, तेल मिश्रित भेंट, आदि की देख-भाल करना। इनके अतिरिक्त लेवीय उपपुरोहित मन्दिर की वस्तुओं को नापने और तोलने का कार्य करेंगे।
उस दिन शाऊल का एक कर्मचारी वहाँ उपस्थित था। वह किसी अशुद्धता के कारण प्रभु के सम्मुख रोक लिया गया था। उसका नाम दोएग था। वह एदोम देश का रहने वाला था। वह शाऊल का प्रमुख अंगरक्षक था।
हारून-वंशीय ये पुरोहित प्रतिदिन सबेरे और सन्ध्या समय प्रभु के लिए अग्नि-बलि चढ़ाते हैं, सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाते हैं। वे कुन्दन की मेज पर भेंट की रोटी रखते हैं। वे स्वर्ण दीपाधार के दीये नियमित रूप से सन्ध्या समय जलाते हैं। इस प्रकार हम अपने प्रभु परमेश्वर के आदेश का पालन करते हैं; किन्तु तुमने उसको त्याग दिया।