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योना 2:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

6 मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुंच गया था। मैं अधोलोक में आ गया था, जहां अर्गलाओं ने मुझे सदा के लिए बन्‍द कर लिया था। फिर भी, हे प्रभु मेरे परमेश्‍वर, तू मेरे जीवन को मृत्‍यु के गड्ढे से ऊपर ले आया।

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पवित्र बाइबल

6 मैं सागर की तलहटी पर पड़ा था, जहाँ पर्वत जन्म लेते हैं। मुझको ऐसा लगा, जैसे इस बन्दीगृह के बीच सदा सर्वदा के लिये मुझ पर ताले जड़े हैं। किन्तु हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तूने मुझको मेरी इस कब्र से निकाल लिया! हे परमेश्वर, तूने मुझको जीवन दिया!

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Hindi Holy Bible

6 मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुंच गया था; मैं सदा के लिये भूमि में बन्द हो गया था; तौभी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने मेरे प्राणों को गड़हे में से उठाया है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

6 मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुँच गया था; मैं सदा के लिये भूमि में बन्द हो गया था; तौभी हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, तू ने मेरे प्राणों को गड़हे में से उठाया है।

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सरल हिन्दी बाइबल

6 समुद्र में मैं तो पर्वतों के जड़ तक उतर गया; पृथ्वी के तल ने मुझे सदा के लिए जकड़ लिया था. किंतु आपने, हे याहवेह मेरे परमेश्वर, मुझे गड्ढे में से निकाल लिया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

6 मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुँच गया था; मैं सदा के लिये भूमि में बन्द हो गया था; तो भी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तूने मेरे प्राणों को गड्ढे में से उठाया है।

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योना 2:6
25 क्रॉस रेफरेंस  

तो वह उस पर कृपा करता और यह कहता है, “इसको कबर में मत ले जाओ, वरन् छोड़ दो; क्‍योंकि मुझे इसका विमोचन-मूल्‍य मिल गया है।


परन्‍तु परमेश्‍वर ने मेरे प्राण को कबर में जाने से बचाया; अब मेरा जीवन ज्‍योति के दर्शन करेगा।”


तूने उसे वस्‍त्र की भांति महासागर से ढांप दिया है; पर्वत के ऊपर जल ठहर गया है।


वे पर्वतों से बहते हुए घाटियों में भर गए, उस स्‍थान पर, जिसे तूने उनके लिए निश्‍चित किया है।


मृत्‍यु के पाश ने मुझे लपेटा था; मृतक-लोक के फन्‍दों ने मुझे फंसा लिया था; मुझे संकट और शोक सहना पड़ा।


हे प्रभु, अविलम्‍ब मुझे उत्तर दे, मेरी आत्‍मा मिटने पर है, अपना मुख मुझसे न छिपा अन्‍यथा मैं कबर में जानेवालों के समान मृत हो जाऊंगा।


तूने मेरे प्राण को मृतक-लोक में नहीं छोड़ा, और न अपने भक्‍त को मृत्‍यु का ग्रास बनने दिया।


मृतक-लोक के पाश-बंधन ने मुझे उलझाया, मृत्‍यु का फंदा मेरे समक्ष आया।


प्रभु तूने मेरे प्राण को मृतक-लोक से बाहर निकाला। तूने मुझे जीवित रखा कि मैं फिर अधोलोक में न जाऊं।


“क्‍या लाभ मेरी मृत्‍यु से? यदि मैं मृतक-लोक में जाऊं तो क्‍या मैं, मृत व्यक्‍ति तेरी स्‍तुति कर सकूंगा; क्‍या मैं तेरे सत्‍य की घोषणा कर पाऊंगा?


परमेश्‍वर, तू उन्‍हें विनाश के गर्त्त में डालेगा; रक्‍त-पिपासु और कपटी मनुष्‍य आधी आयु भी व्‍यतीत न कर पाएंगे। पर मैं तुझ पर ही भरोसा करूंगा।


तूने ही अपने बाहुबल से पर्वतों को स्‍थित किया है; तू पराक्रम से विभूषित है।


मैं कीच-दलदल में धंस गया हूँ; वहाँ पैर रखने को आधार नहीं है, मैं अथाह जल में पहुंच गया हूँ, और जल प्रवाह मुझे डुबा रहा है।


मैंने यह सोचा था : मुझे अपने जीवनकाल के मध्‍य में ही यहां से प्रस्‍थान करना होगा; मुझे अधोलोक के द्वारों से प्रवेश करना होगा! जीवन के शेष वर्ष मुझ से छिन गए!


कडुआहट भोगने में ही मेरा कल्‍याण छिपा था; तूने मेरे जीवन को विनाश के गड्ढे में गिरने से रोका। तूने मेरे सब पाप अपनी पीठ के पीछे फेंक दिए!


अपनी अंजली से किसने महासागर को नापा है? किसने बित्ते से आकाश को नापा है? किसने पृथ्‍वी की मिट्टी को नाप में भरा है? किसने तराजू से पहाड़ी को तौला है? किसने पहाड़ियों को पलड़ों में रखा है?


तब मैं अधोलोक के जानेवालों के समान तुझको भी गड्ढे में फेंक दूंगा। मैं तुझे प्राचीन युग के लोगों के पास उतार दूंगा। ओ सोर नगर, मैं प्राचीन काल के उजड़े हुए खण्‍डहरों के समान तुझे एक खण्‍डहर नगर बना दूंगा। तू अधोलोक में निवास करेगा। तू कभी आबाद नहीं होगा, और तेरी गणना फिर कभी जीवलोक में नहीं की जाएगी।


ओ देवदार, यह इसलिए होगा, ताकि जल के समीप रोपे गए वृक्ष बहुत ऊंचाई तक न बढ़ें, और न उसकी टहनियां बादलों से ढकें, और न वे वृक्ष, जिनको भरपूर जल मिलता है, बादलों की ऊंचाई के बराबर सिर उठाएं। क्‍योंकि घमण्‍ड के कारण वे मृत हो जाते हैं, मैं उनको मृत मनुष्‍यों के मध्‍य मृत्‍यु के हाथ में, अधोलोक में सौंप देता हूं। वे भी कबर में जानेवालों के समान मृत हो जाते हैं।


पहाड़ों ने तुझे देखा, वे कांप उठे। जल-प्रलय की धाराएँ फूट पड़ीं। अथाह सागर चिल्‍ला पड़ा, उसने अपने हाथ ऊपर उठा लिए।


वह रुका, उसने पृथ्‍वी को नापा। उसने देखा, राष्‍ट्र हिल गए। युग-युग से खड़े पहाड़ बिखर गए। शाश्‍वत पहाड़ियाँ डूब गईं। उसकी गति आदि काल से एक-सी है।


मैं तुम से कहता हूँ कि तुम ‘पतरस’ अर्थात् ‘चट्टान’ हो और इस ‘चट्टान’ पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊंगा और अधोलोक के फाटक इस पर प्रबल नहीं हो पाएँगे।


मेरे क्रोध के कारण अग्‍नि जल उठी है। वह अधोलोक के नीचे तक जलेगी। वह पृथ्‍वी और उसकी उपज को भस्‍म कर देगी, पर्वतों की नींव में आग लगा देगी।


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