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लैव्यव्यवस्था 14:43 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

43 ‘यदि रोग पत्‍थरों के निकाल लेने, घर को खुरचने तथा लिपाई-पुताई के पश्‍चात् भी घर में पुन: फूटता है

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पवित्र बाइबल

43 “सम्भव है कोई व्यक्ति पुराने पत्थरों और लेप को निकाल कर नेये पत्थरों और लेप को लगाए और सम्भव है वह फफूँदी उस घर में फिर प्रकट हो।

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Hindi Holy Bible

43 और यदि पत्थरों के निकाले जाने और घर के खुरचे और लेसे जाने के बाद वह व्याधि फिर घर में फूट निकले,

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

43 “यदि पत्थरों के निकाले जाने और घर के खुरचे और लेसे जाने के बाद वह व्याधि फिर घर में फूट निकले,

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नवीन हिंदी बाइबल

43 “यदि पत्थरों के निकाले जाने, घर के खुरचे जाने, और पलस्तर किए जाने के बाद भी वह फफूंदी फिर से घर में फूट निकले,

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सरल हिन्दी बाइबल

43 “किंतु यदि उसके द्वारा पत्थरों को निकालवाए जाने, घर को खुरचे जाने तथा पुनः पलस्तर लीपे पोते जाने के बाद उस घर में वह फफूंदी फूट पड़ती है,

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लैव्यव्यवस्था 14:43
9 क्रॉस रेफरेंस  

ओ यरूशलेम नगरी! यह जंग तेरी कामुकता है, जो गन्‍दा मैल है। मैंने तुझसे यह अशुद्धता, यह कामुकता छुड़वाने की बार-बार कोशिश की; पर मैं अपने प्रयत्‍न में सफल नहीं हुआ! तू शुद्ध नहीं हुई। अत: अब, जब तक मैं तुझे दण्‍ड देकर अपना क्रोध शान्‍त न कर लूंगा, तब तक तू शुद्ध न होगी।


वे दूसरे पत्‍थर लेंगे और निकाले गए पत्‍थरों के स्‍थान पर उनको लगाएंगे। वह ताजा गारा लेकर घर की लिपाई-पुताई करेगा।


तो पुरोहित आकर जांच करेगा। यदि रोग घर में फैल गया है, तो उस घर में गलित कुष्‍ठ-रोग के समान ही रोग है, और वह घर अशुद्ध है।


‘किन्‍तु यदि पुरोहित आकर जांच करता है कि घर की लिपाई-पुताई के पश्‍चात् रोग घर में नहीं फैला है, तो वह घर को शुद्ध घोषित करेगा; क्‍योंकि वह रोग से स्‍वस्‍थ हो गया है।


जो व्यक्‍ति हमारे प्रभु एवं मुक्‍तिदाता येशु मसीह का ज्ञान प्राप्‍त कर संसार के दूषण से बच गये, वे यदि फिर उसी में फँस कर उसके अधीन हो जाते हैं, तो उनकी यह पिछली दशा पहली से भी बुरी होती है।


उन लोगों में सही अर्थ में यह कहावत चरितार्थ होती है, “कुत्ता अपने ही वमन के पास लौटता है” और “नहलायी हुई सूअरी फिर कीचड़ में लोटती है।”


ये आपके प्रीति-भोजों के लिए कलंक-जैसे हैं, जहाँ वे बिना किसी श्रद्धा के खाते-पीते हैं। ये अपने ही भरण-पोषण को ध्‍यान में रखते हैं। ये पवन द्वारा उड़ाये हुए जलहीन बादल हैं। ये ऐसे वृक्ष हैं, जो फसल के समय पर फल नहीं देते, जो दो बार मर चुके हैं और जड़ से उखाड़े गये हैं।


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