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रोमियों 2:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 और जो लोग स्‍वार्थी हैं और सत्‍य से विद्रोह करते हुए अधर्म पर चलते हैं, ये परमेश्‍वर के क्रोध और प्रकोप के पात्र होंगे।

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पवित्र बाइबल

8 किन्तु जो अपने स्वार्थीपन से सत्य पर नहीं चल कर अधर्म पर चलते हैं उन्हें बदले में क्रोध और प्रकोप मिलेगा।

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Hindi Holy Bible

8 पर जो विवादी हैं, और सत्य को नहीं मानते, वरन अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 पर जो विवादी हैं और सत्य को नहीं मानते, वरन् अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा।

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नवीन हिंदी बाइबल

8 परंतु जो स्वार्थी हैं और सत्य को नहीं मानते बल्कि अधर्म पर चलते हैं, उन पर प्रकोप और क्रोध पड़ेगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

8 और जो स्वार्थी हैं, सच का तिरस्कार तथा दुष्टता का पालन करते हैं, उन्हें कोप और क्रोध.

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रोमियों 2:8
34 क्रॉस रेफरेंस  

महानगर के तीन खण्‍ड हो गये और राष्‍ट्रों के नगरों का सर्वनाश हो गया। परमेश्‍वर ने महान नगरी बेबीलोन को याद किया और उसे अपने क्रोध की तीखी मदिरा का प्‍याला पिलाया।


क्‍योंकि न्‍याय का समय प्रारम्‍भ हो गया है और यह स्‍वयं परमेश्‍वर के परिवार से प्रारम्‍भ हो रहा है। यदि वह इस प्रकार हम से प्रारम्‍भ हो रहा है, तो अन्‍त में उन लोगों का क्‍या होगा, जो परमेश्‍वर के शुभ समाचार में विश्‍वास करना नहीं चाहते?


अविवेकी मनुष्‍य घमण्‍ड के कारण लड़ाई-झगड़े मोल लेता है; पर दूसरों की सलाह माननेवाला मनुष्‍य निस्‍सन्‍देह बुद्धिमान है।


तो उसे परमेश्‍वर के क्रोध की मदिरा पिलायी जायेगी, जो बिना मिलावट के, उसके क्रोध के प्‍याले में ढाली गयी है। और वह पवित्र स्‍वर्गदूतों और मेमने के सामने आग और गन्‍धक की यन्‍त्रणा भोगेगा।


विश्‍वास के कारण अब्राहम ने परमेश्‍वर का बुलावा स्‍वीकार किया कि वह उस देश को जाएं जिसको वह विरासत में प्राप्‍त करने वाले थे। अब्राहम यह न जानते हुए भी कि वह कहाँ जा रहे हैं, उन्‍होंने उस देश के लिए प्रस्‍थान किया।


एक भयानक आशंका ही शेष रह जाती है−न्‍याय की, और एक भीषण अग्‍नि की, जो विद्रोहियों को निगल जाना चाहती है।


वह पूर्ण रूप से सिद्ध बन कर और परमेश्‍वर से मलकीसेदेक के अनुरूप महापुरोहित की उपाधि प्राप्‍त कर उन सब के शाश्‍वत मुक्‍ति के स्रोत बन गये, जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं।


निरर्थक विवादों, वंशावलियों, दलबन्‍दी और व्‍यवस्‍था सम्‍बन्‍धी झगड़ों से दूर रहो। यह सब अलाभकर और व्‍यर्थ है।


यदि कोई इसके विषय में विवाद करना चाहे, तो वह यह जान ले कि न तो हमारे यहाँ कोई दूसरी प्रथा प्रचलित है और न परमेश्‍वर की कलीसियाओं में ही।


मैं केवल उन बातों की चर्चा करने का साहस करूँगा, जिन्‍हें मसीह ने गैर-यहूदियों को विश्‍वास की अधीनता स्‍वीकार करने के लिए मेरे द्वारा वचन और कर्म से,


किन्‍तु सब ने शुभ समाचार का स्‍वागत नहीं किया। नबी यशायाह कहते हैं “प्रभु! किसने हमारे सन्‍देश पर विश्‍वास किया है?”


यदि परमेश्‍वर ने अपना क्रोध प्रदर्शित करने तथा अपना सामर्थ्य प्रकट करने के उद्देश्‍य से बहुत धैर्य से कोप के उन पात्रों को सहन किया, जो विनाश के लिए तैयार थे, तो कौन आपत्ति कर सकता है?


