यारोबआम ने आठवें महीने के पन्द्रहवें दिन एक यात्रा पर्व प्रतिष्ठित किया, जैसा यहूदा प्रदेश में मनाया जाता था। तत्पश्चात् उसने वेदी पर बलि चढ़ाई। ऐसा ही उसने बेत-एल नगर में किया। उसने स्वनिर्मित बछड़े की प्रतिमाओं को बलि चढ़ाई। उसने बेत-एल में पहाड़ी शिखर की वेदियों के लिए, जिनको उसने निर्मित किया था, पुरोहित नियुक्त किए।
सुलेमान ने उस समय प्रभु परमेश्वर के सम्मुख सात दिन तक यात्रा-पर्व मनाया। उसने एक विशाल भोज का आयोजन किया। पर्व में विशाल जनसमूह उपस्थित हुआ। हमात घाटी की सीमा से मिस्र देश की बरसाती नदी तक के समस्त इस्राएली एकत्र हुए।
वहाँ उन्हें व्यवस्था-ग्रन्थ में यह लिखा हुआ मिला : ‘प्रभु ने मूसा के द्वारा इस्राएली कौम को यह आज्ञा दी थी कि वे सातवें महीने के पर्व के अवसर पर मण्डपों में रहेंगे।
‘सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन के उत्सव तथा पर्व के सातों दिन वह प्रायश्चित के लिए पाप-बलि, अग्नि-बलि और अन्न-बलि तथा तेल की भेंट का इसी प्रकार प्रबंध करेगा।’
जिससे तुम्हारी पीढ़ी दर पीढ़ी को ज्ञात हो जाए कि जब मैंने इस्राएली लोगों को मिस्र देश से बाहर निकाला था तब उनको मण्डपों में निवास कराया था। मैं प्रभु, तुम्हारा परमेश्वर हूँ।’
‘तेरे परिवार के सब पुरुष वर्ष में तीन बार अपने प्रभु परमेश्वर के सम्मुख उस स्थान में उपस्थित होंगे, जिसको वह स्वयं चुनेगा : बेखमीर रोटी के पर्व पर, सप्त-सप्ताह के पर्व पर, और मण्डप-पर्व पर। वे खाली हाथ प्रभु को अपना मुंह नहीं दिखाएंगे।
प्रतिज्ञा का फल पाये बिना ये सब विश्वास करते हुए मर गये। परन्तु उन्होंने उसको दूर से देखा और उसका स्वागत किया। वे अपने को पृथ्वी पर परदेशी तथा प्रवासी मानते थे।
विश्वास के कारण परदेशी की तरह प्रतिज्ञात देश में कुछ समय तक निवास किया। वह इसहाक तथा याकूब के समान, जो उनके साथ एक ही प्रतिज्ञा के उत्तराधिकारी थे, तम्बुओं में रहने लगे।