18 यदि मैं दुर्जन से यह कहूंगा, “तू अपने दुष्कर्म के कारण निश्चय मरेगा” और तू उसको चेतावनी नहीं देगा, और न उसको अपना कुमार्ग छोड़ने के लिए सावधान करेगा कि वह चेतावनी सुनकर अपना प्राण बचा ले, तो, ओ मानव, सुन, वह दुर्जन अपने दुष्कर्मों के कारण तो मरेगा ही, परन्तु मैं उसकी मृत्यु का दोष तेरे माथे ही मढूंगा।
18 यदि मैं कहता हूँ, ‘यह बुरा व्यक्ति मरेगा!’ तो तुम्हें यह चेतावनी उने देनी चाहिए! तुम्हें उससे कहना चाहिए कि वह अपनी जिन्दगी बदले और बुरे काम करना बन्द करे। यदि तुम उस व्यक्ति को चेतावनी नहीं दोगे तो वह मर जायेगा। वह मरेगा क्योंकि उसने पाप किया। किन्तु मैं तुमको भी उसकी मृत्यु के लिये उत्तरदायी बनाऊँगा! क्यों क्योंकि तुम उसके पास नहीं गए और उसके जीवन को नहीं बचाया।
18 जब मैं दुष्ट से कहूं कि तू निश्चय मरेगा, और यदि तू उसको न चिताए, और न दुष्ट से ऐसी बात कहे जिस से कि वह सचेत हो और अपना दुष्ट मार्ग छोड़ कर जीवित रहे, तो वह दुष्ट अपने अधर्म में फंसा हुआ मरेगा, परन्तु उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूंगा।
18 जब मैं दुष्ट से कहूँ, ‘तू निश्चय मरेगा,’ और यदि तू उसको न चिताए, और न दुष्ट से ऐसी बात कहे जिस से कि वह सचेत हो और अपना दुष्ट मार्ग छोड़कर जीवित रहे, तो वह दुष्ट अपने अधर्म में फँसा हुआ मरेगा, परन्तु उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूँगा।
18 जब मैं एक दुष्ट व्यक्ति से कहूं, ‘तुम निश्चय मरोगे,’ और तुम उसका प्राण बचाने के लिये उसे चेतावनी न दो या उसे उसके बुरे कार्यों को छोड़ने के लिये न कहो, तो वह दुष्ट व्यक्ति अपने पाप में तो मरेगा ही, पर मैं तुम्हें उसके खून का ज़िम्मेदार ठहराऊंगा.
18 जब मैं दुष्ट से कहूँ, ‘तू निश्चय मरेगा,’ और यदि तू उसको न चिताए, और न दुष्ट से ऐसी बात कहे जिससे कि वह सचेत हो और अपना दुष्ट मार्ग छोड़कर जीवित रहे, तो वह दुष्ट अपने अधर्म में फँसा हुआ मरेगा, परन्तु उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूँगा।
‘यदि पहरेदार यह देखता है कि उसके देश पर शत्रु का आक्रमण होनेवाला है और वह जनता को सावधान करने के लिए नरसिंगा नहीं फूंकता है, और लोग सावधान नहीं होते हैं और शत्रु का आक्रमण होने पर यदि एक भी व्यक्ति उसकी तलवार से मारा जाएगा, तो मरनेवाला यद्यपि अपने अधर्म में मरेगा तो भी मैं पहरेदार को उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराऊंगा और उससे खून का लेखा लूंगा।
‘इसी प्रकार यदि धार्मिक मनुष्य अपने सन्मार्ग से विमुख हो जाए और अधर्म करने लगे, और मैं उसको रोकने के लिए उसके आगे बाधाएँ उत्पन्न करूं, तो वह निस्सन्देह मर जाएगा। अब, क्योंकि तूने उस धार्मिक मनुष्य को चेतावनी नहीं दी थी, इसलिए वह अपने पाप में मरा और उसके सत्कर्मों को स्मरण नहीं किया गया, अत: मैं उसकी मृत्यु का दोष तेरे माथे ही मढूंगा।
तुम अपने विषय में जागरूक रहो तथा अपनी शिक्षा के विषय में सावधान रहो। इन बातों में दृढ़ बने रहो। ऐसा करने से तुम अपनी तथा अपने श्रोताओं की मुक्ति का कारण बनोगे।
केवल पाप करनेवाला प्राणी ही मरेगा। पिता के अधर्म का फल पुत्र कदापि नहीं भोगेगा, और न ही पुत्र के अधर्म का दण्ड पिता को मिलेगा। किन्तु धार्मिक व्यक्ति को उसके धर्म का फल और दुर्जन को उसके पाप का फल मिलेगा।
मैं, स्वामी-प्रभु यों कहता हूं: देखो, मैं तुम-चरवाहों के विरुद्ध हूँ। मैं तुमसे अपनी भेड़ों का हिसाब लूंगा। मैं अपनी भेड़ों को चराने की जिम्मेदारी तुमसे वापस ले लूंगा, और तुम उनको फिर न चरा सकोगे। मैं तुम को पेट भर खाना न दूंगा। मैं तुम्हारे मुंह से अपनी भेड़ों को छुड़ाऊंगा। वे फिर तुम्हारा आहार न बनेंगी।
वह ब्याज पर रुपया उधार देता है, और सूदखोर है। क्या उस धार्मिक मनुष्य का ऐसा पुत्र जीवित रहेगा? कदापि नहीं। वह निश्चय ही मरेगा; क्योंकि उसने ये घृणित कार्य किये हैं। उसकी हत्या का दोष उसी के सिर पर होगा।
अब यदि डाकू किसी धार्मिक व्यक्ति की उसके घर में, उसके पलंग पर हत्या कर दें, तो मैं उनको कितना अधिक “पुरस्कार” दूँगा! क्या मैं उस धार्मिक व्यक्ति के रक्त का प्रतिशोध तुमसे नहीं लूँगा? क्या मैं तुम्हें धरती से मिटा नहीं डालूँगा?’
क्योंकि प्रभु ने उनके विषय में कहा था, ‘वे निर्जन प्रदेश में मर जाएंगे।’ उनमें यपून्ने के पुत्र कालेब तथा नून के पुत्र यहोशुअ को छोड़कर एक भी व्यक्ति नहीं बचा था।
रूबेन ने उनको उत्तर दिया, ‘क्या मैंने तुम लोगों से नहीं कहा था कि लड़के के विरुद्ध पाप न करो! परन्तु तुम लोगों ने मेरी बात नहीं सुनी। अब हमसे उसके रक्त का प्रतिशोध लिया जाएगा।’
‘ओ मानव, तू अपने जाति-भाई-बहिनों से बोल : जब कोई धार्मिक मनुष्य अपराध करता है तब उसकी धार्मिकता उसको अपराध के दण्ड से नहीं बचा सकती। यदि दुर्जन अपना बुरा आचरण छोड़ दे तो वह निस्सन्देह पाप के दण्ड से बचेगा। यदि धार्मिक मनुष्य पाप करे तो उसकी धार्मिकता उसको मरने से नहीं बचा सकेगी।