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यिर्मयाह 10:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

14 इस जाति के सब मनुष्‍य मूर्ख हैं, वे परमेश्‍वर के ज्ञान से रहित हैं। सुनार अपनी बनाई हुई मूर्ति के कारण अपमानित होगा; क्‍योंकि उसकी मूर्ति झूठी है; उनमें जीवन का श्‍वास है ही नहीं।

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पवित्र बाइबल

14 लोग इतने बेवकूफ हैं! सुनार उन देवमूर्तियों से मूर्ख बनाए गये हैं जिन्हें उन्होंने स्वयं बनाया है। ये मूर्तियाँ झूठ के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं, वे निष्क्रिय हैं।

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Hindi Holy Bible

14 सब मनुष्य पशु सरीखे ज्ञानरहित हैं; अपनी खोदी हुई मूरतों के कारण सब सुनारों की आशा टूटती है; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें झूठी हैं, और उन में सांस ही नहीं है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

14 सब मनुष्य पशु सरीखे ज्ञानरहित हैं; अपनी खोदी हुई मूरतों के कारण सब सुनारों की आशा टूटती है; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें झूठी हैं, और उनमें साँस ही नहीं है।

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सरल हिन्दी बाइबल

14 हर एक मनुष्य मूर्ख है—ज्ञानहीन; हर एक स्वर्णशिल्पी अपनी ही कृति प्रतिमा द्वारा लज्जित किया जाता है. क्योंकि उसके द्वारा ढाली गई प्रतिमाएं धोखा हैं; उनमें जीवन-श्वास तो है ही नहीं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

14 सब मनुष्य मूर्ख और ज्ञानरहित हैं; अपनी खोदी हुई मूरतों के कारण सब सुनारों की आशा टूटती है; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें झूठी हैं, और उनमें साँस ही नहीं है। (यिर्म. 51:17,18)

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यिर्मयाह 10:14
20 क्रॉस रेफरेंस  

प्रभु स्‍वर्ग से मनुष्‍यों पर दृष्‍टिपात करता है यह देखने के लिए कि क्‍या कोई ऐसा मनुष्‍य है, जो समझ से काम लेता है, जो परमेश्‍वर को खोजता है?


नासमझ यह नहीं जानता और न मूर्ख यह समझता है


अरे नासमझ लोगो, तुम विचार करो; अरे मूर्खो, तुम कब समझ से काम लोगे?


समस्‍त मूर्तिपूजक, निस्‍सार मूर्तियों पर गर्व करनेवाले लज्‍जित होते हैं। देवतागण प्रभु को दण्‍डवत् करते हैं।


निश्‍चय ही मैं मनुष्‍य नहीं, वरन् पशु बन गया हूँ। मुझ में मनुष्‍य की समझ नहीं रही।


जो गढ़ी हुई मूर्तियों को ईश्‍वर मानते हैं, और उन पर भरोसा करते हैं; जो ढली हुई मूर्तियों से यह कहते हैं “तुम ही हमारे देवी-देवता हो” , वे पीठ दिखाएंगे, वे पूर्णत: लज्‍जित होंगे।’


मूर्तिकार के सहयोगी भी लज्‍जित होंगे, कारीगर तो मनुष्‍य ही हैं। सब कारीगर एकत्र हों। वे मेरे सम्‍मुख खड़े हों। मैं उनको आतंकित करूंगा, वे सबके सब लज्‍जित होंगे।


मूर्ति बनानेवाले सबके सब लज्‍जित, भ्रमित और आतंकित हो गए।


मैं तेरी धार्मिकता को, तेरे कामों को प्रकट करूंगा; किन्‍तु उनसे तुझे कुछ लाभ न होगा।


उनकी ये मूर्तियां ककड़ी के खेत में खड़े फूस के पुतले के समान हैं; वे न बोल सकती हैं, और न चल ही सकती हैं। अत: उनको लाद कर ले जाते हैं। उनसे मत डरो, वे न तो तुम्‍हारा अनिष्‍ट कर सकती हैं, और न उनमें भलाई करने का सामर्थ्य ही है।’


मूर्तियों की आशा करनेवाले मूर्ख और अज्ञानी हैं; मूर्तियाँ क्‍या शिक्षा दे सकती हैं? उनकी शिक्षा लकड़ी के समान बेजान है।


उन्‍होंने परमेश्‍वर के सत्‍य के स्‍थान पर झूठ को अपनाया और सृष्‍ट वस्‍तुओं की उपासना और आराधना की, किन्‍तु उस सृष्‍टिकर्ता की नहीं, जो युगों-युगों तक धन्‍य है। आमेन!


अगले दिन सबेरे वे सोकर उठे। उन्‍होंने देखा कि दागोन देवता की मूर्ति प्रभु की मंजूषा के सामने औंधे मुँह भूमि पर पड़ी हुई है। उसके सिर तथा दोनों हाथ कटे हुए देहरी पर पड़े हैं। मूर्ति का धड़ ही शेष रह गया है।


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