परमेश्‍वर को धन्‍यवाद कि आप लोग, जो पहले पाप के दास थे, अब सम्‍पूर्ण हृदय से उस मानक शिक्षा के मार्ग पर चलने लगे, जो अनुगमन के लिए आपको दी गयी है।


परमेश्‍वर का क्रोध स्‍वर्ग से उन लोगों के सब प्रकार के अधर्म और अन्‍याय पर प्रकट हो रहा है, जो अन्‍याय द्वारा सत्‍य को दबाये रखते हैं।


प्रभु के क्रोध के सम्‍मुख कौन खड़ा रह सकता है? उसकी क्रोधाग्‍नि को कौन सह सकता है? उसका कोप अग्‍नि की तरह बरसता है, और प्रभु के सामने चट्टानें फूट जाती हैं।


तुममें कौन ऐसा व्यक्‍ति है, जो प्रभु की श्रद्धा-भक्‍ति करता है, जो प्रभु के सेवक के वचन का पालन करता है, जिसके साथ दीपक का प्रकाश नहीं है, और अन्‍धकार में चलता है, वह प्रभु के नाम पर भरोसा करे, वह परमेश्‍वर का सहारा ले!


तेरे कितने भक्‍त तेरे क्रोध की शक्‍ति को जान सकते हैं; तेरे रोष को कौन अनुभव कर सकता है?


‘कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो ज्‍योति के प्रति विद्रोह करते हैं; वे उसके मार्गों को नहीं पहचानते हैं, वे उसके मार्गों पर स्‍थिर नहीं रहते हैं।


पत्‍नियो! आप अपने पतियों के अधीन रहें। यदि उन में से कुछ अब तक शुभ संदेश स्‍वीकार नहीं करते, तो वे आपका श्रद्धापूर्ण तथा पवित्र जीवन देखकर-शब्‍दों के कारण नहीं,


तब तू स्‍वर्ग से उनका मुकदमा सुनना और कार्य करना। प्रभु, अपने सेवकों का न्‍याय करना। दुर्जन को दुर्जन घोषित करना और उसके आचरण का फल उसके सिर पर लौटाना। परन्‍तु सज्‍जन को सज्‍जन सिद्ध करना, और उसकी सज्‍जनता के अनुरूप उसे फल देना।


धार्मिक मनुष्‍य की अभिलाषा केवल भलाई होती है; पर दुर्जन की आशा का परिणाम प्रभु का क्रोध होता है!


जिन्‍होंने मेरे समझौते को भंग किया, जिन्‍होंने उस समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया, जो उन्‍होंने मेरे सम्‍मुख किया था, उन को मैं उसी बछड़े के समान दो टुकड़े कर दूंगा जिसके उन्‍होंने समझौते के अवसर पर दो टुकड़े किए थे, और टुकड़ों के बीच से गुजरे थे।


अत: मैंने अपनी क्रोधाग्‍नि उन पर उण्‍डेल दी। मैंने अपने क्रोध की ज्‍वाला से उनको भस्‍म कर दिया। मैंने उनके आचरण का प्रतिफल उन्‍हीं के सिर पर लौटा दिया।’ स्‍वामी-प्रभु की यही वाणी है।


मुझे आशंका है-कहीं ऐसा न हो कि आने पर मैं आप लोगों को जैसा पाना चाहता, वैसा नहीं पाऊं और आप मुझे जैसा नहीं चाहते, वैसा ही पाएँ। कहीं ऐसा न हो कि मैं आपके यहाँ फूट, ईष्‍र्या, बैर, स्‍वार्थपरता, परनिन्‍दा, चुगलख़ोरी, अहंकार और उपद्रव पाऊं।


मूर्ति-पूजा, जादू-टोना, बैर, फूट, ईष्‍र्या, क्रोध, स्‍वार्थपरता, मनमुटाव, दलबन्‍दी,


किन्‍तु वे दूसरे लोग प्रतिस्‍पर्द्धा से प्रेरित हो कर शुद्ध उद्देश्‍य से मसीह का प्रचार नहीं करते। वे समझते हैं कि वे इस प्रकार मेरी कैद को और भारी बना देंगे।


आप दलबन्‍दी तथा मिथ्‍याभिमान से दूर रहें। हर व्यक्‍ति नम्रतापूर्वक दूसरों को अपने से श्रेष्‍ठ समझे।


यदि आपका हृदय कटु ईष्‍र्या और स्‍वार्थ से भरा हुआ है, तो डींग मार कर सत्‍य के विपरीत झूठा दावा मत करें।


जहाँ ईष्‍र्या और स्‍वार्थ है, वहाँ अशान्‍ति और हर तरह की बुराई पायी जाती है।


हमारे पर का पालन करें:

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