14 किन्तु मुझे अपने नाम के हेतु अपना निश्चय त्यागना पड़ा। मैंने अपना क्रोध कार्य-रूप में परिणत नहीं किया, जिससे मेरा नाम उन राष्ट्रों की दृष्टि में अपवित्र न हो जाए, जिनके सामने से मैं इस्राएलियों को निकालकर लाया था।
14 किन्तु मैंने उन्हें नष्ट नहीं किया। अन्य राष्ट्रों ने मुझे इस्राएल को मिस्र से बाहर लाते देखा। मैं अपने अच्छे नाम को समाप्त नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने उन राष्ट्रों के सामने इस्राएल को नष्ट नहीं किया।
किन्तु मैंने अपने नाम के हेतु अपना यह निश्चय त्याग दिया। मैंने अपना क्रोध कार्य-रूप में परिणत नहीं किया, जिससे मेरा नाम उन राष्ट्रों की आंखों में अपवित्र न हो जाए, जिन के मध्य इस्राएली रहते थे। मैंने उन राष्ट्रों की आंखों के सामने इस्राएलियों को मिस्र देश से बाहर निकाला था, और यों मैंने इस्राएलियों पर स्वयं को प्रकट किया था।
किन्तु प्रहार के लिए उठा हुआ अपना हाथ मैंने रोक लिया। यह मैंने अपने नाम के हेतु किया जिससे मेरा नाम उन राष्ट्रों की दृष्टि में अपवित्र न हो जाए, जिनके सामने से मैं इस्राएलियों को निकाल कर लाया था।
लेकिन इस्राएल के वंशजों ने निर्जन प्रदेश में मुझ से विद्रोह किया। उन्होंने मेरी संविधियों के अनुरूप आचरण नहीं किया, बल्कि मेरे न्याय-सिद्धान्तों को ताक पर रख दिया, जिनके अनुरूप आचरण करने से मनुष्य जीवित रहता है। उन्होंने मेरे विश्राम-दिवस की घोर उपेक्षा कर उसको अपवित्र कर दिया। ‘अत: मैंने सोचा कि मैं उनको निर्जन प्रदेश में दण्ड देने के लिए उन पर अपनी क्रोधाग्नि की वर्षा करूंगा और उनको पूर्णत: नष्ट कर दूंगा।
इसके अतिरिक्त मैंने निर्जन प्रदेश में उनसे शपथ खाई कि जो देश मैंने उनको दे दिया है, जो विश्व का सर्वश्रेष्ठ देश है, जहां दूध और शहद की नदियां बहती हैं, उस देश में मैं उनको नहीं लाऊंगा,
‘मैं अपने पवित्र नाम को अपने निज लोग इस्राएलियों के मध्य प्रकट करूंगा। मैं अपने पवित्र नाम को फिर कभी अपवित्र न होने दूंगा। तब सब राष्ट्रों को मालूम होगा कि मैं ही प्रभु हूं, मैं ही इस्राएल में पवित्र परमेश्वर हूं।