14 इसके पश्चात् वह मुझे प्रभु-भवन के उत्तरी फाटक के प्रवेश-द्वार पर ले गया। वहां मैंने देखा कि स्त्रियाँ भूमि पर बैठकर तम्मूज देवता के लिए विलाप कर रही हैं।
14 तब वह मुझे यहोवा के मन्दिर के प्रवेशद्वार पर ले गया। यह द्वार उत्तर की ओर था। वहाँ मैंने स्त्रियों को बैठे और रोते देखा। वे असत्य देवता तम्मूज के विषय में शोक मना रहीं थीं!
‘जब इस्राएल के साधारण जन, निर्धारित पर्वों पर प्रभु की आराधना करने के लिए मन्दिर में उसके सम्मुख आएंगे तब वे जिस फाटक से प्रवेश करेंगे, उसी फाटक से बाहर नहीं निकलेंगे। यदि कोई व्यक्ति उत्तरी फाटक से प्रवेश करेगा तो वह दक्षिणी फाटक से बाहर निकलेगा। ऐसे ही दक्षिणी फाटक से प्रवेश करनेवाला उत्तरी फाटक से निकलेगा। प्रत्येक व्यक्ति सीधा निकल जाएगा।
इसके पश्चात् वह मुझे उत्तरी फाटक से मन्दिर के सम्मुख ले गया। तब मैंने देखा कि प्रभु का भवन प्रभु के तेज से भर गया है। मैं श्रद्धा और भक्ति से भूमि पर मुंह के बल गिरा।
और तुम्हें मालूम होगा कि मैं ही प्रभु हूं। तुमने मेरी संविधियों के अनुसार आचरण नहीं किया, और न ही मेरे न्याय-सिद्धान्तों का पालन किया। किन्तु तुम अपने चारों ओर के राष्ट्रों के न्याय-सिद्धान्तों पर चलते रहे।’