यहेजकेल 8:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)5 उसने मुझसे कहा, ‘ओ मानव, अपनी आंखें ऊपर उठा, और उत्तर दिशा में देख।’ अत: मैंने उत्तर दिशा में दृष्टि की, और यह देखा: वेदी के द्वार के उत्तर में, प्रवेश-द्वार पर ईष्र्या की मूर्ति प्रतिष्ठित है। अध्याय देखेंपवित्र बाइबल5 परमेश्वर ने मुझसे कहा। उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र, उत्तर की ओर देखो!” इसलिये मैंने उत्तर की ओर देखा। और वहाँ प्रवेश मार्ग के सहारे वेदी—द्वार के उत्तर में वह देवमूर्ति थी जिसके प्रति परमेश्वर की ईर्ष्या होती थी। अध्याय देखेंHindi Holy Bible5 उसने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, अपनी आंखें उत्तर की ओर उठा कर देख। सो मैं ने अपनी आंखें उत्तर की ओर उठा कर देखा कि वेदी के फाटक की उत्तर की ओर उसके प्रवेश स्थान ही में वह डाह उपजाने वाली प्रतिमा है। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)5 उसने मुझ से कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, अपनी आँखें उत्तर की ओर उठाकर देख।” अत: मैं ने अपनी आँखें उत्तर की ओर उठाकर देखा कि वेदी के फाटक के उत्तर की ओर उसके प्रवेश स्थान ही में वह डाह उपजानेवाली प्रतिमा है। अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल5 तब उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, उत्तर दिशा की ओर देखो.” अतः मैंने दृष्टि की, और वेदी के द्वार के उत्तर में प्रवेश स्थल पर मैंने जलन उपजानेवाली उस मूर्ति को देखा. अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 20195 उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, अपनी आँखें उत्तर की ओर उठाकर देख।” अतः मैंने अपनी आँखें उत्तर की ओर उठाकर देखा कि वेदी के फाटक के उत्तर की ओर उसके प्रवेशस्थान ही में वह डाह उपजानेवाली प्रतिमा है। अध्याय देखें |
‘मुण्डे पहाड़ी शिखरों की ओर आंख उठाकर देख! कौन-सा स्थान बाकी है जहां तूने कुकर्म नहीं किया? जैसे अरब-निवासी निर्जन स्थान में घात लगाकर बैठता है और कारवां की प्रतीक्षा करता है, वैसे ही तू राह में आंख बिछाए अपने प्रेमियों का इंतजार करती थी। अरी, इस्राएली जनता, तूने अपने व्यभिचार से समस्त देश को भ्रष्ट कर दिया है।
तब उस आकृति ने हाथ के समान कुछ बढ़ाया, और मेरे सिर के बालों का गुच्छा पकड़ लिया, और आत्मा ने मुझे आकाश और भूमि के मध्य उठा लिया। वह मुझे परमेश्वर के दर्शन में यरूशलेम ले गया। मैं ने परमेश्वर के दर्शन में यह देखा कि मैं यरूशलेम के मन्दिर के भीतरी आंगन के प्रवेश-द्वार पर खड़ा हूं जो उत्तर दिशा में है, और जहां ‘ईष्र्या की मूर्ति’ का सिंहासन है, और जिसको देखकर ईष्र्या जाग्रत होती है।