26 यिर्मयाह, यदि मेरे उच्चाधिकारी तुमसे पूछें तो तुम केवल यही कहना कि तुमने मुझसे विनती की है कि मैं तुम्हें योनातान के मकान में न भेजूं अन्यथा तुम मर जाओगे।’
26 यदि वे तुमसे ऐसा कहें तो उनसे कहना, ‘मैं राजा से प्रार्थना कर रहा था कि वे मुझे योनातान के घर के नीचे कूप—गृह में वापस न भेजें। यदि मुझे वहाँ वापस जाना पड़ा तो मैं मर जाऊँगा।’”
26 तब तुम्हारा प्रत्युत्तर यह होगा, ‘मैं राजा के समक्ष अपनी याचना प्रस्तुत कर रहा था, कि मुझे पुनः योनातन के आवास में न भेजा जाए, कि वहां मेरी मृत्यु हो जाए.’ ”
शूशन नगर में बसनेवाले यहूदियों का विनाश करने के लिए जो आदेश-पत्र भेजा गया था, उसकी एक प्रति भी मोरदकय ने हताख को दी ताकि वह एस्तर को दिखा दे, और उसका विवरण भी उसको बता दे। मोरदकय ने हताख के माध्यम से एस्तर को आदेश दिया कि वह अपनी कौम के भाई-बन्धुओं के प्राण बचाने के लिए सम्राट के पास जाए, और उससे अनुनय-विनय करे और उसके सम्मुख निवेदन करे।
उच्चाधिकारी यिर्मयाह से बहुत नाराज हुए। उन्होंने यिर्मयाह को मारा और सचिव योनातान के घर में बन्द कर दिया; योनातान के घर को बन्दीगृह बना दिया गया था।
ऐसा ही हुआ। उच्चाधिकारी यिर्मयाह के पास आए। उन्होंने यिर्मयाह से पूछा कि राजा और उसके बीच क्या-क्या बातें हुईं। यिर्मयाह ने राजा सिदकियाह के परामर्श के अनुसार उसकी बातें दुहरा दीं, जो उसने यिर्मयाह से कही थीं। अत: उन्होंने यिर्मयाह से पूछना छोड़ दिया, और गुप्त मंत्रणा की बात न खुली।
नबी यिर्मयाह के पास आए, और उन से यह निवेदन किया, ‘कृपया, हमारा निवेदन स्वीकार कीजिए, और हम-सब बचे हुए लोगों के लिए अपने प्रभु परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए (आप स्वयं अपनी आंखों से देख रहे हैं, कि पहले हम संख्या में कितने अधिक थे, और अब कितने थोड़े रह गए हैं।),