21 ‘किन्तु इस्राएलियों की नई पीढ़ी ने भी मुझसे विद्रोह किया। उन्होंने मेरी संविधियों के अनुरूप आचरण नहीं किया। मेरे न्याय-सिद्धान्तों का पालन करने में तत्परता नहीं दिखाई, जिनका पालन करके मनुष्य जीवित रहता है। उन्होंने मेरे विश्राम-दिवस को अपवित्र किया। ‘अत: मैंने निश्चय किया कि मैं उनको दण्ड देने के लिए निर्जन प्रदेश में उन पर अपनी क्रोधाग्नि की वर्षा करूंगा, मैं उन पर घातक प्रहार करूंगा।
21 “‘किन्तु वे बच्चे मेरे विरुद्ध हो गये। उन्होंने मेरे नियमों का पालन नहीं किया। उन्होंने मेरे आदेश नहीं माने। उन्होंने वे काम नहीं किये जो मैंने उनसे कहा वे अच्छे नियम थे। यदि कोई उनका पालन करेगा तो वह जीवित रहेगा। उन्होंने मेरे विश्राम के दिनों को ऐसे लिया मानों वे महत्व न रखते हों। इसलिये मैंने उन्हें मरूभूमि में पूरी तरह नष्ट करने का निश्चय किया जिससे वे मेरे क्रोध की पूरी शक्ति का अनुभव कर सकें।
21 परन्तु उनकी सन्तान ने भी मुझ से बलवा किया; वे मेरी विधियों पर न चले, न मेरे नियमों के मानने में चौकसी की; जिन्हें यदि मनुष्य माने तो वह उनके कारण जीवित रहेगा; मेरे विश्रामदिनों को उन्होंने अपवित्र किया। तब मैं ने कहा, मैं जंगल में उन पर अपनी जलजलाहट भड़का कर अपना कोप दिखलाऊंगा।
21 परन्तु उनकी सन्तान ने भी मुझ से विद्रोह किया; वे मेरी विधियों पर न चले, न मेरे नियमों के मानने में चौकसी की; जिन्हें यदि मनुष्य माने तो वह उनके कारण जीवित रहेगा; मेरे विश्रामदिनों को उन्होंने अपवित्र किया। “तब मैं ने कहा, मैं जंगल में उन पर अपनी जलजलाहट भड़काकर अपना कोप दिखलाऊँगा।
21 “ ‘परंतु उनके बच्चों ने भी मेरे विरुद्ध विद्रोह किया: वे मेरे नियमों पर नहीं चले, उन्होंने मेरे कानूनों का पालन करने में सावधानी नहीं बरती, जिनके बारे में मैंने कहा था, “वह व्यक्ति जो उनका पालन करेगा, वह जीवित रहेगा,” और उन्होंने मेरे विश्राम दिनों को अपवित्र किया. इसलिये मैंने कहा मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और निर्जन प्रदेश में उनको अपना क्रोध दिखाऊंगा.
