अत: प्रभु ने मुझसे यों कहा: ‘ओ यिर्मयाह, यदि तू पश्चात्ताप करे और मेरे पास लौटे तो मैं तुझे पुन: स्वीकार करूंगा; तुझे फिर अपनी सेवा में लूंगा। यदि तू केवल मेरे अनमोल वचन बोलेगा, और निरर्थक वचन नहीं कहेगा, तो तू निस्सन्देह मेरा मुंह कहलाएगा! तब लोग तेरी ओर लौटेंगे, और तुझे उनके पास लौटना न पड़ेगा।
‘वे मेरे निज लोगों को सिखाएंगे कि कौन-सी वस्तु मेरी दृष्टि में पवित्र है, और कौन-सी वस्तु अपवित्र। वे उनको शुद्ध और अशुद्ध वस्तुओं का अन्तर बताएंगे।
ऊनी, या सूती वस्त्र में, या ताना-बाना में, या चमड़े की किसी भी वस्तु में कुष्ठ-रोग जैसे दाग होने पर उसको शुद्ध या अशुद्ध घोषित करने की यही व्यवस्था है।
‘कुष्ठ रोग लग जाने पर अत्यन्त सावधान रहना! जो निर्देश लेवीय पुरोहित तुझे देंगे, तू उनका पूर्णत: पालन करना और उनके अनुसार कार्य करना। जैसा मैंने लेवीय पुरोहितों को आदेश दिया था, वैसा ही तू उसका पालन करना, और उसके अनुसार कार्य करना।