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लूका 16:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 इस पर येशु ने उनसे कहा, “तुम लोग मनुष्‍यों के सामने तो धर्मी होने का ढोंग रचते हो, परन्‍तु परमेश्‍वर तुम्‍हारा हृदय जानता है। जो बात मनुष्‍यों की दृष्‍टि में महत्व रखती है, वह परमेश्‍वर की दृष्‍टि में घृणित है।

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पवित्र बाइबल

15 इस पर उसने उनसे कहा, “तुम वो हो जो लोगों को यह जताना चाहते हो कि तुम बहुत अच्छे हो किन्तु परमेश्वर तुम्हारे मनों को जानता है। लोग जिसे बहुत मूल्यवान समझते हैं, परमेश्वर के लिए वह तुच्छ है।

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Hindi Holy Bible

15 उस ने उन से कहा; तुम तो मनुष्यों के साम्हने अपने आप को धर्मी ठहराते हो: परन्तु परमेश्वर तुम्हारे मन को जानता है, क्योंकि जो वस्तु मनुष्यों की दृष्टि में महान है, वह परमेश्वर के निकट घृणित है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 उसने उनसे कहा, “तुम तो मनुष्यों के सामने अपने आप को धर्मी ठहराते हो, परन्तु परमेश्‍वर तुम्हारे मन को जानता है, क्योंकि जो वस्तु मनुष्यों की दृष्‍टि में महान् है, वह परमेश्‍वर के निकट घृणित है।

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नवीन हिंदी बाइबल

15 तब यीशु ने उनसे कहा :“तुम अपने आपको मनुष्यों के सामने धर्मी ठहराते हो, परंतु परमेश्‍वर तुम्हारे मनों को जानता है; क्योंकि जो मनुष्यों में सम्मानित है वह परमेश्‍वर की दृष्‍टि में घृणित है।

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सरल हिन्दी बाइबल

15 उन्हें संबोधित करते हुए प्रभु येशु ने कहा, “तुम स्वयं को अन्यों के सामने नीतिमान प्रस्तुत करते हो किंतु परमेश्वर तुम्हारे हृदय को जानते हैं. वह, जो मनुष्यों के सामने महान है, परमेश्वर की दृष्टि में घृणित है.

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लूका 16:15
40 क्रॉस रेफरेंस  

हे मेरे परमेश्‍वर! मैं जानता हूं, तू हृदय को परखता है। तू निष्‍कपट हृदय के व्यक्‍ति से प्रसन्न होता है। मैं निष्‍कपट हृदय से यह सब भेंट स्‍वेच्‍छापूर्वक तुझे अर्पित करता हूँ। अब मैंने तेरे निज लोगों को भी देखा जिन्‍होंने आनन्‍दपूर्वक स्‍वेच्‍छा से तुझे भेंट चढ़ाई।


तो तू उसको क्षमा करना और अपने निवास-स्‍थान, स्‍वर्ग से उसकी प्रार्थना सुनना और कार्य करना। प्रत्‍येक मनुष्‍य को, जिसका हृदय तू जानता है, उसके कार्य के अनुरूप फल देना। प्रभु, केवल तू मनुष्‍य के हृदय को जानता है।


दुर्जन अपनी अभिलाषा की डींग मारता है; वह स्‍वयं की प्रशंसा करता, पर प्रभु की निन्‍दा करता है।


यह उनकी नियति है जो झूठा भरोसा करते हैं। यह उनका अन्‍त है जो अपने अंश में मगन रहते हैं। सेलाह


यद्यपि वह अपने जीवनकाल में स्‍वयं को सुखी मानता है; यद्यपि लोग उसकी प्रशंसा करते हैं, कि वह जीवन में सफल हुआ है;


भला हो कि दुष्‍ट की दुष्‍टता नष्‍ट हो, और तू धार्मिक मनुष्‍य को प्रतिष्‍ठित करे। मन और हृदय को परखनेवाला परमेश्‍वर धर्ममय है।


प्रत्‍येक अहंकारी व्यक्‍ति से प्रभु घृणा करता है; मैं निश्‍चय के साथ कहता हूं: प्रभु उसको अवश्‍य दण्‍ड देगा।


अनेक मनुष्‍य अपनी मित्रता का दावा करते हैं; पर सच्‍चा मित्र किसे मिल सकता है?


