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यूहन्ना 10:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

6 येशु ने लोगों को यह दृष्‍टान्‍त सुनाया, किन्‍तु उन्‍होंने नहीं समझा कि वह उनसे क्‍या कह रहे हैं।

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पवित्र बाइबल

6 यीशु ने उन्हें यह दृष्टान्त दिया पर वे नहीं समझ पाये कि यीशु उन्हें क्या बता रहा है।

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Hindi Holy Bible

6 यीशु ने उन से यह दृष्टान्त कहा, परन्तु वे न समझे कि ये क्या बातें हैं जो वह हम से कहता है॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

6 यीशु ने उनसे यह दृष्‍टान्त कहा, परन्तु वे न समझे कि ये क्या बातें हैं जो वह हम से कहता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

6 यीशु ने उनसे यह दृष्‍टांत कहा। परंतु वे नहीं समझे कि जिन बातों को वह उन्हें बता रहा था, वे क्या हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

6 मसीह येशु के इस दृष्टांत का मतलब सुननेवाले फ़रीसी नहीं समझे कि वह उनसे कहना क्या चाह रहे थे.

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यूहन्ना 10:6
20 क्रॉस रेफरेंस  

जब हमारे पूर्वज मिस्र देश में थे, उन्‍होंने तेरे आश्‍चर्यपूर्ण कर्मों को नहीं समझा, उन्‍होंने तेरी अपार करुणा को स्‍मरण नहीं किया, वरन् सागर पर, लाल सागर पर विद्रोह किया।


वे जानते नहीं, वे समझते नहीं, वे अंधकार में भटक रहे हैं; पृथ्‍वी के समस्‍त आधार डगमगाने लगे हैं।


दुष्‍कर्म करनेवाला मनुष्‍य न्‍याय को नहीं समझता; परन्‍तु प्रभु के भक्‍त ही उसको भली-भांति समझते हैं।


कुत्तों की भूख शान्‍त नहीं होती, उनका पेट कभी नहीं भरता। चरवाहों में भी समझ नहीं है, वे अपने-अपने मार्ग पर चल रहे हैं, उन सबको केवल अपने लाभ की चिन्‍ता है।


इस अवधि में अनेक विश्‍वासी जन स्‍वयं को शुद्ध, निर्मल और उज्‍ज्‍वल कर लेंगे, किन्‍तु दुर्जन दुष्‍कर्म ही करते रहेंगे, और कोई भी दुष्‍कर्मी इन बातों को नहीं समझ पाएगा। पर जो समझदार हैं, वे ही इसको समझेंगे।


येशु ने दृष्‍टान्‍तों में ही ये सब बातें लोगों से कहीं। वह बिना दृष्‍टान्‍त के उन से कुछ नहीं कहते थे,


“क्‍या तुम लोग ये सब बातें समझ गये?” शिष्‍यों ने उत्तर दिया, “जी हाँ।”


वह बिना दृष्‍टान्‍त के लोगों से कुछ नहीं कहते थे, लेकिन एकान्‍त में अपने शिष्‍यों को सब बातें समझा देते थे।


“मैंने तुम से यह सब रूपकों में कहा है। वह समय आ रहा है, जब मैं फिर तुम से रूपकों में कुछ नहीं कहूँगा, बल्‍कि तुम्‍हें स्‍पष्‍ट शब्‍दों में पिता के विषय में बताऊंगा।


येशु के शिष्‍यों ने उन से कहा, “देखिए, अब आप रूपकों में नहीं, बल्‍कि स्‍पष्‍ट शब्‍दों में बोल रहे हैं।


इस पर वे यहूदी लोग आपस में वाद-विवाद करने लगे, “यह हमें खाने के लिए अपनी देह कैसे दे सकता है?”


यह सुनकर उनके बहुत-से शिष्‍यों ने कहा, “यह तो कठोर शिक्षा है। इसे कौन मान सकता है?”


इनके इस कथन का क्‍या अर्थ है : ‘तुम लोग मुझे ढूँढ़ोगे, किन्‍तु नहीं पाओगे’ और ‘मैं जहाँ हूँ, तुम वहाँ नहीं आ सकते’?”


किन्‍तु वे नहीं समझे कि येशु उन से पिता के विषय में कह रहे हैं।


तुम मेरी बातें क्‍यों नहीं समझते? कारण यह है कि तुम वचन सहन नहीं कर सकते।


प्राकृत मनुष्‍य परमेश्‍वर के आत्‍मा की शिक्षा स्‍वीकार नहीं करता। वह उसे मूर्खता मानता और उसे समझने में असमर्थ है, क्‍योंकि आत्‍मा की सहायता से ही उस शिक्षा की परख हो सकती है।


उन लोगों में सही अर्थ में यह कहावत चरितार्थ होती है, “कुत्ता अपने ही वमन के पास लौटता है” और “नहलायी हुई सूअरी फिर कीचड़ में लोटती है।”


हम जानते हैं कि परमेश्‍वर-पुत्र आया है और उसने हमें सच्‍चे परमेश्‍वर को पहचानने की समझ दी है। हम सच्‍चे परमेश्‍वर में निवास करते हैं; क्‍योंकि हम उसके पुत्र येशु मसीह में निवास करते हैं। यही सच्‍चा परमेश्‍वर और शाश्‍वत जीवन है।


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