42 “फरीसियो! धिक्कार है तुम लोगों को! क्योंकि तुम पुदीने, सदाब और हर प्रकार के साग का दशमांश तो देते हो; लेकिन न्याय और परमेश्वर के प्रति प्रेम की उपेक्षा करते हो। तुम्हारे लिए उचित तो यह था कि तुम इन्हें भी करते रहते और उनकी भी उपेक्षा नहीं करते।
42 “ओ फरीसियों! तुम्हें धिक्कार है क्योंकि तुम अपने पुदीने और सुदाब बूटी और हर किसी जड़ी बूटी का दसवाँ हिस्सा तो अर्पित करते हो किन्तु परमेश्वर के लिये प्रेम और न्याय की उपेक्षा करते हो। किन्तु इन बातों को तुम्हें उन बातों की उपेक्षा किये बिना करना चाहिये था।
42 पर हे फरीसियों, तुम पर हाय ! तुम पोदीने और सुदाब का, और सब भांति के साग-पात का दसवां अंश देते हो, परन्तु न्याय को और परमेश्वर के प्रेम को टाल देते हो: चाहिए तो था कि इन्हें भी करते रहते और उन्हें भी न छोड़ते।
42 “पर हे फरीसियो, तुम पर हाय! तुम पोदीने और सुदाब का और सब भाँति के साग–पात का दसवाँ अंश देते हो, परन्तु न्याय को और परमेश्वर के प्रेम को टाल देते हो; चाहिए तो था कि इन्हें भी करते रहते और उन्हें भी न छोड़ते।
42 “परंतु हे फरीसियो, तुम पर हाय! क्योंकि तुम पुदीने, सिताब और हर प्रकार के साग-पात का दशमांश तो देते हो, परंतु परमेश्वर के न्याय और प्रेम की उपेक्षा करते हो; चाहिए था कि इन्हें करते और उनमें भी कमी न आने देते।
42 “धिक्कार है तुम पर, फ़रीसियो! तुम परमेश्वर को अपने पुदीना, ब्राम्ही तथा अन्य हर एक साग-पात का दसवां अंश तो देते हो किंतु मनुष्यों के प्रति न्याय और परमेश्वर के प्रति प्रेम की उपेक्षा करते हो. ये ही वे चीज़ें हैं, जिनको पूरा करना आवश्यक है—अन्यों की उपेक्षा किए बिना.
हम यह भी प्रतिज्ञा करते हैं कि अपने गूंधे हुए आटे का प्रथम अंश, अपनी भेंटें, प्रत्येक वृक्ष का प्रथम फल, अंगूर-रस और तेल का प्रथम भाग, अपने परमेश्वर के भवन के कक्षों में पुरोहितों को देंगे। हम अपने खेतों की फसल का दशमांश उपपुरोहित को देंगे; क्योंकि उपपुरोहित ही हमारे सब नगरों में यह दशमांश एकत्र करते हैं।
अच्छा यह है कि तुम एक को पकड़े रहो, और दूसरे को भी अपने हाथों से न निकलने दो। जो मनुष्य परमेश्वर की भक्ति करता है, वह इन सब कठिनाइयों से पार हो जाएगा।
ओ मानव, प्रभु ने तुझे बताया है कि उचित क्या है, और वह तुझसे क्या चाहता है। यही न कि तू न्याय-सिद्धान्त का पालन करे करुणा से प्रेम करे, और नम्रतापूर्वक अपने परमेश्वर के मार्ग पर चले?
प्रभु कहता है, ‘पुत्र अपने पिता का आदर करता है, सेवक अपने स्वामी से डरता है। यदि मैं तुम्हारा पिता हूं तो कहां है मेरा आदर? यदि मैं तुम्हारा स्वामी हूं तो तुम मुझसे डरते क्यों नहीं हो? मैं, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु तुमसे यों कहता हूं। ओ पुरोहितो, मेरे नाम को अपमानित करने वालो! तुम कहते हो, “हमने तेरे नाम का अपमान कैसे किया?”
ओ पुरोहितो! तुमने अपनी बातों से प्रभु को उकता दिया है। फिर भी तुम पूछते हो, ‘हमने कैसे प्रभु को उकता दिया?’ तुम यह कहकर उसे उकता देते हो, ‘जो बुराई करता है, वह प्रभु की दृष्टि में भला है, क्योंकि प्रभु बुरे कार्यों से प्रसन्न होता है।’ तुम यह भी पूछते हो, ‘न्याय करने वाला परमेश्वर कहां है?’
क्या मनुष्य मुझ-परमेश्वर को धोखा दे सकता है? पर तुम मुझे धोखा दे रहे हो। तुम पूछते हो, “हम तुझे किस प्रकार धोखा दे रहे हैं?” तुम अपने दशमांश और विधिवत् भेंटों में मुझे धोखा दे रहे हो।
“ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग-राज्य का द्वार बन्द कर देते हो; न तो तुम स्वयं प्रवेश करते हो और न प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो।
“ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम पुदीने, सौंफ और जीरे का दशमांश तो देते हो, किन्तु धर्म-व्यवस्था की मुख्य बातों − न्याय, करुणा और विश्वास की उपेक्षा करते हो। तुम्हारे लिए उचित तो यह था कि तुम इन्हें करते रहते और उन को भी नहीं छोड़ते!
“ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम पुती हुई कबरों के सदृश हो, जो बाहर से तो सुन्दर दीख पड़ती हैं, किन्तु भीतर से मुरदों की हड्डियों और हर तरह की गन्दगी से भरी हुई हैं।
यदि कोई यह कहे कि मैं परमेश्वर से प्रेम करता हूँ और वह अपने भाई अथवा बहिन से बैर करे, तो वह झूठा है। यदि वह अपने भाई अथवा बहिन से, जिसे वह देखता है, प्रेम नहीं करता, तो वह परमेश्वर से जिसे उसने कभी नहीं देखा, प्रेम नहीं कर सकता।
किन्तु शमूएल ने यह कहा : ‘जैसे प्रभु अपनी आज्ञा का पालन किये जाने पर प्रसन्न होता है, क्या वैसे वह अग्नि-बलि और पशुओं की बलि से प्रसन्न होता है? देख, प्रभु की आज्ञा मानना पशु की बलि चढ़ाने से श्रेष्ठ है! उसकी बात पर ध्यान देना मेढ़े की चर्बी चढ़ाने से उत्तम है।