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योना 4:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 जब सूरज निकला तब परमेश्‍वर ने पूर्व दिशा से गरम हवा बहाई। योना के सिर पर सूरज की किरणें पड़ीं और वह बेहोश हो गया। योना मृत्‍यु की इच्‍छा करने लगा। उसने कहा, ‘मेरे लिए जीवित रहने की अपेक्षा मरना अच्‍छा है।’

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पवित्र बाइबल

8 सूरज जब आकाश में ऊपर चढ़ चुका था, परमेश्वर ने पुरवाई की गर्म हवाएँ चला दीं। योना के सिर पर सूरज चमक रहा था, और योना एक दम निर्बल हो गया था। योना ने परमेश्वर से चाहा कि वह वह उसे मौत दे दे। योना ने कहा, “मेरे लिये जीवित रहने से अच्छा है कि मैं मर जाऊँ।”

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Hindi Holy Bible

8 जब सूर्य उगा, तब परमेश्वर ने पुरवाई बहा कर लू चलाई, और घाम योना के सिर पर ऐसा लगा कि वह मूर्च्छा खाने लगा; और उसने यह कह कर मृत्यु मांगी, मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 जब सूर्य उगा, तब परमेश्‍वर ने पुरवाई बहाकर लू चलाई, और धूप योना के सिर पर ऐसी लगी कि वह मूर्च्छित होने लगा; और उसने यह कहकर मृत्यु माँगी, “मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है।”

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सरल हिन्दी बाइबल

8 जब सूरज निकला, तब परमेश्वर ने एक झुलसाती पूर्वी हवा चलाई, और योनाह के सिर पर सूर्य की गर्मी पड़ने लगी, जिससे वह मूर्छित होने लगा. वह मरना चाहता था, और उसने कहा, “मेरे लिये जीवित रहने से मर जाना भला है.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

8 जब सूर्य उगा, तब परमेश्वर ने पुरवाई बहाकर लू चलाई, और धूप योना के सिर पर ऐसे लगी कि वह मूर्छा खाने लगा; और उसने यह कहकर मृत्यु माँगी, “मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है।”

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योना 4:8
23 क्रॉस रेफरेंस  

उनके पीछे सात पतली और पूर्वी वायु से झुलसी हुई बालें फूटीं।


और स्‍वयं निर्जन प्रदेश की ओर चले गए। उन्‍होंने एक दिन का मार्ग पार किया। वह झाऊ वृक्ष के नीचे बैठ गए। उन्‍होंने प्रभु से अपनी मृत्‍यु मांगी। उन्‍होंने कहा, ‘प्रभु, अब बहुत हो गया! तू मेरे प्राण ले ले। मैं अपने पूर्वजों से गया-बीता हूं।’


अहाब उदास और अप्रसन्न हो गया; क्‍योंकि यिज्रएल-निवासी नाबोत ने उससे यह कहा था, ‘मैं अपने पूर्वजों की पैतृक भूमि आपको नहीं दूंगा।’ अहाब अपने महल में आया। वह अपने पलंग पर लेट गया। उसने अपना मुंह ढक लिया। उसने भोजन नहीं किया।


अय्‍यूब ने कहा, ‘तू एक मूर्ख स्‍त्री की तरह बक रही है। क्‍या हम परमेश्‍वर के हाथ से केवल सुख ही सुख ग्रहण करें, और दु:ख नहीं?’ अय्‍यूब पर ये विपत्तियाँ आईं, किन्‍तु उसने पाप नहीं किया; उसने परमेश्‍वर को नहीं कोसा।


मैं इतना भयभीत हो जाता हूं, कि मैं अपना ही गला घोंटना चाहता हूं। मुझे ऐसे जीवन से अधिक मृत्‍यु की कामना होने लगती है।


न दिन में सूर्य और न रात में चन्‍द्रमा तेरी हानि करेंगे।


मैं मूक था, मैंने अपना मुंह नहीं खोला; क्‍योंकि तूने ही यह किया है।


तुरन्‍त क्रुद्ध मत हो, क्‍योंकि क्रोध का वास-स्‍थान मूर्ख का हृदय है।


मुझे टेढ़ी नजर से मत देखो, कि मैं रंग की सांवली हूं, कि मैं धूप की झुलसी हूं। मेरे सहोदर भाई मुझसे नाराज थे, उन्‍होंने मुझे अंगूर-उद्यानों की रखवाली पर लगाया। पर मैं स्‍वयं अपने अंगूर-उद्यान की रखवाली न कर सकी!


