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यिर्मयाह 5:21 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

21 ओ मूर्ख और नासमझ लोगो, यह सुनो। तुम्‍हारी आंखें हैं, पर तुम नहीं देखते। तुम्‍हारे कान हैं, पर तुम नहीं सुनते।

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पवित्र बाइबल

21 इस सन्देश को सुनो, तुम मूर्ख लोगों, तुम्हें समझ नहीं हैं: तुम लोगों की आँखें है, किन्तु तुम देखते नहीं! तुम लोगों के कान हैं, किन्तु तुम सनते नहीं!

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Hindi Holy Bible

21 हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगो, तुम जो आंखें रहते हुए नहीं देखते, जो कान रहते हुए नहीं सुनते, यह सुनो।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

21 “हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगो, तुम जो आँखें रहते हुए नहीं देखते, जो कान रहते हुए नहीं सुनते, यह सुनो।

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सरल हिन्दी बाइबल

21 मूर्ख और अज्ञानी लोगों, यह सुन लो, तुम्हारे नेत्र तो हैं किंतु उनमें दृष्टि नहीं है, तुम्हारे कान तो हैं किंतु उनमें सुनने कि क्षमता है ही नहीं:

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

21 “हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगों, तुम जो आँखें रहते हुए नहीं देखते, जो कान रहते हुए नहीं सुनते, यह सुनो। (प्रेरि. 28:26, मर. 8:18)

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यिर्मयाह 5:21
26 क्रॉस रेफरेंस  

अरे नासमझ लोगो, तुम विचार करो; अरे मूर्खो, तुम कब समझ से काम लोगे?


मूर्ख मनुष्‍य बुद्धि को खरीदने के लिए अपने हाथ में दाम क्‍यों रखे हुए है, जबकि उसमें समझ है ही नहीं?


वृक्ष की डालियाँ सूख गईं; वे टूट गईं स्‍त्रियाँ आती हैं, और उनसे आग जलाती हैं। यह एक विवेकहीन कौम है; अत: उसका सृजक उस पर दया नहीं करेगा; उनको रचनेवाला उन पर कृपा नहीं करेगा।


‘उन लोगों को मेरे सम्‍मुख प्रस्‍तुत करो, जिनको आंखें हैं, पर वे देखते नहीं, जिनके कान हैं, पर वे सुनते नहीं।


ऐसे लोग न जानते हैं और न समझते हैं। उनकी आंखें बन्‍द हैं, अत: वे देख नहीं सकते। उनकी बुद्धि पर परदा पड़ा है, इसलिए वे समझ नहीं सकते।


मूर्तियों की आशा करनेवाले मूर्ख और अज्ञानी हैं; मूर्तियाँ क्‍या शिक्षा दे सकती हैं? उनकी शिक्षा लकड़ी के समान बेजान है।


प्रभु ने कहा, ‘मेरे निज लोग मूर्ख हैं; वे मुझे नहीं जानते। वे नासमझ बच्‍चे हैं; उनमें बिल्‍कुल समझ नहीं है। वे दुष्‍कर्म करने में चतुर हैं, पर सत्‍कर्म कैसे करना चाहिए, यह वे नहीं जानते।’


‘याकूब के वंशजों को यह बताओ, यहूदा प्रदेश के लोगों से यह कहो:


मैंने सोचा, ‘यरूशलेम के ये लोग गरीब हैं। उन्‍हें समझ नहीं है। वे न प्रभु का मार्ग जानते हैं, और न अपने परमेश्‍वर के न्‍याय-सिद्धान्‍त।


मैं किसको चेतावनी दूं? किस से बोलूं कि लोग सुनें? देख, उनके कान बहरे हैं, वे सुन नहीं सकते। उनकी दृष्‍टि में मुझ-प्रभु का वचन मजाक बन गया है; वे उसको सुनना पसन्‍द नहीं करते हैं।


