20 झूठी शान-शौकत के लिए वे इसी सोना-चांदी से आभूषण बनाते थे। सोना-चांदी से ही उन्होंने घृणित मूर्तियां और अन्य घृणित वस्तुएं बनाई थीं। इसलिए मैं इस सोना-चांदी को अशुद्ध वस्तु बना दूंगा, और वे इसको अपने पास से दूर कर देंगे।
20 “उन लोगों ने अपने सुन्दर आभूषण का उपयोग किया और मूर्ति बनाई। उन्हें अपनी मूर्ति पर गर्व था। उन्होंने अपनी भयानक मूर्तियाँ बनाई। उन लोगों ने उन गन्दी चीजों को बनाया। इसलिये मैं (परमेश्वर) उन्हें गन्दें चिथड़े की तरह फेंक दूँगा।
20 उनका देश जो शोभायमान और शिरोमणि था, उसके विषय में उन्होंने गर्व ही गर्व कर के उस में अपनी घृणित वस्तुओं की मूरतें, और घृणित वस्तुएं बना रखीं, इस कारण मैं ने उसे उनके लिये अशुद्ध वस्तु ठहराया है।
20 उनका देश जो शोभायमान और शिरोमणि था, उसके विषय में उन्होंने गर्व ही गर्व करके उस में अपनी घृणित वस्तुओं की मूरतें, और घृणित वस्तुएँ बना रखीं, इस कारण मैं ने उसे उनके लिये अशुद्ध वस्तु ठहराया है।
20 उन्होंने अपने सुंदर गहनों पर घमंड किया है, और इनका उपयोग अपने घृणित मूर्तियां बनाने में किया है. उनसे उन्होंने निकम्मी मूर्तियां बनाई हैं; इसलिये मैं इसे उनके लिए अशुद्ध वस्तु बना दूंगा.
20 उनका देश जो शोभायमान और शिरोमणि था, उसके विषय में उन्होंने गर्व ही गर्व करके उसमें अपनी घृणित वस्तुओं की मूरतें, और घृणित वस्तुएँ बना रखीं, इस कारण मैंने उसे उनके लिये अशुद्ध वस्तु ठहराया है।
“ओ मानव, तू इस्राएल के वंशजों से यह कह, स्वामी-प्रभु यों कहता है: मेरा पवित्र स्थान तुम्हारे लिए अत्यन्त प्रिय है। वह तुम्हारी आंखों का तारा है। तुम्हारा प्राण-प्रिय है। तुम उसके बल पर गर्व करते हो। मैं अपने उस पवित्र स्थान को अशुद्ध कर दूंगा। जिन पुत्र-पुत्रियों को तुम वहां छोड़ आए हो, वे शत्रु की तलवार से मौत के घाट उतारे जाएंगे।
प्रभु कहता है, ‘यहूदा प्रदेश के निवासियों ने मेरी दृष्टि में दुष्कर्म किए हैं। जो भवन मेरे नाम से प्रसिद्ध है, उसको अशुद्ध करने के लिए उन्होंने उसमें घृणित मूर्तियां प्रतिष्ठित की हैं।
फिर उसने जल्लादों को आदेश दिया, ‘मेरे भवन को लाशों से अशुद्ध कर दो। आंगनों को शवों से भर दो। अब जाओ, मन्दिर के बाहर जाओ।’ जल्लाद मन्दिर से बाहर निकले, और उन्होंने यरूशलेम नगर में घृणित कार्य करनेवालों का वध कर दिया।
“तुम में से कौन लोग जीवित बचे हैं जिन्होंने इस भवन का पहले वाला भव्य रूप देखा है? अब उन्हें यह कैसा लगता है? क्या तुम्हें यह महसूस नहीं होता कि यह रूप उसके सम्मुख कुछ भी नहीं है?।
इतना ही नहीं, मैं उनसे अपना मुंह मोड़ लूंगा, ताकि विधर्मी मेरे मन्दिर-रूपी कोषागार को भी अपवित्र कर दें। लुटेरे-डाकू मेरे कोषागार में प्रवेश करेंगे, और उसको अपवित्र कर देंगे।
‘मैं, स्वामी-प्रभु अपनी सौगन्ध खाकर कहता हूँ: तूने मेरे पवित्र स्थान को अपनी घृणित मूर्तियों और घिनौने कामों से अपवित्र कर दिया है, इसलिए मैं तेरी बोटी-बोटी कर दूंगा। मैं तुझ पर दया-दृष्टि नहीं करूंगा, और न मेरी आंखों से बचकर कोई भाग सकेगा।
