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यहेजकेल 42:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

1 फिर वह मुझे भीतरी आंगन में, उत्तर की ओर ले गया। मन्‍दिर के आसपास के आंगन और पश्‍चिमी भवन के सामने, उत्तर की ओर कमरे बने हुए थे। वह मुझे इन कमरों में ले गया।

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पवित्र बाइबल

1 तब वह व्यक्ति मुझे बाहरी आँगन में ले गया जिसका सामना उत्तर को था। वह उन कमरों में ले गया जो मन्दिर से आँगन के आर—पार और उत्तर के भवनों के आर—पार थे।

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Hindi Holy Bible

1 फिर वह मुझे बाहरी आंगन में उत्तर की ओर ले गया, और मुझे उन दो कोठरियों के पास लाया जो भवन के आंगन के साम्हने और उसकी उत्तर ओर थीं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

1 फिर वह मुझे बाहरी आँगन में उत्तर की ओर ले गया, और मुझे उन दो कोठरियों के पास लाया जो भवन के आँगन के सामने और उसके उत्तर की ओर थीं।

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सरल हिन्दी बाइबल

1 तब वह व्यक्ति मुझे उत्तर की तरफ बाहरी आंगन में ले गया और मंदिर के आंगन के सामने के कमरों में ले आया, जो उत्तर दिशा की बाहरी दीवार के सामने था.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

1 फिर वह पुरुष मुझे बाहरी आँगन में उत्तर की ओर ले गया, और मुझे उन दो कोठरियों के पास लाया जो भवन के आँगन के सामने और उसके उत्तर की ओर थीं।

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यहेजकेल 42:1
14 क्रॉस रेफरेंस  

उसने ओसारे को भी नापा। उसकी चौड़ाई दस मीटर थी। फाटक के ओसारे के चारों ओर आंगन था।


तत्‍पश्‍चात् वह मुझे बाहरी आंगन में ले गया। वहां मैंने यह देखा: आंगन के चारों ओर कमरे और एक फर्श है। फर्श पर तीस कमरे बने हुए हैं।


वहाँ एक फाटक था। उसका मुख उत्तर की ओर था। यह मन्‍दिर के बाहरी आंगन का फाटक था। उसने फाटक की लम्‍बाई और चौड़ाई नापी।


वह मुझे दक्षिण की ओर ले गया। मैंने देखा कि वहां एक फाटक है। उसने दक्षिण के फाटक के खम्‍भों और ओसारे को नापा। उनकी नाप उतनी ही निकली जितनी दूसरे फाटकों के खम्‍भों और ओसारे की थी।


वह मुझे दक्षिणी फाटक से मन्‍दिर के भीतरी आंगन में ले गया, और उसने दक्षिणी फाटक को नापा। उसकी भी वही नाप निकली जो अन्‍य फाटकों की थी।


इसके पश्‍चात् वह मुझे मन्‍दिर के मध्‍यभाग में लाया। उसके दोनों ओर खम्‍भे थे जिन की मोटाई तीन-तीन मीटर थी।


मन्‍दिर के आसपास एक आंगन था। उसमें पुरोहितों के कक्ष थे। मन्‍दिर के चबूतरे और आंगन के कक्षों के बीच की दूरी दस मीटर थी।


कमरों की बाहरी दीवार की मोटाई अढ़ाई मीटर थी। चबूतरे का जो स्‍थान खाली रह गया था, वह अढ़ाई मीटर चौड़ा था।


यहीं, बाहरी आंगन से, दीवार शुरू होती थी। मन्‍दिर के आसपास के आंगन और पश्‍चिमी भवन के सामने, दक्षिण की ओर भी कमरे थे।


उसने मुझे बताया, ‘आंगन के सामने के ये उत्तरी और दक्षिणी कमरे पवित्र कक्ष हैं। प्रभु की सेवा में संलग्‍न पुरोहित परम पवित्र वस्‍तुएं इन्‍हीं कक्षों में खाया करेंगे। यह स्‍थान पवित्र है, इसलिए वे बलि में चढ़ाई गई ये वस्‍तुएं यहां रखेंगे: अन्न-बलि, पाप-बलि और दोष-बलि में चढ़ाई गई वस्‍तुएं।


उन कमरों के सामने एक मार्ग था, जो भीतर की ओर गया था। वह पांच मीटर चौड़ा और पचास मीटर लम्‍बा था। कमरों के द्वार उत्तर की ओर थे।


किन्‍तु मन्‍दिर का बाहरी प्रांगण छोड़ देना, उसे मत नापना; क्‍योंकि वह अन्‍यधर्मियों के हवाले कर दिया गया है और वे पवित्र नगर को बयालीस महीनों तक रौंदते रहेंगे।


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