10 ‘उस मनुष्य को शाप लगे, जो प्रभु के काम में आलस्य करता है। शापित है वह मनुष्य जो प्रभु के आदेश का पालन नहीं करता, और अपनी तलवार को म्यान में रखता है, और रक्त नहीं बहाता।
राजा वहां से गुजरा। उसने राजा की दुहाई दी, ‘महाराज, मैं आपका सेवक, युद्ध भूमि में गया था। वहां आपका एक सैनिक शत्रु-सेना के एक सैनिक को मेरे पास लाया। उसने मुझसे कहा, “इस आदमी पर पहरा देना। यदि यह भाग जाएगा तो मैं इसके प्राण के बदले में तुम्हारा प्राण लूंगा। अथवा तुम्हें पैंतीस किलो चांदी देनी पड़ेगी।”
महाराज, मैं आपका सेवक यहां-वहां व्यस्त था। अत: वह आदमी भाग गया।’ इस्राएल प्रदेश के राजा ने कहा, ‘यही तुम्हारा न्याय है। तुमने स्वयं अपना फैसला सुनाया।’
नबी ने राजा से कहा, ‘प्रभु यों कहता है : जिस व्यक्ति का पूर्ण संहार करने के लिए मैंने उसको तेरे हाथ में सौंपा था, तूने उसको मुक्त कर दिया। इसलिए मैं उसके प्राण के बदले में तेरा प्राण लूंगा। उसकी जनता के बदले में तेरी जनता का संहार करूंगा।’
परमेश्वर के जन एलीशा उससे नाराज हुए। उन्होंने कहा, ‘तुम्हें पांच-छ: बार भूमि पर प्रहार करना चाहिए था। तब तुम सीरियाई सेना का पूर्ण संहार करते। परन्तु अब तुम सीरियाई सेना का तीन बार ही संहार करोगे।’
किन्तु तुम वहां मत ठहरो वरन् अपने शत्रु का पीछा करो। उनके जो सैनिक पीछे रह गए हैं, उन्हें काट डालो। शत्रु के सैनिकों को उनके नगरों में मत प्रवेश करने दो; क्योंकि प्रभु परमेश्वर ने उन्हें तुम्हारे अधिकार में कर दिया है।’
प्रभु का दूत यह कहता है : “मेरोज नगर को शाप दो! उसके निवासियों को निश्चय ही शाप दो! क्योंकि वे प्रभु की सहायता करने, शक्तिशाली शत्रु के विरुद्ध प्रभु की सहायता करने नहीं आए।”
अब, जा और अमालेकी जाति को नष्ट कर दे। उसकी समस्त माल-सम्पत्ति निषिद्ध समझकर पूर्णत: नष्ट कर देना। स्त्री-पुरुष, बाल-वृद्ध, दूध पीने वाले बच्चे, गाय-बैल, भेड़-बकरी, ऊंट-गधे, इन सब का वध कर देना। इनमें से किसी को जीवित मत रहने देना।’
शाऊल के सैनिकों ने अगग को, तथा उसकी अच्छी-अच्छी भेड़-बकरियों, गाय-बैलों, मोटे-मोटे पशुओं और मेमनों को तथा जो कुछ भी अच्छी वस्तु थी, उसको बचा लिया। उन्होंने उनको पूर्णत: नष्ट नहीं किया। परन्तु जो बेकार और अनुपयोगी वस्तुएँ और प्राणी थे, उनको उन्होंने पूर्णत: नष्ट कर दिया।