स्वामी ने अपनी वेदी त्याग दी; उसने अपना पवित्र स्थान छोड़ दिया। उसने सियोन के भवनों की दीवारें शत्रु के हाथ में सौंप दीं। जैसे निर्धारित पर्व के दिवस पर प्रभु के मन्दिर में कोलाहल होता है वैसे ही शत्रुओं ने कोलाहल मचाया।
प्रभु ने सियोन की पुत्री को अपने प्रकोप के मेघों से ढक दिया! उसने इस्राएल के वैभव को आकाश से पृथ्वी पर फेंक दिया! उसने अपने प्रकोप-दिवस पर अपने चरणों की चौकी को स्मरण न रखा।
शत्रु ने उसका धन-वैभव लूटने के लिए अपना हाथ बढ़ाया है; हां, यरूशलेम नगरी को यह भी देखना पड़ा; विधर्मी राष्ट्र उसके पवित्र स्थान में घुस गए, जिनके विषय में तूने, प्रभु, यह आज्ञा दी थी, कि वे तेरी मंडली में प्रवेश नहीं करेंगे।
इसलिए, सुनो: जो भवन मेरे नाम से प्रसिद्ध है, और जिस पर तुम भरोसा करते हो, और जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को दिया था, उसको मैं शीलोह के समान तहस-नहस कर दूंगा।
यद्यपि जब प्रभु के भवन की नींव डाली गई तब अनेक लोगों ने हर्ष से जय-जयकार किया था, तथापि उस समय अनेक पुरोहित, उपपुरोहित, पितृकुलों के मुखिया और वृद्ध लोग, जिन्होंने पुराना भवन देखा था, शोक से रो पड़े।
यहाँ तक कि प्रमुख पुरोहित और जनता के प्रतिष्ठित लोग भी विभिन्न जातियों की घृणित प्रथाओं को मानने लगे थे, और यों प्रभु के प्रति बहुत विश्वासघात करते थे। प्रभु परमेश्वर ने अपनी उपस्थिति से यरूशलेम में अपने भवन को पवित्र किया था, किन्तु उन्होंने उसको अपवित्र कर दिया।
मनश्शे ने अशेराह देवी की मूर्ति बनाई और उसको प्रभु के भवन में प्रतिष्ठित किया। अपने भवन के विषय में प्रभु ने दाऊद और उसके पुत्र सुलेमान से यह कहा था, ‘मैंने इस्राएल के समस्त कुलों के भूमि-क्षेत्रों में से यरूशलेम नगर को और इस भवन को चुना है। मैं यहां सदा-सर्वदा के लिए अपने नाम की प्रतिष्ठा करूंगा।
इतना ही नहीं, उन्होंने मेरे साथ यह व्यवहार किया: उन्होंने अपने पूजा-दिवस पर मेरे पवित्र स्थान को अशुद्ध किया, और मेरे पवित्र विश्राम-दिवस को अपवित्र।
गिद्ओन ने उनसे आगे कहा, ‘मैं तुमसे एक निवेदन करता हूँ, प्रत्येक व्यक्ति अपनी लूट में से कानों की बालियाँ मुझे दे।’ (मिद्यानी इश्माएल के वंशज थे। वे कानों में सोने की बालियाँ पहनते थे।)
गिद्ओन ने इस सोने से ‘एपोद’ की मूर्ति बनाई और उसको अपने नगर ओप्राह में खड़ा कर दिया। फलत: सब इस्राएलियों ने वहाँ एपोद का अनुसरण कर प्रभु के प्रति वेश्या के सदृश विश्वासघात किया। गिद्ओन और उसके परिवार के लिए एपोद एक फन्दा बन गया।
तूने अपनी साड़ियां लीं, और उनसे रंग-बिरंगे, व्यभिचार के पूजास्थल बनाए। तू वहां व्यभिचार-कर्म करती थी। तूने वहां ऐसे कुकर्म किए, जो न कभी किसी ने किए थे, और न कभी कोई करेगा।
ओ व्यभिचारिणी यरूशलेम नगरी! मैंने मैदे की रोटी, तेल और शहद से तेरा भरण-पोषण किया था। जो भोजन मैंने तुझे दिया था, तूने उसको सुगन्ध-बलि के रूप में उन आकृतियों के सम्मुख चढ़ा दिया। मैं, स्वामी-प्रभु यह कहता हूं।