21 परन्तु उनकी सन्तान ने भी मुझसे बलवा किया; वे मेरी विधियों पर न चले, न मेरे नियमों के मानने में चौकसी की; जिन्हें यदि मनुष्य माने तो वह उनके कारण जीवित रहेगा; मेरे विश्रामदिनों को उन्होंने अपवित्र किया। “तब मैंने कहा, मैं जंगल में उन पर अपनी जलजलाहट भड़काकर अपना कोप दिखलाऊँगा।
‘तुम लोग जाओ, और मेरी ओर से, इस्राएल और यहूदा प्रदेशों के बचे हुए लोगों की ओर से, इस धर्म-पुस्तक के वचनों का अर्थ प्रभु से ज्ञात करो। प्रभु की महा-क्रोधाग्नि हमारे प्रति भड़क उठी है; क्योंकि हमारे पूर्वजों ने प्रभु का वचन नहीं माना। उन्होंने धर्म-पुस्तक में लिखे गए प्रभु के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं किया।’
इन लोगों ने मुझे त्याग दिया और अन्य जातियों के देवताओं की मूर्तियों के सम्मुख सुगंधित धूप-द्रव्य जलाया। इन्होंने अपने हाथों से देवताओं की मूर्तियां बनाकर मेरे क्रोध को भड़काया है। अत: मेरी क्रोधाग्नि इस स्थान के प्रति भड़केगी, और वह कभी नहीं बुझेगी।”
वे मिस्र देश से इस देश में आए। उन्होंने इस देश में प्रवेश किया, और इस पर अधिकार कर लिया। ‘किन्तु उन्होंने तेरी वाणी नहीं सुनी, और तेरी व्यवस्था के अनुसार आचरण नहीं किया। उन्होंने वे कार्य नहीं किये जिनको करने का आदेश तूने उनको दिया था। अत: तूने यह विपत्ति उन पर ढाही।
लेकिन इस्राएल के वंशजों ने निर्जन प्रदेश में मुझ से विद्रोह किया। उन्होंने मेरी संविधियों के अनुरूप आचरण नहीं किया, बल्कि मेरे न्याय-सिद्धान्तों को ताक पर रख दिया, जिनके अनुरूप आचरण करने से मनुष्य जीवित रहता है। उन्होंने मेरे विश्राम-दिवस की घोर उपेक्षा कर उसको अपवित्र कर दिया। ‘अत: मैंने सोचा कि मैं उनको निर्जन प्रदेश में दण्ड देने के लिए उन पर अपनी क्रोधाग्नि की वर्षा करूंगा और उनको पूर्णत: नष्ट कर दूंगा।
जैसे मैंने “मिस्र के निर्जन प्रदेश” में तुम्हारे पूर्वजों का न्याय किया था, और उन्हें दण्ड दिया था वैसे ही मैं तुम पर मुकदमा चलाऊंगा, और तुम्हें दण्ड दूंगा।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
किन्तु उन्होंने मुझ से विद्रोह किया। मेरी बात नहीं सुनी। किसी ने भी मिस्र देश की घृणित मूर्तियों को अपने से दूर नहीं किया। वे उनसे चिपके रहे, और उनको नहीं छोड़ा; क्योंकि उन पर उनकी आंखें लगी थीं। ‘तब मैंने निश्चय किया कि मैं उनको दण्ड देने के लिए मिस्र देश में उन पर अपनी क्रोधाग्नि की वर्षा करूंगा।
मैं अपनी क्रोधाग्नि की वर्षा तुझ पर करूंगा, मैं तुझे अपने क्रोध से भस्म कर दूंगा। मैं तुझ को उन लोगों के हाथ में सौंप दूंगा, जो खून करने में हिचकते नहीं, जो हत्या करने वाले कुशल सैनिक हैं।
‘अब, मैं तुझ पर अपना क्रोध उण्डेलूंगा, तेरे प्रति अपनी क्रोधाग्नि भड़काऊंगा। तेरे आचरण के अनुरूप तेरा न्याय करूंगा और तेरे घृणित कार्यों के लिए तुझे दण्ड दूंगा।
“और वह राजा अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करेगा। वह स्वयं को सब देवताओं से ऊपर प्रतिष्ठित करेगा और अपने आपको उनसे बड़ा बताएगा। वह ईश्वरों के ईश्वर, परमेश्वर के विरुद्ध भी अनोखी बातें बोलेगा। वह तब तक सफल होता रहेगा जब तक कि उसके पाप का घड़ा भर न जाए; क्योंकि जो निश्चित है, वह तो होगा ही।
वे परमेश्वर और मूसा के विरुद्ध बोलने लगे, ‘आप हमें मिस्र देश से निकालकर इस निर्जन-प्रदेश में क्यों लाए? क्या हमें मारने के लिए? यहाँ न रोटी है और न पानी। हम इस रोटी से, जिससे तृप्ति नहीं होती, ऊब गए हैं।’
मैं जानता हूँ कि तुम विद्रोही और ऐंठी गरदन वाले लोग हो! देखो, यदि मेरे जीवित रहते, तुम्हारे साथ रहते हुए भी तुम आज प्रभु के विरुद्ध विद्रोह करते हो, तो मेरी मृत्यु के पश्चात् विद्रोह क्यों न करोगे?