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रोमियों 8:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5-6 क्‍योंकि जो शारीरिक स्‍वभाव से संचालित हैं, वे शारीरिक आचरण की बातों की चिन्‍ता करते हैं और इसका परिणाम मृत्‍यु है; जो आत्‍मा से संचालित हैं, वे आत्‍मा की बातों की चिन्‍ता करते हैं और इसका परिणाम जीवन और शान्‍ति है।

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पवित्र बाइबल

5 क्योंकि वे जो अपने भौतिक मानव स्वभाव के अनुसार जीते हैं, उनकी बुद्धि मानव स्वभाव की इच्छाओं पर टिकी रहती है परन्तु वे जो आत्मा के अनुसार जीते है, उनकी बुद्धि जो आत्मा चाहती है उन अभिलाषाओं में लगी रहती है।

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Hindi Holy Bible

5 क्योंकि शरीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 क्योंकि शारीरिक व्यक्‍ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

5 क्योंकि शारीरिक व्यक्‍ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं, परंतु आत्मिक व्यक्‍ति आत्मा की बातों पर।

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सरल हिन्दी बाइबल

5-6 वे, जो पापी स्वभाव के हैं, उनका मन शारीरिक विषयों पर ही लगा रहता है, जिसका फल है मृत्यु तथा वे, जो पवित्र आत्मा के स्वभाव के हैं, उनका मन पवित्र आत्मा की अभिलाषाओं को पूरा करने पर लगा रहता है, जिसका परिणाम है जीवन और शांति.

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रोमियों 8:5
14 क्रॉस रेफरेंस  

किन्‍तु येशु ने मुड़ कर अपने शिष्‍यों की ओर देखा, और पतरस को डाँटते हुए कहा, “मेरे सामने से हट जा, शैतान! तुम परमेश्‍वर की बातें नहीं, बल्‍कि मनुष्‍यों की बातें सोचते हो।”


जो शरीर से उत्‍पन्न होता है, वह शरीर है और जो आत्‍मा से उत्‍पन्न होता है, वह आत्‍मा है।


यदि परमेश्‍वर का आत्‍मा सचमुच आप लोगों में निवास करता है, तो आप शारीरिक स्‍वभाव के वश में नहीं, बल्‍कि आत्‍मा से ही प्रभावित हैं। जिस मनुष्‍य में मसीह का आत्‍मा निवास नहीं करता, वह मसीह का नहीं।


मिट्टी का बना मनुष्‍य जैसा था, वैसे ही मिट्टी के बने मनुष्‍य हैं और स्‍वर्गिक मनुष्‍य जैसा है, वैसे ही वे हैं जो स्‍वर्ग के हैं।


प्राकृत मनुष्‍य परमेश्‍वर के आत्‍मा की शिक्षा स्‍वीकार नहीं करता। वह उसे मूर्खता मानता और उसे समझने में असमर्थ है, क्‍योंकि आत्‍मा की सहायता से ही उस शिक्षा की परख हो सकती है।


हम संसार में रहते हैं अवश्‍य, किन्‍तु हम सांसारिक मनुष्‍य की तरह संघर्ष नहीं करते।


शारीरिक स्‍वभाव तो पवित्र आत्‍मा के विरुद्ध इच्‍छा करता है, और पवित्र आत्‍मा शारीरिक स्‍वभाव के विरुद्ध। ये दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं। इसलिए आप जो चाहते हैं, वही नहीं कर पाते हैं।


जहाँ ज्‍योति है, वहाँ हर प्रकार की भलाई, धार्मिकता तथा सच्‍चाई उत्‍पन्न होती है।


विशेष रूप से उन लोगों को, जो अशुद्ध वासनाओं के वशीभूत हो कर भोग-विलास में जीवन बिताते और प्रभुत्‍व को तुच्‍छ समझते हैं। वे उद्धत एवं घमण्‍डी हैं और स्‍वर्गिक सत्‍वों की निन्‍दा करने से नहीं डरते,


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