5 प्रभु तुमसे यों कहता है : ‘तुम्हारे पूर्वजों ने मुझ मे कौन-सी त्रुटि पायी थी कि वे मुझ से दूर हो गए? और निस्सार देवता का अनुसरण कर स्वयं निस्सार बन गए?
5 जो यहोवा कहता है, वह यह है: “क्या तुम समझते हो कि, मैं तुम्हारे पूर्वजों का हितैषी नहीं था? तब वे क्यों मुझसे दूर हो गए तुम्हारे पूर्वजों ने निरर्थक हो गये।
उन्होंने प्रभु की संविधियों को, अपने पुर्वजों के साथ स्थापित प्रभु के विधान को अस्वीकार किया और उसकी चेतावनी की घोर उपेक्षा की। उन्होंने झूठी मूर्तियों का अनुसरण किया, और स्वयं झूठे बन गए। उन्होंने अपने चारों ओर की जातियों के दुष्कर्मों का अनुसरण किया। उनके विषय में प्रभु ने इस्राएलियों को आदेश दिया था कि उनके समान कार्य मत करना।
स्वामी ने यह कहा, “ये लोग केवल मुंह से मेरी आराधना करते हैं, केवल ओंठों से मेरा सम्मान करते हैं; किन्तु इनका हृदय मुझसे दूर है। ये दूसरों के आदेश से मेरी भक्ति करते हैं; इनकी भक्ति रटी-रटाई, सीखी हुई है।
मूर्ति गढ़नेवालों का अस्तित्व निस्सार है, उनकी प्रिय मूर्तियों से कोई लाभ नहीं! मूर्तियों के समर्थक जो उनको अपना ईश्वर मानते हैं, न देखते हैं और न जानते हैं। वे लज्जित होंगे।
सच है कि तूने उनको रोपा है, और उन्होंने जड़ पकड़ ली है। वे दिन-प्रतिदिन बढ़ते हैं, और फलते- फूलते हैं। वे मुंह से तेरा नाम जपते हैं, पर हृदय से तुझको दूर रखते हैं।
अन्य जातियां निस्सार मूर्तियों की आशा करती हैं। क्या उन में सामर्थ्य है कि वे आकाश से वर्षा कर दें? क्या स्वयं आकाश वर्षा कर सकता है? हे हमारे प्रभु परमेश्वर, क्या तू पहले-जैसा ‘वह’ नहीं रहा? प्रभु, हम तेरी ही आस लगाए बैठे हैं; क्योंकि तू ही इन सब कामों को करता है।
ओ लोगो, मुझ-प्रभु के वचन पर ध्यान दो। क्या मैं इस्राएली कौम के लिए निर्जन प्रदेश के सदृश अथवा घोर अन्धकारमय क्षेत्र के सदृश भटकाने वाला था? तब मेरे निज लोग यह क्यों कहते हैं, “हम स्वतन्त्र हैं, हम तेरे पास नहीं आएंगे” ?
मेरे नगर के निवासियों की, यरूशलेम के नागरिकों की करुण चीख- पुकार सुनाई दे रही है। सारे देश में एक छोर से दूसरे छोर तक, लोग कह रहे हैं, ‘क्या सियोन में प्रभु नहीं है? क्या सियोन का राजा सियोन को त्याग चुका है?’ प्रभु ने कहा, ‘इन लोगों ने अपनी मूर्ति-पूजा से, विदेशियों की निस्सार मूर्तियों की प्रतिष्ठा से मेरी क्रोधाग्नि क्यों भड़कायी?’
‘ओ मानव, यरूशलेम के निवासियों ने, तेरे भाई-बन्धुओं, तेरे साथ निर्वासित जाति-भाई-बहिनों से, वस्तुत: समस्त इस्राएली कुल से यह कहा है : “तुम प्रभु से बहुत दूर चले गए हो। अत: हमें यह देश दिया गया है कि हम इस पर अधिकार करें।”
ओ मानव, इस इस्राएली कुल ने अपनी मूर्तियों के कारण मुझे त्याग दिया है, और यह मुझ से दूर हो गया है। जिस हृदय में इस्राएली कुल ने अपने देवताओं की मूर्तियां प्रतिष्ठित की हैं, उस हृदय को मैं अपने दण्ड से आतंकित करूंगा।
“मित्रो! आप यह क्या कर रहे हैं? हम भी तो आप लोगों के समान सुख-दु:ख भोगने वाले मनुष्य हैं। हम यह शुभ-समाचार देने आये हैं कि आप इन नि: सार वस्तुओं को छोड़ कर उस जीवन्त परमेश्वर की ओर अभिमुख हों, जिसने आकाश, पृथ्वी, समुद्र और उन में जो कुछ है, वह सब बनाया है।
क्योंकि उन्होंने परमेश्वर को जानते हुए भी उसे परमेश्वर के रूप में समुचित आदर और धन्यवाद नहीं दिया। उनका समस्त चिन्तन व्यर्थ चला गया और उनका विवेकहीन मन अन्धकारमय हो गया।
जो ईश्वर नहीं है, उसके प्रति निष्ठा प्रदर्शित कर उन्होंने मुझमें ईष्र्या उत्पन्न की। उन्होंने अपने देवताओं की मूर्तियों से मुझे चिढ़ाया। मैं ऐसे लोगों द्वारा उनमें जलन उत्पन्न करूंगा, जो चुने हुए लोग नहीं हैं! मैं मूर्ख राष्ट्र के द्वारा उन्हें चिढ़ाऊंगा।