प्रत्‍येक मनुष्‍य अपनी दृष्‍टि में अपने आचरण को उचित समझता है, परन्‍तु प्रभु उसके हृदय को जांचता है।


केवल मैं हृदय की जांच करता हूँ; मैं प्रभु, मनुष्‍य के मन को परखता हूँ, और हर एक मनुष्‍य को उसके आचरण के अनुकूल उसके कर्मों के फल के अनुसार पुरस्‍कार देता हूं।


अब हम अभिमानी लोगों को धन्‍य कहेंगे। दुष्‍कर्मी न केवल जीवन में सफल होते हैं, वरन् जब वे परमेश्‍वर को परखते हैं तब भी वे बच जाते हैं।” ?’


वे अपना हर काम लोगों का ध्‍यान आकर्षित करने के लिए ही करते हैं। वे अपने तावीजों को चौड़ा और अपने वस्‍त्रों की झालरों को लम्‍बा बनाते हैं।


“जब तुम उपवास करते हो तब ढोंगियों की तरह मुँह उदास बनाकर उपवास नहीं करो। वे अपना मुँह मलिन बना लेते हैं, जिस से लोग यह समझें कि वे उपवास कर रहे हैं। मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, वे अपना पुरस्‍कार पा चुके हैं।


“जब तुम दान देते हो तो इसका ढिंढोरा नहीं पीटो, जैसे ढोंगी सभागृहों और गलियों में करते हैं, जिससे लोग उनकी प्रशंसा करें। मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, वे अपना पुरस्‍कार पा चुके हैं।


“जब तुम प्रार्थना करते हो तब ढोंगियों की तरह प्रार्थना नहीं करो। वे सभागृहों में और चौकों पर खड़ा हो कर प्रार्थना करना पसन्‍द करते हैं, जिससे लोग उन्‍हें देखें। मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, वे अपना पुरस्‍कार पा चुके हैं।


इस पर व्‍यवस्‍था के आचार्य ने अपने प्रश्‍न की सार्थकता दिखलाने के लिए येशु से पूछा, “लेकिन मेरा पड़ोसी कौन है?”


प्रभु ने उससे कहा, “तुम फरीसी लोग कटोरों और थालियों को बाहर से तो माँजते हो, परन्‍तु तुम्‍हारे भीतर लालच और दुष्‍टता भरी है।


फरीसी खड़े-खड़े इस प्रकार प्रार्थना कर रहा था, ‘परमेश्‍वर! मैं तुझे धन्‍यवाद देता हूँ कि मैं दूसरे लोगों की तरह लोभी, अन्‍यायी, व्‍यभिचारी नहीं हूँ और न इस चुंगी-अधिकारी की तरह हूँ।


येशु ने कहा, “मैं तुम से कहता हूँ, वह पहला नहीं, बल्‍कि यह मनुष्‍य पापमुक्‍त हो कर अपने घर गया। क्‍योंकि जो कोई अपने आपको ऊंचा करता है, वह नीचा किया जाएगा; परन्‍तु जो अपने आप को नीचा करता है, वह ऊंचा किया जाएगा।”


उसने उत्तर दिया, “इन सब का पालन तो मैं अपने बचपन से करता आया हूँ।”


कुछ लोग बड़े आत्‍मविश्‍वास के साथ अपने को धर्मी मानते और दूसरों को तुच्‍छ समझते थे। येशु ने ऐसे लोगों के लिए यह दृष्‍टान्‍त सुनाया,


वे येशु को फँसाने की ताक में रहते थे। उन्‍होंने उनके पास गुप्‍तचर भेजे, कि वे धर्मी होने का ढोंग रच कर येशु को किसी न किसी कथन में पकड़ लें, जिससे वे उन्‍हें राज्‍यपाल के शासन और अधिकार में दे सकें।


