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यशायाह 59:21 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

21 प्रभु कहता है, ‘जहाँ तक मेरा प्रश्‍न है, मैंने तेरे साथ यह विधान स्‍थापित किया है : मेरा आत्‍मा, जो तुझ पर है, तथा मेरे वचन, जो मैंने तेरे मुंह में प्रतिष्‍ठित किए हैं, वे तेरे मुंह से, तेरी सन्‍तान के मुंह से तथा आनेवाली पीढ़ी से पीढ़ी के मुंह से आज से युग-युगान्‍त तक कभी अलग न होंगे’ − प्रभु की यही वाणी है।

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पवित्र बाइबल

21 यहोवा कहता है: “मैं उन लोगों के साथ एक वाचा करूँगा। मैं वचन देता हूँ मेरी आत्मा और मेरे शब्द जिन्हें मैं तेरे मुख में रख रहा हूँ तुझे कभी नहीं छोड़ेंगे। वे तेरी संतानों और तेरे बच्चों के बच्चों के साथ रहेंगे। वे आज तेरे साथ रहेंगे और सदा—सदा तेरे साथ रहेंगे।”

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Hindi Holy Bible

21 और यहोवा यह कहता है, जो वाचा मैं ने उन से बान्धी है वह यह है, कि मेरा आत्मा तुझ पर ठहरा है, और अपने वचन जो मैं ने तेरे मुंह में डाले हैं अब से ले कर सर्वदा तक वे मेरे मुंह से, और, तेरे पुत्रों और पोतों के मुंह से भी कभी न हटेंगे॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

21 यहोवा यह कहता है, “जो वाचा मैं ने उनसे बाँधी है वह यह है, कि मेरा आत्मा तुझ पर ठहरा है, और अपने वचन जो मैं ने तेरे मुँह में डाले हैं अब से लेकर सर्वदा तक वे तेरे मुँह से, और तेरे पुत्रों और पोतों के मुँह से भी कभी न हटेंगे।”

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सरल हिन्दी बाइबल

21 “मेरी स्थिति यह है, उनके साथ मेरी वाचा है,” यह याहवेह का संदेश है. “मेरा आत्मा, जो तुम पर आया है, तथा मेरे वे शब्द, जो मैंने तुम्हारे मुंह में डाले; वे तुम्हारे मुंह से अलग न होंगे, न तुम्हारी संतान के मुंह से, न ही तुम्हारी संतान की संतान के मुंह से, यह सदा-सर्वदा के लिए आदेश है.” यह याहवेह की घोषणा है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

21 यहोवा यह कहता है, “जो वाचा मैंने उनसे बाँधी है वह यह है, कि मेरा आत्मा तुझ पर ठहरा है, और अपने वचन जो मैंने तेरे मुँह में डाले हैं अब से लेकर सर्वदा तक वे तेरे मुँह से, और तेरे पुत्रों और पोतों के मुँह से भी कभी न हटेंगे।” (इब्रा. 10:16, रोम. 11:27)

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यशायाह 59:21
36 क्रॉस रेफरेंस  

मेरे मुंह से सत्‍य का वचन कदापि मत छीन, क्‍योंकि मैं तेरे न्‍याय-सिद्धान्‍तों की आशा करता हूं।


तू उससे बात करना। तू अपने शब्‍द उसके मुंह में डालना। मैं तेरी और उसकी वाणी पर निवास करूंगा। जो कार्य तुम्‍हें करना है, वह मैं तुम्‍हें सिखाऊंगा।


उनको अंगूठी के समान अपनी अंगुलियों में पहन; उनको अपने हृदय-पटल पर लिख;


जब ऊपर से हम पर आत्‍मा उंडेला जाएगा तब यह निर्जन प्रदेश उपजाऊ भूमि में बदल जाएगा, और उपजाऊ भूमि ही वन मानी जाएगी।


घास सूख जाती है, फूल मुरझाते हैं, पर हमारे परमेश्‍वर का वचन नित्‍य है, वह कभी टलता नहीं।


यह है मेरा सेवक! इसको मैं सम्‍भाले हुए हूं। यह मेरा मनोनीत है! इससे मैं प्रसन्न हूं। मैंने इसको अपना आत्‍मा प्रदान किया है, जिससे वह राष्‍ट्रों में न्‍याय की स्‍थापना करे।


मैं प्‍यासी भूमि को पानी दूंगा, सूखी भूमि पर नदियाँ बहाऊंगा। मैं तेरे वंशजों पर अपना आत्‍मा उण्‍डेलूंगा, तेरी सन्‍तान पर अपनी आशिष की वर्षा करूंगा।’


प्रभु यों कहता है : ‘कृपा के समय मैंने तेरी प्रार्थना सुनी, उद्धार के दिन मैंने तेरी सहायता की। मैंने तुझे सुरक्षित रखा है, और जनता के लिए विधान के रूप में तुझे नियुक्‍त किया है, ताकि तू देश का पुन: निर्माण करे, उजाड़ पैतृक-भूमि का पुन: आबंटन करे;


