तूने उन्हें चेतावनी दी थी कि वे तेरी धर्म-व्यवस्था की ओर उन्मुख हों। पर उन्होंने तेरी प्रति धृष्ट व्यवहार किया, और तेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। जिन न्याय-सिद्धान्तों का पालन करने से मनुष्य को जीवन प्राप्त होता है, उनका उल्लंघन कर उन्होंने पाप किया। उन न्याय-सिद्धान्तों के विरुद्ध हठवादी रुख अपनाया : उनको मानने से इन्कार कर दिया।
जा, इस्राएलियों से कहना, “मैं प्रभु हूं। मैं तुम्हें मिस्र निवासियों के बोझ के दबाव से बाहर निकालूंगा। मैं तुम्हें उनकी गुलामी से मुक्त करूंगा। मैं अपना हाथ बढ़ाऊंगा और न्याय-निर्णय के महान कार्य करके तुम्हारा उद्धार करूंगा।
मेरी ओर कान दो, और मेरे पास आओ। मेरी बात सुनो, ताकि तुम्हारा प्राण जीवित रहे। तब मैं दाऊद के प्रति अपनी अटूट करुणा के कारण तुम्हारे साथ शाश्वत विधान स्थापित करूंगा।
वह मेरी संविधियों पर चलता है, और मेरे आदेशों का पालन निष्ठापूर्वक करता है। ऐसा व्यक्ति निस्सन्देह धार्मिक है, और वह जीवित रहेगा।’ स्वमी-प्रभु की यही वाणी है।
लेकिन इस्राएल के वंशजों ने निर्जन प्रदेश में मुझ से विद्रोह किया। उन्होंने मेरी संविधियों के अनुरूप आचरण नहीं किया, बल्कि मेरे न्याय-सिद्धान्तों को ताक पर रख दिया, जिनके अनुरूप आचरण करने से मनुष्य जीवित रहता है। उन्होंने मेरे विश्राम-दिवस की घोर उपेक्षा कर उसको अपवित्र कर दिया। ‘अत: मैंने सोचा कि मैं उनको निर्जन प्रदेश में दण्ड देने के लिए उन पर अपनी क्रोधाग्नि की वर्षा करूंगा और उनको पूर्णत: नष्ट कर दूंगा।
‘किन्तु इस्राएलियों की नई पीढ़ी ने भी मुझसे विद्रोह किया। उन्होंने मेरी संविधियों के अनुरूप आचरण नहीं किया। मेरे न्याय-सिद्धान्तों का पालन करने में तत्परता नहीं दिखाई, जिनका पालन करके मनुष्य जीवित रहता है। उन्होंने मेरे विश्राम-दिवस को अपवित्र किया। ‘अत: मैंने निश्चय किया कि मैं उनको दण्ड देने के लिए निर्जन प्रदेश में उन पर अपनी क्रोधाग्नि की वर्षा करूंगा, मैं उन पर घातक प्रहार करूंगा।
अपने प्रभु परमेश्वर से प्रेम करें, उसकी वाणी सुनें और उससे चिपके रहें। यही तेरे जीवन का अभिप्राय है। इस पर ही तेरी दीर्घायु निर्भर है। तब तू उस भूमि पर निवास कर सकेगा, जिसकी शपथ प्रभु ने तेरे पूर्वजों से, अब्राहम, इसहाक और याकूब से खाई थी कि वह उनको प्रदान करेगा।’
प्रभु परमेश्वर तेरे लोगों का और उनके वंशजों का हृदय विनम्र बनाएगा कि वे अपने प्रभु परमेश्वर को सम्पूर्ण हृदय से, सम्पूर्ण प्राण से प्रेम कर सकें और जीवित रहें।
‘अब, ओ इस्राएल, जो संविधि और न्याय-सिद्धान्त पालन करने के लिए आज मैं तुम्हें सिखाऊंगा, उनको तुम सुनना, जिससे तुम जीवित रह सको और उस देश में प्रवेश कर उस पर अधिकार कर सको, जो तुम्हारे पूर्वजों का प्रभु परमेश्वर तुम्हें दे रहा है।