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यूहन्ना 15:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 “मैं दाखलता हूँ और तुम डालियाँ हो। जो मुझ में रहता है और मैं उस में, वह बहुत फलता है; क्‍योंकि मुझ से अलग रह कर तुम कुछ भी नहीं रह सकते।

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पवित्र बाइबल

5 “वह दाखलता मैं हूँ और तुम उसकी शाखाएँ हो। जो मुझमें रहता है, और मैं जिसमें रहता हूँ वह बहुत फलता है क्योंकि मेरे बिना तुम कुछ भी नहीं कर सकते।

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Hindi Holy Bible

5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 मैं दाखलता हूँ : तुम डालियाँ हो। जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।

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नवीन हिंदी बाइबल

5 मैं दाखलता हूँ, तुम डालियाँ हो। जो मुझमें बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल लाता है, क्योंकि मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।

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सरल हिन्दी बाइबल

5 “दाखलता मैं ही हूं, तुम डालियां हो. वह, जो मुझमें स्थिर बना रहता है और मैं उसमें, बहुत फल देता है; मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते.

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यूहन्ना 15:5
28 क्रॉस रेफरेंस  

धार्मिक व्यक्‍ति के आचरण का फल है: जीवन वृक्ष! पर दुष्‍कर्मी के कार्य का फल है: हिंसा!


वे मेरी प्रजा के पाप पर पलते हैं; वे उनके अधर्म के भूखे-प्‍यासे हैं।


परन्‍तु उसकी जड़ गहरी नहीं होती और वह थोड़े ही दिन स्‍थिर रहता है। वचन के कारण कष्‍ट या अत्‍याचार आ पड़ने पर वह तुरन्‍त विचलित हो जाता है।


मैं तुम से सच-सच कहता हूँ− जब तक गेहूँ का दाना मिट्टी में गिर कर नहीं मर जाता, तब तक वह अकेला ही रहता है; परन्‍तु यदि वह मर जाता है, तो बहुत फल देता है।


तुम ने मुझे नहीं चुना, बल्‍कि मैंने तुम्‍हें इसलिए चुना और नियुक्‍त किया कि तुम संसार में जाओ और फलवंत हो तथा तुम्‍हारा फल बना रहे, जिससे तुम मेरे नाम में पिता से जो कुछ माँगो, वह तुम्‍हें प्रदान करे।


येशु ने उन धर्मगुरुओं से कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ; पुत्र स्‍वयं अपने से कुछ नहीं कर सकता। वह केवल वही कर सकता है, जो पिता को करते हुए देखता है। जैसा पिता करता है, ठीक वैसा ही पुत्र भी करता है;


यदि यह मनुष्‍य परमेश्‍वर के यहाँ से नहीं आए होते, तो वह कुछ भी नहीं कर सकते थे।”


किसी दूसरे व्यक्‍ति द्वारा मुक्‍ति नहीं है; क्‍योंकि समस्‍त संसार में मनुष्‍यों को कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्‍ति मिल सकती है।”


उसी प्रकार हम अनेक होते हुए भी मसीह में एक ही शरीर और एक-दूसरे के अंग होते हैं।


किन्‍तु अब पाप से मुक्‍त हो कर आप परमेश्‍वर के दास बन गये और पवित्रता का फल उत्‍पन्न कर रहे हैं, जिसका परिणाम है शाश्‍वत जीवन;


मेरे भाइयो-बहिनो! आप भी मसीह की देह से संयुक्‍त होने के कारण व्‍यवस्‍था की ओर से मर गये और अब किसी दूसरे के, अर्थात् उन्‍हीं मसीह के हो गये हैं, जो मृतकों में से जी उठे। यह इसलिए हुआ कि हम परमेश्‍वर के लिए फल उत्‍पन्न करें।


क्‍या आशिष का कटोरा, जिस पर हम आशिष मांगते हैं, हमें मसीह के रक्‍त का सहभागी नहीं बनाता? क्‍या वह रोटी, जिसे हम तोड़ते हैं, हमें मसीह के शरीर का सहभागी नहीं बनाती


मनुष्‍य का शरीर एक है, यद्यपि उसके बहुत-से अंग होते हैं। और सभी अंग, अनेक होते हुए भी, एक ही शरीर बन जाते हैं। मसीह के विषय में भी यही बात है।


इसी तरह आप सब मिल कर मसीह की देह हैं और आप में से प्रत्‍येक उसका एक अंग है।


कारण, हम सत्‍य के विरुद्ध कुछ नहीं कर सकते, हम सत्‍य का समर्थन ही कर सकते हैं।


जो बोने वाले को बीज और खाने वाले को भोजन देता है, वह आप को बोने के लिए बीज देगा, उसे बढ़ायेगा और आपकी धार्मिकता की अच्‍छी फ़सल उत्‍पन्न करेगा।


परन्‍तु पवित्र आत्‍मा का फल है : प्रेम, आनन्‍द, शान्‍ति, सहनशीलता, दयालुता, हितकामना, ईमानदारी,


जहाँ ज्‍योति है, वहाँ हर प्रकार की भलाई, धार्मिकता तथा सच्‍चाई उत्‍पन्न होती है।


और परमेश्‍वर की महिमा तथा प्रशंसा के लिए उस धार्मिकता से परिपूर्ण होंगे, जो येशु मसीह के द्वारा ही फलती-फूलती है।


जो मुझे बल प्रदान करता है, उसकी सहायता से मैं सब कुछ कर सकता हूँ।


मैं दान पाने के लिए उत्‍सुक नहीं हूं। मैं इसलिए उत्‍सुक हूँ कि हिसाब में आपकी जमा-बाकी बढ़ती जाये।


इस प्रकार आप प्रभु के योग्‍य जीवन बिता कर सब बातों में उसे प्रसन्न करेंगे, हर प्रकार के भले कार्य करते रहेंगे और परमेश्‍वर के ज्ञान में फलते और बढ़ते जायेंगे।


आप के पास पहुँचा। यह समस्‍त संसार में फलता और बढ़ता जा रहा है। आप लोगों के यहाँ यह उस दिन से फलता और बढ़ता जा रहा है, जिस दिन आपने परमेश्‍वर के अनुग्रह के विषय में सुना और उसके सत्‍य का मर्म समझा।


सभी उत्तम दान और सभी पूर्ण वरदान ऊपर के हैं और नक्षत्रों के उस सृष्‍टिकर्ता पिता के यहाँ से उतरते हैं, जिस में न तो कोई परिवर्तन है और न परिक्रमा के कारण कोई अन्‍धकार।


प्रभु वह जीवन्‍त पत्‍थर हैं, जिसे मनुष्‍यों ने तो बेकार समझ कर निकाल दिया, किन्‍तु जो परमेश्‍वर द्वारा चुना हुआ और उसकी दृष्‍टि में मूल्‍यवान् है। आप उनके पास आयें


आप लोग हमारे प्रभु और मुक्‍तिदाता येशु मसीह के अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते रहें। उन्‍हीं की अभी और युगानुयुग महिमा हो! आमेन।


हमारे पर का पालन करें:

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