मैंने अपने शब्‍द तेरे मुंह में रखे हैं; मैंने अपने हाथ की छाया में तुझे छिपाकर रखा है। मैंने ही आकाश को फैलाया है, मैंने ही पृथ्‍वी की नींव डाली है। मैं सियोन से यह कहता हूं : “तू ही मेरी प्रजा है।” ’


चाहे पहाड़ अपने स्‍थान से टल जाएं, चाहे पहाड़ियाँ अपने स्‍थान से हिल जाएं, किन्‍तु तुझ पर से मेरी करुणा नहीं हटेगी, मेरा शान्‍ति-विधान नहीं टलेगा।’ तुझ पर दया करनेवाला प्रभु यह कहता है।


ऐसे ही जो शब्‍द मेरे मुंह से निकलता है, वह मेरे पास खाली नहीं लौटेगा; वरन् जिस उद्देश्‍य से मैंने उसको उच्‍चारा था, वह उसको पूरा करेगा; जिसके लिए मैंने उसको भेजा था, वह उसको सफल करेगा।’


मेरी ओर कान दो, और मेरे पास आओ। मेरी बात सुनो, ताकि तुम्‍हारा प्राण जीवित रहे। तब मैं दाऊद के प्रति अपनी अटूट करुणा के कारण तुम्‍हारे साथ शाश्‍वत विधान स्‍थापित करूंगा।


प्रभु यह कहता है : ‘जो समीप है, और जो दूर है, दोनों का कल्‍याण हो, उन्‍हें शान्‍ति प्राप्‍त हो। मैं उन्‍हें स्‍वस्‍थ करूंगा।


प्रभु यह कहता है; ‘जिस प्रकार नया आकाश और नई पृथ्‍वी, जो मैं बनानेवाला हूं, मेरे सम्‍मुख स्‍थिर रहेंगे, उसी प्रकार तुम्‍हारे वंशज और तुम्‍हारा नाम स्‍थिर रहेंगे।


फिर प्रभु ने हाथ बढ़ाकर मेरे मुंह को छुआ, और मुझ से यों कहा, ‘देख, मैं अपने वचन तेरे मुंह में प्रतिष्‍ठित करता हूं।


मैं भी उन्‍हें नहीं जानता था; परन्‍तु जिसने मुझे जल से बपतिस्‍मा देने भेजा, उसने मुझ से कहा था, ‘तुम जिन पर आत्‍मा को उतरते और ठहरते देखोगे, वही पवित्र आत्‍मा से बपतिस्‍मा देते हैं।’


क्‍योंकि तूने जो सन्‍देश मुझे दिया, वह मैंने उन्‍हें दे दिया। वे उसे ग्रहण कर सचमुच यह जान गये कि मैं तुझ से आया हूँ और उन्‍होंने यह विश्‍वास किया है कि तूने मुझे भेजा।


जिसे परमेश्‍वर ने भेजा है, वह परमेश्‍वर के ही शब्‍द बोलता है; क्‍योंकि परमेश्‍वर नाप-तौल कर पवित्र आत्‍मा प्रदान नहीं करता।


किन्‍तु जो मेरा दिया हुआ जल पीता है, उसे फिर कभी प्‍यास नहीं लगेगी। जो जल मैं उसे प्रदान करूँगा, वह उस में जल-स्रोत बन जाएगा, जो शाश्‍वत जीवन तक उमड़ता रहेगा।”


उन्‍होंने यह बात उस आत्‍मा के विषय में कही, जो उन में विश्‍वास करने वालों को प्राप्‍त होगा। उस समय तक आत्‍मा नहीं था, क्‍योंकि येशु अभी महिमान्‍वित नहीं हुए थे।


मैंने अपने पिता के यहाँ जो देखा है, वही कहता हूँ और तुम लोगों ने अपने पिता से जो सुना है, वही करते हो।”


जब मैं उनके पाप हर लूँगा, तो यह उनके लिए मेरा विधान होगा।”


यदि परमेश्‍वर का आत्‍मा सचमुच आप लोगों में निवास करता है, तो आप शारीरिक स्‍वभाव के वश में नहीं, बल्‍कि आत्‍मा से ही प्रभावित हैं। जिस मनुष्‍य में मसीह का आत्‍मा निवास नहीं करता, वह मसीह का नहीं।


तो फिर पवित्र आत्‍मा का सेवाकार्य अधिक तेजोमय क्‍यों न होगा?


“समय आने पर मैं उनके लिए यह विधान निर्धारित करूँगा”, प्रभु कहता है : “मैं अपने नियम उनके हृदय में रखूंगा, मैं उन्‍हें उनके मन पर अंकित करूँगा


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