वे न भूखे रहेंगे, और न प्‍यासे; वे न गर्म रेत से पीड़ित होंगे, और न धूप में उन्‍हें कष्‍ट होगा; क्‍योंकि जिसने उन पर दया की है, और उन्‍हें छुड़ाया है, वही उनका मार्गदर्शन करेगा। वह उन्‍हें जल-स्रोतों के पास ले जाएगा।


किन्‍तु उसके शत्रुओं ने क्रोध में भरकर उसको उखाड़ लिया, और भूमि पर फेंक दिया। पूरवी वायु ने उसको सुखा दिया। उसके फल तोड़ लिये। उसकी मोटी टहनियां सूख गईं, आग में वे झोंक दी गई।


एफ्रइम अपने भाई-बन्‍धुओं के मध्‍य फले- फूलेगा, पर पूरवी वायु, प्रभु का पवन उस पर बहेगा, वह निर्जन प्रदेश से उठेगा। एफ्रइम का जल-कुण्‍ड सूख जाएगा; उसका झरना निर्जल हो जाएगा। वह उसके बहुमूल्‍य वस्‍तुओं का भण्‍डार खाली कर देगा।


मूसा ने हारून से कहा, ‘प्रभु ने यही बात कही थी : “अपने निकटवर्ती लोगों के मध्‍य, मैं स्‍वयं को पवित्र सिद्ध करूँगा; समस्‍त लोगों के सम्‍मुख मैं अपनी महिमा करूँगा।” ’ परन्‍तु हारून मौन रहा।


प्रभु के आदेश से एक बड़ा मच्‍छ योना को निगल गया। योना तीन दिन और तीन रात उस मच्‍छ के पेट में पड़ा रहा।


परन्‍तु प्रभु ने समुद्र पर एक प्रचण्‍ड आंधी उत्‍पन्न की। तब समुद्र पर भयंकर तूफान उठा और जलयान के टूटने का भय उत्‍पन्न हो गया।


इसलिए अब मैं तुझसे यह विनती करता हूं: हे प्रभु, तू मेरा प्राण मुझसे ले ले। मेरे लिए जीवित रहने की अपेक्षा मरना अच्‍छा है।’


तब परमेश्‍वर ने योना से पूछा, ‘क्‍या यह उचित है कि तू अंडी के पेड़ के कारण नाराज हो?’ योना ने उत्तर दिया, ‘मेरा क्रोध उचित है। इसलिए मैं नाराज हूं। मैं मर जाना चाहता हूं।’


‘इन पिछले मजदूरों ने केवल घण्‍टे भर काम किया। तब भी आपने इन्‍हें हमारे बराबर बना दिया। हम दिन भर कठोर परिश्रम करते और धूप सहते रहे।’


मैं जिन से प्रेम करता हूँ, उन्‍हें डाँटता और दण्‍डित करता हूँ। इसलिए उत्‍साही बनो और पश्‍चात्ताप करो।


इन्‍हें फिर कभी न तो भूख लगेगी और न प्‍यास, इन्‍हें न तो धूप से कष्‍ट होगा और न किसी प्रकार के ताप से;


अत: शमूएल ने सब बातें उसको बता दीं; और उससे कुछ नहीं छिपाया। एली ने कहा, ‘वह प्रभु है! जो उसकी दृष्‍टि में उचित है, वही वह करे!’


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