वे विधवाओं की सम्‍पत्ति चट कर जाते और दिखावे के लिए लम्‍बी-लम्‍बी प्रार्थनाएँ करते हैं। उनको बड़ा कठोर दण्‍ड मिलेगा।”


उन्‍हें यह आवश्‍यकता नहीं थी कि कोई उन्‍हें मनुष्‍य के विषय में बताए; क्‍योंकि वह स्‍वयं जानते थे कि मनुष्‍य के मन में क्‍या है।


येशु ने तीसरी बार उससे कहा, “सिमोन, योहन के पुत्र! क्‍या तुम मुझे प्‍यार करते हो?” पतरस को इससे दु:ख हुआ कि उन्‍होंने तीसरी बार उससे यह पूछा, “क्‍या तुम मुझे प्‍यार करते हो?”। उसने येशु से कहा, “प्रभु! आप तो सब कुछ जानते हैं। आप जानते हैं कि मैं आप को प्‍यार करता हूँ।” येशु ने उससे कहा, “मेरी भेड़ों को चराओ।


“उसने अपने अधर्म की कमाई से एक खेत खरीदा। वह उस में मुँह के बल गिरा, उसका पेट फट गया और उसकी सारी अँतड़ियाँ बाहर निकल आयीं।


तब उन्‍होंने इस प्रकार प्रार्थना की, “प्रभु! तू सब का हृदय जानता है। यह प्रकट कर कि तूने इन दोनों में से किस को चुना है,


परमेश्‍वर मनुष्‍य का हृदय जानता है। उसने गैर-यहूदियों को हमारे ही समान पवित्र आत्‍मा प्रदान किया। इस प्रकार उसने उनके पक्ष में साक्षी दी


क्‍योंकि व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड द्वारा कोई भी मनुष्‍य परमेश्‍वर के सामने धार्मिक नहीं ठहराया जायेगा: व्‍यवस्‍था केवल पाप का ज्ञान कराती है।


परमेश्‍वर हमारे हृदय का रहस्‍य जानता है। वह समझता है कि आत्‍मा का अभिप्राय क्‍या है,क्‍योंकि आत्‍मा परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार सन्‍तों के लिए विनती करता है।


इसलिए समय से पूर्व, प्रभु के आने तक, आप किसी बात का न्‍याय मत कीजिए। वही अन्‍धकार में छिपी हुई बातों को प्रकाश में लायेंगे और मनुष्‍यों के हृदय के गुप्‍त अभिप्राय प्रकट करेंगे। उस समय हर एक को परमेश्‍वर की ओर से यथायोग्‍य श्रेय दिया जायेगा।


वह हृदय के अभ्‍यन्‍तर का शृंगार हो, अर्थात् विनम्र तथा शान्‍त स्‍वभाव का अनश्‍वर अलंकरण, जो परमेश्‍वर की दृष्‍टि में बहुत मूल्‍यवान् है।


और तुम, नवयुवको! धर्मवृद्धों की अधीनता स्‍वीकार करो। आप सब नम्रतापूर्वक एक दूसरे की सेवा के लिए कमर कस कर तैयार रहें; क्‍योंकि परमेश्‍वर घमण्‍डियों का विरोध करता है, किन्‍तु वह विनम्र लोगों पर दया करता है।


मैं उसकी सन्‍तति का संहार करूंगा और सब कलीसियाएँ यह जान जायेंगी कि मैं वह हूँ, जो मन और ह्रदय की थाह लेता है और मैं तुम में से हर एक को उसके कर्मों का फल दूँगा।


परन्‍तु प्रभु ने शमूएल से कहा, ‘तू उसके बाहरी रूप-रंग और ऊंचे कद पर ध्‍यान मत दे। मैंने उसे अस्‍वीकार किया है। जिस दृष्‍टि से मनुष्‍य देखता है, उस दृष्‍टि से मैं नहीं देखता। मनुष्‍य व्यक्‍ति के बाहरी रूप-रंग को देखता है, पर मैं उसके हृदय को देखता हूँ।’


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