अब तुम मुझ-प्रभु की वाणी सुनो: तुम ने भी ये दुष्‍कर्म किए। मैंने बार-बार तुम्‍हें चेतावनी दी; पर तुमने मेरी बात नहीं सुनी; और जब मैंने तुम्‍हें पश्‍चात्ताप के लिए बुलाया तब तुमने मुझे उत्तर भी नहीं दिया।


आकाश का लकलक पक्षी भी अपने नियत समय को जानता है; पण्‍डुकी, सूपाबेनी और सारस भी अपने लौटने का समय जानते हैं। किन्‍तु शोक! मेरे निज लोग अपने प्रभु के न्‍याय-सिद्धान्‍तों को नहीं जानते।


‘ओ मानव, तू विद्रोही कौम, इस्राएली कुल के मध्‍य रहता है। उनके पास आंखें तो हैं, पर उन्‍हें दिखाई नहीं देता। उनके पास कान हैं, पर वे सुनते नहीं। इस्राएली कुल विद्रोही है।


एफ्रइम मूर्ख और नासमझ कबूतर है; वह सहायता के लिए पुकारता तो है मिस्र देश को, पर जाता है असीरिया देश के पास!


परन्‍तु उन्‍होंने इन बातों पर ध्‍यान नहीं दिया। उन्‍होंने प्रभु की ओर पीठ फेर ली और अपने कानों में रूई ठूंस ली। उन्‍होंने उसके सन्‍देश को अनसुना कर दिया।


जिससे ‘वे देखते हुए भी नहीं देखें और सुनते हुए भी नहीं समझें। कहीं ऐसा न हो कि वे प्रभु की ओर लौट आएँ और क्षमा प्राप्‍त करें।’ ”


क्‍या आँखें रहते भी तुम देखते नहीं? और कान रहते भी तुम सुनते नहीं? क्‍या तुम्‍हें याद नहीं है :


“परमेश्‍वर ने उनकी आँखों को अन्‍धा कर दिया और उनकी बुद्धि कुण्‍ठित कर दी है। परमेश्‍वर ने कहा : कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें, बुद्धि से समझें और मेरी ओर लौट आएँ और मैं उन्‍हें स्‍वस्‍थ कर दूँ।”


‘इन लोगों के पास जा कर यह कहो : तुम सुनोगे अवश्‍य, पर नहीं समझोगे। तुम देखोगे अवश्‍य, पर तुम्‍हें सूझ नहीं पड़ेगा;


संसार की सृष्‍टि के समय से ही परमेश्‍वर के अदृश्‍य स्‍वरूप को, अर्थात् उसकी शाश्‍वत शक्‍तिमत्ता और उसके ईश्‍वरत्‍व को, बुद्धि की आँखों द्वारा उसके कार्यों में देखा जा सकता है। इसलिए वे अपने आचरण की सफाई देने में असमर्थ हैं;


जैसा कि धर्मग्रन्‍थ में लिखा है — “परमेश्‍वर ने उनकी बुद्धि को जड़ बना दिया। उसने उन्‍हें ऐसी आँखे दे दीं, जो देखती नहीं और ऐसे कान, जो सुनते नहीं और उनकी यह दशा आज तक बनी हुई है।”


तुम्‍हारी आंखों ने परीक्षा के महान कार्यों को, चिह्‍नों और महान आश्‍चर्यपूर्ण कामों को, देखा है।


परन्‍तु आज तक प्रभु ने तुम्‍हें समझने के लिए हृदय, देखने के लिए आंखें और सुनने के लिए कान नहीं दिए हैं।


ओ मूर्ख और निर्बुद्धि जाति के लोगो! तुम प्रभु के कार्यों का यह बदला देते हो? क्‍या वह तेरा पिता नहीं है, ओ इस्राएल! जिसने तुझे अस्‍तित्‍व दिया, जिसने तुझे बनाया, और स्‍थापित किया?


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