‘मैं-प्रभु, तुझसे कहता हूं, ओ मेरे सेवक याकूब, मत डर; क्योंकि मैं तेरे साथ हूं; जिन राष्ट्रों में मैंने तुझे खदेड़ दिया था, उन-सबका मैं पूर्ण संहार करूंगा; किन्तु मैं तेरा पूर्ण विनाश नहीं करूंगा। मैं तुझको दण्ड दूंगा, मैं तुझे बिना दण्ड दिए नहीं छोड़ूंगा, परन्तु मैं तुझे उचित परिमाण में दण्ड दूंगा।’
प्रभु ने कहा, ‘ओ इस्राएल के बैरियो, ओ यहूदा के शत्रुओ, उसकी अंगूर की क्यारियों में से होकर जाओ, और अंगूर-उद्यान को नष्ट कर दो (पर पूर्णत: नष्ट मत करना); उसकी बेल-लताएं तोड़ डालो; क्योंकि यह उद्यान अब मेरा नहीं रहा।
मैं-प्रभु कहता हूं : मैं तुझे बचाने के लिए तेरे साथ हूँ। जिन राष्ट्रों में मैंने तुझ को बिखेर दिया था, उन-सब का मैं पूर्ण संहार कर दूंगा। मैं तेरा पूर्ण विनाश नहीं करूंगा, किन्तु तुझे उचित मात्रा में दण्ड दूंगा; निस्सन्देह मैं तुझको दण्ड दिए बिना नहीं छोड़ूंगा।
जब मैं यह नबूवत कर रहा था, तब अचानक पलत्याह बेन-बनायाह मर गया। मैं भय से अपने मुंह के बल भूमि पर गिरा, और ऊंची आवाज में प्रभु की दुहाई दी। मैंने कहा, ‘स्वामी-प्रभु! क्या तू इस्राएली कौम के बचे हुए लोगों का भी अंत कर देगा?’
यह होने पर भी जब वे अपने शत्रुओं के देश में रहेंगे, मैं उनको नहीं ठुकराऊंगा, और न उनसे इतनी घृणा करूंगा कि उन्हें समूल नष्ट कर दूं, उनके साथ स्थापित अपने विधान को तोड़ दूं; क्योंकि मैं प्रभु, उनका परमेश्वर हूँ।
मैं उनके देश को निर्जन और उजाड़ कर दूंगा और यों उनके बल का गर्व चूर-चूर हो जाएगा। इस्राएल देश के पहाड़ इतने उजाड़ हो जाएंगे कि वहाँ से कोई भी नहीं गुजरेगा।
मैं उन पर अपना विनाशकारी हाथ उठाऊंगा, और उनकी समस्त बस्तियों को − दक्षिण के निर्जन प्रदेश से उत्तर में रिबलाह नगर तक − सम्पूर्ण देश को उजाड़ और निर्जन बना दूंगा। तब उन्हें मालूम होगा कि मैं प्रभु हूं।’
मैं यहूदा प्रदेश के नगरों में तथा यरूशलेम की सड़कों पर आनन्द-उल्लास का स्वर, हर्ष-ध्वनि तथा वर-वधुओं के हास-परिहास की आवाज को बन्द कर दूंगा। चारों ओर मौत का सन्नाटा होगा।’
एक सिंह अपनी झाड़ी से निकल पड़ा है; राष्ट्रों के विनाशक ने कूच का डंका बजाया है। वह अपने स्थान से बाहर निकला है। वह तुम्हारे देश को उजाड़ देगा; तुम्हारे नगरों को खण्डहर बना देगा, और वे निर्जन हो जाएंगे।
यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि प्रभु ने अपने नबी यिर्मयाह के माध्यम से ऐसा ही कहा था। विश्राम-कालों का पालन न करने के कारण अब इस्राएल देश को विश्राम मिला। सत्तर वर्ष तक देश उजाड़ पड़ा रहा, और उसने विश्राम मनाया।
विनाश पर विनाश का समाचार आ रहा है; सारा प्रदेश लूट लिया गया है। अचानक मेरे निवास-स्थान के तम्बू उखाड़ लिये गए, क्षण-भर में मेरी कनातें नष्ट हो गयीं।
अत: मैंने उन पर क्रोध और प्रकोप उण्डेल दिया। मैंने यहूदा प्रदेश के नगरों और यरूशलेम के गली-कूचों को अपनी क्रोधाग्नि से भस्म कर दिया। वे उजाड़ और निर्जन हो गए, और आज तक वैसे ही उजाड़ और निर्जन पड़े हैं।
अथवा जैसे जैतून वृक्ष को झाड़ने पर उसमें कुछ फल शेष रह जाते हैं : फुनगी पर दो-तीन, वृक्ष की शाखाओं में चार-पांच, वैसे ही याकूब की दशा होगी। इस्राएल के परमेश्वर प्रभु की यही वाणी है।
स्वामी ने अपनी वेदी त्याग दी; उसने अपना पवित्र स्थान छोड़ दिया। उसने सियोन के भवनों की दीवारें शत्रु के हाथ में सौंप दीं। जैसे निर्धारित पर्व के दिवस पर प्रभु के मन्दिर में कोलाहल होता है वैसे ही शत्रुओं ने कोलाहल मचाया।
प्रभु के प्रकोप-दिवस पर न उनका सोना, और न चांदी उन्हें प्रभु के प्रकोप से मुक्त कर सकेगी। प्रभु की ईष्र्या-अग्नि से सम्पूर्ण पृथ्वी भस्म हो जाएगी। वह पृथ्वी के समस्त निवासियों को अचानक पूर्णत: नष्ट कर देगा।